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मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित कृषि महाविद्यालय की जमीन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई

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मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित कृषि महाविद्यालय की जमीन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। महाविद्यालय की जमीन को अब अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। छात्रों के विरोध के बाद शिवराज सरकार बैकफुट पर आ गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जमीन का उपयोग यथावत रखा जाए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद सीएम शिवराज ने ये निर्देश दिए हैं। कृषि महाविद्यालय के सैंकड़ों छात्र-छात्राएं पिछले 55 दिनों से धरने पर बैठे थे।

दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिग्रहण रोकने संबंधी जानकारी देते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि आज इंदौर में एबीवीपी के प्रतिनिधि मंडल ने अपने ज्ञापन में आग्रह किया कि इंदौर के कृषि महाविद्यालय की जमीन का उपयोग यथावत रखा जाये। अन्य कोई प्रयोजन के लिए न दिया जाये। मैंने उनके आग्रह को स्वीकार कर तत्काल निर्देश दिया है कि कृषि महाविद्यालय की जमीन को यथावत रखा जाये।

जानकारी के अनुसार करीब एक सदी पुराने कृषि अनुसंधान की जमीन को हथियाने की एक बार फिर से कवायद शुरू हो गई थी। राज्य सरकार इसे हजारों करोड़ रुपये की जमीन कॉरपोरेट को देकर बहुमंजिला इमारत और सिटी फॉरेस्ट बनाना चाहती थी। साथ ही इसके शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने जमीन का अवलोकन कर महाविद्यालय प्रशासन से सारी जानकारी भी मांगी थी।

वहीं सरकार और प्रशासन के इस कदम का कृषि महाविद्यालय के वर्तमान और पूर्व छात्रों ने विरोध करना शुरू कर दिया। छात्रों का कहना था कि महाविद्यालय में 20-25 साल से कुछ अनुसंधान परियोजनाएं चल रही हैं। यदि जमीन छीन ली गई तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग से चल रही अनुसंधान परियोजनाएं बंद हो जाएंगी। हम एक इंच जमीन भी किसी को हथियाने नहीं देंगे। जिसके बाद छात्र 55 दिन तक धरने पर बैठे रहे। और आखिर में सरकार को पीछे हटना ही पड़ा।

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