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प्रख्यात कवि, आलोचक व वरिष्ठ संस्कृतिविद् अशोक बाजपेई का कहना है कि एक कलाकार को बुद्ध की तरह अपना दीपक स्वयं बनना होता है

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प्रख्यात कवि, आलोचक व वरिष्ठ संस्कृतिविद् अशोक बाजपेई का कहना है कि एक कलाकार को बुद्ध की तरह अपना दीपक स्वयं बनना होता है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी आज के दौर के सबसे बड़े भारतीय हैं और उन्हें जानने और उन पर आधारित कृतियां बनाने के लिए कलाकारों को महात्मा गांधी पर खूब पढना चाहिए।

बाजपेयी यहां संस्कृति विभाग परिसर आर्ट गैलरी में कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित चित्रकला-मूर्तिकला शिविर में निर्मित कलाकृतियों की प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। रविवार की शाम आयोजित समारोह में उन्होंने कलाकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि कई बार कलाकार अपनी कलाकृति में बहुत अधिक विषय को समाहित करने की कोशिश करते हैं या फिर विषय को दोहराने लग जाते हैं, तो कलाकारों को इस स्थिति से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस छत्तीसगढ़ में मेरा जन्म हुआ वहां अनेक विधाओं के कलाकारों को देख कर खुशी महसूस हो रही है।

उल्लेखनीय है कि यह कला शिविर 7 नवंबर को शुरू हुआ था, जिसमें प्रदर्शनी रविवार को लगाई गई। शुरूआत में योगेंद्र त्रिपाठी,अध्यक्ष कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद छत्तीसगढ़ शासन ने स्वागत उद् बोधन में आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। शिविर में प्रतिभागी वरिष्ठ चित्रकार हुकुम लाल वर्मा, चर्चित चित्रकार अमनुल हक,शिल्पकार राम कुमार इंदौरिया,मूर्ति कला की साधक करुणा सिदार,चित्रकार दीक्षा साहू,चित्रकार जितेंद्र साहू, संदीप किंडो, राजेंद्र ठाकुर, मोहनलाल बराल, मनीषा वर्मा, राजेंद्र सुनगरिया, विपिन सिंह राजपूत, चंचल साहू, श्याम सुंदर सिंह, छगेंद्र उसेंडी, सुरेश कुंभकार, प्रशंसा वर्मा, किशोर शर्मा, धरम नेताम और निखिल।तिवारी की कृतियों को अशोक बाजपेयी ने देखा और अपनी टिप्पणी दी।

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