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देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में Droupadi Murmu ने ली शपथ, पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन रचा इतिहास

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नई दिल्ली: नव-निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज सुबह संसद भवन में 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। CJI एनवी रमना ने निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इस दौरान निवर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित सभी नेता मौजूद रहे। वहीं मुर्मू ने राष्ट्रपति की कमान संभालते हुए देश में नया इतिहास कायम कर दिया है क्योंकि वह पहली आदिवासी समुदाय की महिला होंगी जो सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन होंगी। इतना ही नहीं इसके साथ ही वह देश की सबसे युवा राष्ट्रपति भी होंगी।

वहीं शपथ ग्रहण करने से पहले उन्होंने राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद निवर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी।

कुछ ऐसा रहा राजनीतिक सफर

वहीं राष्ट्रपति मुर्मू के राजनीतिक सफर की बात करें तो साल 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था। उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं है।

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। इसके पश्चात ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था।

झारखंड की 9वीं राज्यपाल की कमान संभाली

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी भी हैं।

दोनों बेटों और पति को खोया

उनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे। उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया। उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं। द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में आ गई।

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