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अगर नेता अपना आंशिक वादा भी पूरा कर देते तो उनके सामने विश्वसनीयता का संकट नहीं होता

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रक्षा मंत्री कोई वादा करने से परहेज रखते हैं। गुरुवार को यूपी की राजधानी में सिंह ने इसकी वजह समझाई। सिंह ने कहा, 'मैं कोई वादा नहीं करता। इसीलिए मैंने चुनाव लड़ने के दौरान भी कोई वादा नहीं किया था क्योंकि भारतीय राजनीति का दुर्भाग्य है कि नेता वादे तो कर देते हैं, लेकिन पूरा नहीं कर पाते। अगर नेता अपना आंशिक वादा भी पूरा कर देते तो उनके सामने विश्वसनीयता का संकट नहीं होता।' वे केजीएमयू के साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में लखनऊ हरिश्चंद्र वंशीय समाज (रस्तोगी) की ओर से हुए हरिश्चंद्र जयंती कार्यक्रम में बोल रहे थे। राजनाथ सिंह ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पहली बार सरकार बनी थी तो मैं पार्टी का प्रेसिडेंट था और घोषणापत्र बनवाया।

हमने वही वादे किए, जो पूरे कर सकते थे। दूसरी बार भी ऐसा हुआ। पीएम मोदी चाहते हैं कि हम वही वादे करें, जो पूरे कर पाएं। उन्होंने उदाहरण गिनाते हुए कहा कि हमने धारा-370 हटाने का वादा पूरा किया, नागरिकता कानून ले आए और अब कॉमन सिविल कोड पर भी काम चल रहा है। जल्द ही इसे भी पूरा करेंगे।

सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि 'अपनी सांस्कृतिक विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए। जैसे बिना जड़ के कोई पेड़ विशाल नहीं बन सकता वैसे ही बिना संस्कृति को समझे कोई सभ्यता महान नहीं बन सकती।'मैं वादा नहीं करता क्योंकि भारत की राजनीति में नेताओं ने कई वादे किए हैं लेकिन अगर उनमें से आधे वादों को भी पूरा किया होता तो देश में विश्वसनीयता का संकट नहीं होता।

गडकरी भी दे चुके हैं ऐसा बयान
रक्षा मंत्री का यह बयान वैसे तो सभी नेताओं के लिए था, पर लोग अलग मायने निकालने लगे हैं। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इसी लाइन पर बयान दे चुके हैं। गडकरी ने जनवरी 2019 में कहा था कि 'सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्‍छे लगते हैं पर दिखाए गए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है। इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें। मैं सपने दिखाने वालों में से नहीं हूं। मैं जो बोलता हूं वो 100% डंके की चोट पर पूरा होता है।'

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