हिंदी का विरोध कोई नई बात नहीं है। भारत के आजाद होने से पहले भी कई मौकों पर इसका विरोध हुआ है।
कुमारस्वामी ने की थी हिंदी दिवस को खत्म करने की मांग
इससे पहले भी कुमारस्वामी ने ही हिंदी दिवस समारोह का विरोध करते हुए कहा था कि इसका उन लोगों के लिए कोई मतलब नहीं है जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है। उन्होंने हिंदी दिवस को खत्म करने की भी मांग की थी। पिछले साल हिंदी दिवस के लिए कन्नड़ समर्थक संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन किया गया था।
आजादी से पहले से होता आ रहा हिंदी का विरोध
हिंदी का विरोध कोई नई बात नहीं है। भारत के आजाद होने से पहले भी कई मौकों पर इसका विरोध हुआ है। तमिलनाडु में 1937 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की सरकार ने मद्रास प्रांत में हिंदी को लाने का समर्थन किया था। पेरियार की जस्टिस पार्टी तब विपक्ष में थी। उसने इसका विरोध करने किया। आंदोलन हुए। अलग-अलग जगहों पर हिंसा भी भड़की। दो लोगों की जान भी चली गई थी। इसके बाद राजगोपालाचारी सरकार ने 1939 में त्यागपत्र दे दिया।