विसंगति को दूर करने के लिए 14900 रुपये के पर्सनल पे का सुझाव दिया गया है। इसे रक्षा मंत्रालय ने तो मान लिया है लेकिन एक साल से यह वित्त मंत्रालय में अटका पड़ा है।
सातवें वेतन आयोग ने आर्मी में मिलिट्री सर्विस पे देना अप्रूव किया था। लेकिन यह ब्रिगेडियर के रैंक तक ही दिया जाता है। आर्मी में ब्रिगेडियर की सैलरी 2 लाख 17 हजार रुपये से कुछ ज्यादा है। उन्हें इस पर 15500 रुपये का एमएसपी मिलता है। जिससे कुल सैलरी करीब 2 लाख 33 हजार रुपये हो जाती है। मेजर जनरल की सैलरी 2 लाख 18 हजार रुपये है। इसी तरह लेफ्टिनेंट जनरल की सैलरी करीब 2 लाख 24 हजार रुपये है। उन्हें एमएसपी नहीं मिलता तो इससे उनकी कुल सैलरी ब्रिगेडियर से प्रमोशन पाकर मेजर जनरल बनने पर कम हो जाती है। सैलरी मेट्रिक्स में जहां ब्रिगेडियर की सैलरी 2 लाख 17 हजार रुपये है वहीं मेजर जनरल की उससे कुछ ज्यादा 2 लाख 18 हजार रुपये हैं। लेकिन एमएसपी न होने से मेजर जनरल की कुल सैलरी कम हो जाती है।
यह मसला 2013 से चल रहा है और आर्मी की तरफ से इसे बार बार उठाया भी जाता रहा है। सूत्रों के मुताबिक अब आर्मी ने ब्रिगेडियर से ऊपर रैंक में ‘पर्सनल पे’ का प्रस्ताव दिया है जिसे रक्षा मंत्रालय ने तो मान लिया है लेकिन पिछले साल जनवरी से ही यह वित्त मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इसमें कहा गया कि मेजर जनरल को उनकी सैलरी 2 लाख 18 हजार के साथ 14900 रुपये का पर्सनल पे दिया जाए ताकि उनकी कुल सैलरी ब्रिगेडियर जितनी तो हो जाए। इसी तरह लेफ्टिनेंट जनरल को भी पर्सनल पे दे कर उनकी कुल सैलरी ब्रिगेडियर जितनी की जाए।
कई मेजर जनरल और लेफ्टिनेंट जनरल इस मुद्दे को लेकर आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल में भी गए जिनमें से 13 केस में ट्रिब्यूनल ने उनके पक्ष में फैसला दिया। 13 जजमेंट में से तीन एयरफोर्स के थे जो एयरफोर्स ने लागू भी कर दिए। इससे जुड़ा एक केस रिटायर्ड मेजर जनरल ने 68 दूसरे अधिकारियों के साथ मिलकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में लगाया है। इसकी अगली सुनवाई 21 फरवरी को होनी है। कोर्ट ने इस तारीख से पहले रक्षा मंत्रालय और डीएमए से कंप्लाइंस (अनुपालन) रिपोर्ट देने को कहा है।