मैडम जी ! होम लोन पर भारी ब्याज देते कमर टूट रही, क्या टैक्स छूट बढ़ाएंगी ?
होम लोन मूलधन के पुनर्भुगतान पर अलग से डिडक्शन
यह लंबे समय से लंबित मांग है। धारा 80सी के तहत डिडक्शन (Deduction) की सीमा 1.5 लाख रुपये तक है। लेकिन इस डिडक्शन में आने वाले निवेश और खर्चों की टोकरी लगभग 10 आइटम्स से भरी हुई है। इनमें से एक होम लोन के मूलधन का पुनर्भुगतान (Home-Loan Principal Repayment) भी है। ज्यादातर मामलों में लोग ईपीएफ और बच्चों की ट्यूशन फीस में अनिवार्य योगदान के साथ 80सी की लिमिट को पूरा कर देते हैं। यदि कुछ गुंजाइश बची हो, तो जीवन बीमा पॉलिसियों पर प्रीमियम उसे भर देता है। इसलिए इसमें होम लोन की मूलधन पर डिडक्शन के लिए मुश्किल से ही जगह बचती है।
धारा 24बी का विस्तार किया जाए
मूलधन चुकाने के अलावा एक उधारकर्ता को होम लोन पर ब्याज (Interest on a Home Loan) का भुगतान भी करना होता है। घर खरीदने के लिए बड़ी रकम की जरूरत होती है, इसलिए कई कर्जदार भारी भरकम होम लोन लेते हैं। नतीजतन, उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा होम लोन पर ब्याज चुकाने में चला जाता है। कई लोगों के लिए होम लोन पर सालाना ब्याज भुगतान डिडक्शन की उस ऊपरी सीमा से बहुत अधिक होता है, जिसका वे क्लेम कर सकते हैं। इस साल रेपो रेट में 2.25 फीसदी का इजाफा हो चुका है। इससे होम लोन पर ब्याज दरें भी काफी बढ़ गई है। नतीजतन ग्राहकों को भारी ब्याज चुकाना होगा। इसलिए घर खरीदारों की मांग है कि ब्याज भुगतान के लिए डिडक्शन की सीमा बढ़ाई जाए।
पूंजीगत लाभ मानदंड में छूट
आयकर अधिनियम की धारा 54 के तहत मौजूदा घर की बिक्री से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ का उपयोग नई संपत्ति खरीदने या निर्माण करने में किया जा सकता है। यदि छूट के लिए निवेश एक निर्माणाधीन संपत्ति के माध्यम से किया जाता है, तो इसका दावा तभी किया जा सकता है जब संपत्ति का निर्माण पहले के घर की बिक्री के तीन साल के भीतर पूरा हो गया हो।
किफायती आवास
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार को किफायती आवास बजट में शहरवार घरों के मूल्य निर्धारण पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए। जबकि इसकी परिभाषा के अनुसार घरों का आकार (60 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया) काफी उपयुक्त है। लेकिन अधिकांश शहरों में घरों की कीमत (45 लाख रुपये तक) व्यवहार्य नहीं है। उदाहरण के लिए मुंबई जैसे शहर के लिए 45 लाख रुपये से कम का बजट बहुत कम है। इसे बढ़ाकर कम से कम 85 लाख रुपये या उससे अधिक करने की आवश्यकता है। अन्य टॉप शहरों के लिए बजट को कम से कम 60 लाख रुपये से बढ़ाकर 65 लाख रुपये किया जाना चाहिए।