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पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद कारों और अन्य वाहनों के आयात पर भारी खर्च को लेकर पाकिस्तान सरकार खामोश है।

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 पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। अगर पाकिस्तान को जल्द ही विदेशी मदद नहीं मिली तो यह देश दिवालिया घोषित हो सकता है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 2014 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। इस बीच खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान ने पिछले छह महीनों के दौरान लग्जरी कारों, हाई-एंड इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके पुर्जों सहित ट्रांसपोर्ट गुड्स के आयात पर 1.2 बिलियन डॉलर (लगभग 9717 करोड़ रुपये) खर्च किए हैं। यह खरीदारी तब की गई है, जब पाकिस्तानी सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार को बचाए रखने के लिए लग्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान में अमीर और गरीब के बीच खाई इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि मुट्ठी भर धनी लोग सरकारी प्रतिबंधों का मजाक उड़ा रहे हैं।

पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड नीचे


पाकिस्तान डॉलर की भारी कमी का सामना कर रहा है। वर्तमान में पाकिस्तान के पास 5 अरब डॉलर से भी कम का विदेशी मुद्रा भंडार है। इतने पैसों से पाकिस्तान सिर्फ तीन सप्ताह तक जरूरी वस्तुओं के आयात को फाइनेंस कर सकता है। पिछले वर्ष की तुलना में ट्रांसपोर्ट व्हीकल और अन्य वस्तुओं के आयात में भारी कमी के बावजूद, अर्थव्यवस्था अभी भी महंगे लक्जरी वाहनों और बेकार वस्तुओं को खरीदने के लिए मुद्रा के निकास के बोझ से दबी हुई थी।

पाकिस्तान ने 530.5 मिलियन डॉलर का आयात किया


इन छह महीनों के दौरान, पाकिस्तान ने 530.5 मिलियन डॉलर के पूरी तरह से बनी हुई और आधी बनी हुई यूनिट्स का आयात किया है। आधी बनी हुई यूनिट्स के आयात की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद नियम-कानून को धता बताते हुए लाखों डॉलर की इन किटों का आयात किया जा रहा है। इससे पाकिस्तान का स्थानीय उद्योग और उनके उत्पादन को नुकसान पहुंच रहा है। कुल मिलाकर इन कदमों में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद कारों और अन्य वाहनों के आयात पर भारी खर्च को लेकर पाकिस्तान सरकार खामोश है।

किस चीज का कितना आयात हुआ


जुलाई-दिसंबर 2022-23 के दौरान पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) के तहत बसों, ट्रकों और अन्य भारी वाहनों का आयात 75 मिलियन डॉलर (16.6 अरब रुपये), मोटर कारों का 32.6 मिलियन डॉलर था। सीकेडी/एसकेडी के तहत, बसों, ट्रकों और अन्य भारी वाहनों का आयात 722.5 मिलियन डॉलर (161 अरब रुपये) था, जबकि मोटर कार का आयात 498 मिलियन डॉलर (111 अरब रुपये) दर्ज किया गया था। मोटरसाइकिल का आयात भी 27.6 मिलियन डॉलर रहा। इसके अलावा कलपुर्जों और एक्सेसरीज का आयात 18.86 करोड़ डॉलर (42 अरब रुपये) रहा। इसी तरह, विमानों, जहाजों और नावों के आयात पर 47.7 मिलियन डॉलर खर्च किए गए।

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