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गणतंत्र दिवस से विभिन्न भारतीय अनुसूचित भाषाओं में शीर्ष अदालत के फैसलों को उपलब्ध कराया जाएगा

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देशवासियों को गणतंत्र दिवस के मौके पर बड़ी सौगात मिलने जा रही है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को घोषणा की कि गणतंत्र दिवस से इलेक्ट्रॉनिक सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट्स (ई-एससीआर) परियोजना अब विभिन्न भारतीय अनुसूचित भाषाओं में शीर्ष अदालत के फैसले प्रदान करना शुरू कर देगी।

सीजेआई ने वकीलों से कहा कि शीर्ष अदालत गुरुवार को कुछ स्थानीय अनुसूचित भाषाओं में फैसले प्रदान करने के लिए ई-एससीआर परियोजना के हिस्से का संचालन करेगी। ई-एससीआर के अलावा स्थानीय भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के 1091 फैसले भी गणतंत्र दिवस पर उपलब्ध होंगे।

आठवीं अनुसूची में हैं 22 भाषाएं 
बता दें, संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं। इनमें असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी शामिल हैं। शीर्ष अदालत के फैसले, उसकी वेबसाइट, उसके मोबाइल ऐप और नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) पोर्टल पर उपलब्ध होंगे।

अब तक किस भाषा में कितने फैसलों का अनुवाद

सुप्रीम कोर्ट के अब तक 538 फैसलों का अनुवाद हुआ है, जिसमें से असमी में छह, बांग्ला में तीन, गैरो में दो, हिंदी में 290, कन्नड़ में 24, मलयालम में 47, मराठी में 26, नेपाली भाषा में तीन अनुवाद हुए हैं। उड़िया में 26, पंजाबी में 10, तमिल में 76, तेलगु में 18, उर्दू में पांच फैसलों का अनुवाद हुआ है। सबसे अधिक 209 फैसलों का अनुवाद साल 2019 में हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद हर साल कम होता गया. 2019 में ही जहां 209 फैसलों का अनुवाद हुआ था, वहीं 2020 में 142, 2021 में 100 और 2022 में सिर्फ 82 फैसलों का ही अनुवाद हुआ। इतना ही नहीं, तीन साल बाद भी अयोध्या के राम जन्मभूमि का फैसला सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर हिंदी में उपलब्ध नहीं है। इसे अनुवाद के बाद वेबसाइट पर अपलोड करने की प्रक्रिया फरवरी महीने के अंत या मार्च तक पूरी हो सकती है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद के बाद वेबसाइट पर उपलब्ध कराने की मुहिम का स्वागत करते हुए इसे न्यायपालिका की महान उपलब्धि बताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इससे न केवल क्षेत्रीय भाषाओं की उपयोगिता, सार्थकता बढ़ेगी बल्कि आम लोगों के साथ नए वकीलों और अनुसंधान करने वाले कानून के छात्रों को भी आसानी होगी।प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को लेकर भी कानून से जुड़े लोगों, राजनीतिक गलियारों में हो रही है।

सीजेआई ने बार काउंसिल के कार्यक्रम में किया था ऐलान

सीजेआई जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने मुंबई में शनिवार को आयोजित मुंबई गोवा बार काउंसिल के कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराने का ऐलान किया था।

सीजेआई ने कहा था कि क्षेत्रीय भाषाओं और लिपि में कोर्ट के फैसलों को जनता तक पहुंचाने के लिए आधुनिक तकनीक के जरिए ये सुविधा जन-जन तक पहुंचाने पर तेजी से काम चल रहा है। इसमें उन्होंने युवा वकीलों और तकनीकी विशेषज्ञों से आगे आने का आह्वान किया था।

सीजेआई ने कहा था कि मैं चाहता हूं कि इस तकनीक का लाभ उन लोगों को भी मिले, जिनकी पहुंच में ऐसी तकनीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आज भी आम आदमी की समझ में सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेजी में प्रकाशित फैसले नहीं आते। ऐसे में अपनी मातृभाषा में वो कोर्ट के फैसलों और उसके पीछे दिए जाने वाले तर्कों, दलीलों और कोर्ट की सोच को समझ सकेंगे।

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