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भारत की सैटेलाइट्स ने कठिन परिस्थितियों में सशस्त्र बलों पर आए खतरे को टालने में अहम भूमिका निभाई: ISRO

नई दिल्ली पाकिस्तान की ओर से हाल ही में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान ड्रोन और मिसाइलों की बौछार के बीच भारत का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी मजबूती से खड़ा…
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भारत की सैटेलाइट्स ने कठिन परिस्थितियों में सशस्त्र बलों पर आए खतरे को टालने में अहम भूमिका निभाई: ISRO

नई दिल्ली

पाकिस्तान की ओर से हाल ही में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान ड्रोन और मिसाइलों की बौछार के बीच भारत का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी मजबूती से खड़ा रहा और एक प्रभावी ढाल का काम किया. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने बताया कि भारत के सैटेलाइट्स ने सशस्त्र बलों को हवा में आ रहे हथियारों की सटीक दिशा-ट्रैजेक्टरी की जानकारी देकर अहम भूमिका निभाई.

9 और 10 मई की रात को भारत के एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम ‘आकाशतीर’ और रूस से मंगाए गए S-400 सिस्टम ने मिलकर एक अदृश्य कवच का निर्माण किया, जिसने पाकिस्तानी हमलों को भारतीय नागरिक और सैन्य ठिकानों तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया और उन्हें नष्ट कर दिया.

ISRO के पास 72 सेमी रेजोल्यूशन वाले कैमरे की नजर

ISRO के चेयरमैन वी. नारायणन ने बताया कि कैसे भारत की सैटेलाइट्स ने कठिन परिस्थितियों में सशस्त्र बलों की मदद की और तत्काल खतरे को टालने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने कहा, ‘हमारे सभी सैटेलाइट्स ने पूरी सटीकता के साथ काम किया. जब हमने शुरुआत की थी, तब हमारे कैमरों की रेजोल्यूशन 36 से 72 सेंटीमीटर के बीच थी. लेकिन अब हमारे पास चंद्रमा पर ‘ऑन-ऑर्बिटर हाई रेजोलूशन कैमरा’ है, जो दुनिया का सबसे बेहतरीन रेजोलूशन कैमरा है. इसके अलावा हमारे पास ऐसे कैमरे भी हैं जो 26 सेंटीमीटर रेजोलूशन तक की स्पष्ट तस्वीरें दिखा सकते हैं.’

रणनीतिक उद्देश्यों से काम कर रहे इसरो के सैटेलाइट्स

11 मई को इम्फाल में सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (CAU) के 5वें दीक्षांत समारोह के दौरान नारायणन ने कहा कि कम से कम 10 सैटेलाइट्स लगातार रणनीतिक उद्देश्यों के लिए काम कर रहे हैं, ताकि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. नारायणन की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई, के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है.

फिलहाल एक्टिव हैं 50 सैटेलाइट्ल

  उन्होंने यह भी कहा, ‘हम जो भी सैटेलाइट्स भेजते हैं, उनका मकसद लोगों की भलाई होता है, जिसमें सुरक्षा भी शामिल है. फिलहाल कम से कम 50 सैटेलाइट्ल टीवी ब्रॉडकास्टिंग, टेलीकम्यूनिकेशन और सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.’

नारायणन ने बताया कि मंगलयान ऑर्बिटर मिशन के बाद इसरो अब एक लैंडिंग मिशन पर भी काम कर रहा है, जिसे लगभग 30 महीनों में लॉन्च किए जाने की योजना है. इसरो प्रमुख नारायणन गुरुवार को चेन्नई पहुंचे, जहां PSLV-C61 रॉकेट लॉन्च की अंतिम तैयारियां चल रही हैं. यह इसरो का 101वां मिशन होगा.

 

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