भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही शिवराज सरकार के राज में पीआईयू में भ्रष्टाचार की जड़ें
Nov 18, 2022, 17:55 IST
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मध्यप्रदेश में लोक निर्माण विभाग की प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट यानि पीआईयू के ईई कमल सिंह कौशिक के रिश्वत लेते भोपाल में रंगे हाथ पकड़े जाने से एक बार फिर यहां भ्रष्टाचार होने के आरोपों की पुष्टि हुई है। इसके पहले पीआईयू के अतिरिक्त संचालक चीफ इंजीनियर एस एल सूर्यवंशी पर भोपाल के हमीदिया अस्पताल के भवन निर्माण में 46 करोड़ की हेरफेर करने की खबरें देश के प्रमुख अखबार दैनिक भास्कर में सुर्खियां बन चुकी है।
दरअसल भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही शिवराज सरकार के राज में पीआईयू में भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर होने की जगह लगातार मजबूत होने के पीछे इसकी कमान संभाल रहे एस एल सूर्यवंशी जिम्मेदार दिख रहे हैं जो 12 साल पहले 2010 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो अर्थात ईओडब्ल्यू के हत्थे चढ़ चुके हैं। वर्तमान में इस प्रकरण को लेकर न्यायालयीन कार्रवाई का सामना कर रहे एस आर सूर्यवंशी का पीआईयू के मुखिया होने के बाद से ही लोक निर्माण विभाग की इस महत्वपूर्ण इकाई में हर काम में लेन देन का चलन बढ़ा है।
अनुसूचित जाति जनजाति से आने वाले चीफ इंजीनियर एस एल सूर्यवंशी ने भ्रष्टाचार की खबरें बाहर जाने से रोकने और पत्रकारों को पीआईयू में आने से रोकने के लिए भी असफल कोशिशें की हैं। इसके चलते उन्होंने अनुसूचित जाति जनजाति मंत्री को पत्र लिखकर पत्रकारों की आवक जावक को आरक्षित वर्ग के विरोधियों की साज़िश बताने से भी परहेज़ नहीं किया।
एस एल सूर्यवंशी के पास 12 साल पहले ईओडब्ल्यू द्वारा डाले गए छापे में आय से चार गुनी संपत्ति मिली थी । यह मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद एक दशक में उनकी संपत्ति में लगातार दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होने से जुड़े कई किस्से चटखारे लेकर सुनाए जाते हैं। इसके पीछे सूर्यवंशी द्वारा पीआईयू के अधीन आने वाले भोपाल , ( रिश्वत लेते रंगे हाथ पकडाए कमल सिंह कौशिक इसी यूनिट के मुखिया थे) रायसेन ,विदिशा, सीहोर , होशंगाबाद , हरदा , बैतूल और शाजापुर जिलों में मनपसंद परियोजना यंत्रियों की पदस्थापना होना मुख्य कारण हैं। सूर्यवंशी ने सीहोर पीआईयू की कमान एसडीओ बनाकर सहायक यंत्री कपिल त्यागी को सौंप रखी है जो इस पद की पात्रता ही नहीं रखते है। सूर्यवंशी को खुश रखने की एवज में कपिल त्यागी भी जमकर मलाई खा रहे हैं और अपनी पत्नी प्रियंका के नाम से प्रियंका कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाकर करोड़ों रुपए के ठेके ले रहे हैं।
दरअसल भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही शिवराज सरकार के राज में पीआईयू में भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर होने की जगह लगातार मजबूत होने के पीछे इसकी कमान संभाल रहे एस एल सूर्यवंशी जिम्मेदार दिख रहे हैं जो 12 साल पहले 2010 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो अर्थात ईओडब्ल्यू के हत्थे चढ़ चुके हैं। वर्तमान में इस प्रकरण को लेकर न्यायालयीन कार्रवाई का सामना कर रहे एस आर सूर्यवंशी का पीआईयू के मुखिया होने के बाद से ही लोक निर्माण विभाग की इस महत्वपूर्ण इकाई में हर काम में लेन देन का चलन बढ़ा है।
अनुसूचित जाति जनजाति से आने वाले चीफ इंजीनियर एस एल सूर्यवंशी ने भ्रष्टाचार की खबरें बाहर जाने से रोकने और पत्रकारों को पीआईयू में आने से रोकने के लिए भी असफल कोशिशें की हैं। इसके चलते उन्होंने अनुसूचित जाति जनजाति मंत्री को पत्र लिखकर पत्रकारों की आवक जावक को आरक्षित वर्ग के विरोधियों की साज़िश बताने से भी परहेज़ नहीं किया।
एस एल सूर्यवंशी के पास 12 साल पहले ईओडब्ल्यू द्वारा डाले गए छापे में आय से चार गुनी संपत्ति मिली थी । यह मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद एक दशक में उनकी संपत्ति में लगातार दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होने से जुड़े कई किस्से चटखारे लेकर सुनाए जाते हैं। इसके पीछे सूर्यवंशी द्वारा पीआईयू के अधीन आने वाले भोपाल , ( रिश्वत लेते रंगे हाथ पकडाए कमल सिंह कौशिक इसी यूनिट के मुखिया थे) रायसेन ,विदिशा, सीहोर , होशंगाबाद , हरदा , बैतूल और शाजापुर जिलों में मनपसंद परियोजना यंत्रियों की पदस्थापना होना मुख्य कारण हैं। सूर्यवंशी ने सीहोर पीआईयू की कमान एसडीओ बनाकर सहायक यंत्री कपिल त्यागी को सौंप रखी है जो इस पद की पात्रता ही नहीं रखते है। सूर्यवंशी को खुश रखने की एवज में कपिल त्यागी भी जमकर मलाई खा रहे हैं और अपनी पत्नी प्रियंका के नाम से प्रियंका कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाकर करोड़ों रुपए के ठेके ले रहे हैं।