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26 जनवरी 2024-आओ मिलकर सभी नागरिकों को संविधान के प्रति सजग करने का संकल्प करें

भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद का पालन कर न्याय, समानता, बंधुत्व के आदर्श का पालन करना समय की मांग - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

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भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद का पालन कर न्याय, समानता, बंधुत्व के आदर्श का पालन करना समय की मांग - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आज पूरी दुनिया देख रही है कि कभी 200 वर्षों से अधिक समय तक अंग्रेजों की हुकूमत की गुलामी में सांस ले रहा भारत को का ऐसा ढंग का बज रहा है कि शासन देश पर ही मूल भारतीय शासन कर रहा है जबकि आजादी के बाद से ही भारत के सपूतों ने नई-नई गाथाओं के आधार के माध्यम अध्याय जोड़ने चले गए और उसे गाथा का कारवां आज इतनी तेजी पकड़ चुका है कि विश्व गुरु बनने से भारत को कोई नहीं रोक सकता आजादी के बाद भारत ने गाथाओं की कड़ी में 26 जनवरी 1950 देश भर में संविधान लागू हो गया था। इसलिए हर वर्ष 26 जनवरी को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं इसके पहले 22 जनवरी 2024 को छह श्रेणियों के बहादुर बच्चों को पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिया गया है। इसी तरह सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी 2023 को पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई और अब 26 जनवरी 2024 को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाएगा, जिसकी फुल ड्रेस रिहर्सल आज 23 जनवरी 2023 को पूरी तैयारी के साथ की गई जो, 28 दिसंबर 2023 से शुरू हुई थी। बता दें 75 वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रोंस को आमंत्रित किया गया है। चूंकि 75 वा गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2024 को विकसित भारत और भारत लोकतंत्र मातुका है, इस थीम पर मनाया जा रहा है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,भारत के प्रत्येक  नागरिक को संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद का पालन कर न्याय, समानता,बंधुत्व के आदर्श का पालन करना समय की मांग है। 


साथियों बात अगर हम भारतीय गणतंत्र दिवस की करें तो, 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और भारत एक लोकतांत्रिक व संवैधानिक राष्ट्र बन गया.यही वजह है कि हर साल इस खास दिन की याद में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।हर साल की तरह इस साल भी 26 जनवरी के दिन देशभर में गणतंत्र दिवस बेहद धूमधाम से मनाया जाएगा। ये दिन भारत के हर नागरिक के लिए गौरव और खुशी का दिन होता है। भारतीय कहीं भी रहें, वो गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस मनाना कभी नहीं भूलते। 


साथियों बात अगर इस दिन के इतिहास की करें तो 26 जनवरी के दिन ही1950 में देश का संविधान लागू हुआ था। ऐसे में इस दिन हर कोई देशभक्ति के रंग में डूबा नजर आता है।  देश आजाद होने के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान अपनाया था. इस वर्ष देश 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद संविधान निर्माण की तैयारी शुरू हो गई। इसके लिए भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ और 26 जनवरी 1949 को संविधान को अपना लिया गया।हालांकि आधिकारिक तौर पर इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गयाथा। बता दें कि भारतीय संविधान हाथ से लिखा गया था, जो आज भी संसद की लाइब्रेरी में सुरक्षित है.l, इसे तैयार करने में दो साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा हाथ से लिखा हुआ संविधान कहा जाता है। 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर साइन किए गए थे। फिर इसके दो दिन बाद यानी 26 जनवरी को देश भर में संविधान लागू हो गया।भारतीय संविधान की ये कॉपियां हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में हाथ से लिखी गई हैं।आज भी ये कॉपी संसद भवन की लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी हुई हैं। हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत में पूर्ण स्वराज के लिए 200 वर्षों से भी अधिक समय तक संघर्ष किया है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियां किसी की गुलाम बनकर न रहे और स्वतंत्र रूप से अपने अधिकारों का निर्वहन कर सके। हम सबको यह प्रतिज्ञा करनी होगी कि हमें भी अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य बनाना होगा। भारत देश को एक मजबूत राष्ट्र बनाएंगे। हम सब मिलकर सशक्त भारत का निर्माण करेंगे। सभी नागरिकों को संविधान के प्रति सजग करेंगे और सबको समान रूप से जीने का अवसर प्रदान करेंगे। हमें अपने सामाजिक मुद्दों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता आदि के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि आगे बढ़ने के लिए उन्हें हल किया जा सके। इस वर्ष हम 75 वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। गणतंत्र का अर्थ है देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति और केवल जनता को ही देश को सही दिशा में ले जाने के लिए अपने प्रतिनिधियों को राजनीतिक नेता के रूप में चुनने का अधिकार है। भारतीय संविधान की शक्तियों के कारण ही हम देश में अपने पसंद का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं को चुन सकते हैं। 


साथियों बात अगर हम दिनांक 23 जनवरी 2024 को फुल ड्रेस फाइनल रिहर्सल की करें तो, इस साल याने 2024 में, 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इस बार मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन आमंत्रित किया गया है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले परेड के लिए रिहर्सल 28 दिसंबर 2023 से शुरू हो चुकी है। 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। मंगलवार को कर्तव्य पथ पर फुल ड्रेस रिहर्सल हुई। इसमें महिला जवानों ने जहां बाइक पर करतब दिखाया तो वहीं आसमान में वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने भारत की ताकत दिखाई। इस दौरान कई राज्यों की झांकी निकाली गई। फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान आईएएफ के एसयू-30 एमकेआई फाइटर जेट्स ने एक फॉर्मेशन में फ्लाइपास्ट किया। कर्तव्य पथ पर रिहर्सल के दौरान भारतीय वायु सेना के जांबाज जवानों ने शौर्य का प्रदर्शन किया। बता दें 26 जनवरी को परेड सुबह साढ़े 10 बजे शुरू होगी।75वें गणतंत्र दिवस की थीम विकसित भारत और भारत लोकतंत्र की मातृका है। गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार तीनों सेनाओं की महिला टुकड़ी भी मार्च करेगी। मंगलवार को बीएसएफ की महिला डेयर डेविल्स टीम ने कर्तव्य पथ पर फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान प्रदर्शन किया। कर्तव्य पथ पर मंगलवार को फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय की झांकी प्रदर्शित की गई। इसने सभी की मन मोह लिया।छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर की मुरिया दरबार और बड़े डोंगरे की लिमऊ राजा के थीम पर आधारित है। छत्तीसगढ़ की झांकी को आदिवासी समाज की शिल्पकला से सजाया गया है। फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान झांकी के जरिए आदिम जाति और जनजातीय समाज के लोकतांत्रिक चेतना को दिखाने का काम किया गया।जय हरियाणा, विकसित हरियाणा गीत की गूंज मंगलवार को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर सुनाई दी। दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह की फुल ड्रेस रिहर्सल का मौका था, जिसमें हरियाणा की झांकी को लगातार तीसरी बार शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। हरियाणा की झांकी में बालिका शिक्षा की प्रमुखता को दिखाती हुई झांकी दिखाई गई. इसमें एक स्कूली छात्र का स्टेच्यू स्कूल ड्रेस में हाथ में पेन लेकर झांकी के आगे बैठा दिखा।महाराष्ट्र की झांकी में छत्रपति शिवाजी और मां जीजाबाई को दिखाया गया, झांकी में संदेश दिया गया कि शिवाजी अगर हिंदवी स्वराज के छत्रपति बने तो इसमें सबसे अहम भूमिका उनकी माता जीजाबाई की थी।उनके बिना वे इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते।नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर इस वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड-2024 में निकलने वाली झांकियों में राजस्थान की झांकी दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगी। मंगलवार को फुल ड्रेस रिहर्सल में शामिल राजस्थान की झांकी में घाघरा चूनर ओढ़कर पारंपरिक घूमर नृत्य कर रही महिला का स्टेच्यू दिखाया गया. झांकी के जरिए राजस्थान की रंगीली संस्कृति, वैभव और उल्लास का प्रदर्शन किया गया।आंध्र प्रदेश की झांकी में वहां के पारंपरिक गुरुकुलों और स्कूलों में पढ़ाई कर रही छात्राओं के उल्लास को दिखाया गयाइसके साथ ही लड़कों की तरह करियर में आगे बढ़ रही लड़कियों की प्रगति का भी संदेश दिया गया।


साथियों बात अगर हम 22 जनवरी 2024  को 19 बहादुर बच्चों को पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कारों की करें तो पीएम  ने आज सुबह अपने आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) विजेताओं के साथ बातचीत की।प्रधानमंत्री ने प्रत्येक पुरस्कार विजेता को स्मृति चिन्ह भेंट किए और फिर उनके साथ खुलकर बातचीत की। बच्चों ने अपनी उन उपलब्धियों का विवरण साझा किया, जिनके कारण उन्हें पुरस्कार के लिए चुना गया है। संगीत, संस्कृति, सौर ऊर्जा के साथ-साथ बैडमिंटन, शतरंज जैसे खेलों व अन्य विषयों पर चर्चा हुई।भारत सरकार सात श्रेणियों में असाधारण उपलब्धि के लिए बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित करती है। ये श्रेणियां हैं – कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा, खेल और पर्यावरण। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पुस्तिका दी जाती है। इस वर्ष, देश भर से 19 बच्चों को विभिन्न श्रेणियों के तहत पीएमआरबीपी-2024 के लिए चुना गया है।


अतः अगर हम उपयोग पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषणकरें तो हम पाएंगे कि 75 वा गणतंत्र दिवस विकसित भारत और भारत लोकतंत्र की मातृत्व है।26 जनवरी 2024-आओ मिलकर सभी नागरिकों को संविधान के प्रति सजग करने का संकल्प करें।भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद का पालन कर न्याय, समानता, बंधुत्व के आदर्श का पालन करना समय की मांग

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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