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तृणमूल कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा को सर्वसम्मति से विपक्ष का उम्मीदवार चुना गया है

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राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष की ओर से तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा साझा उम्मीदवार बनाये गये हैं. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को इसकी घोषणा की और कहा कि हमने (विपक्षी दलों ने) सर्वसम्मति से फैसला किया है कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के आम उम्मीदवार होंगे.
विपक्ष की ओर से श्री सिन्हा को उम्मीदवार बनाये जाने से यहां लोगों में खुशी का माहौल है. मालूम हो कि यशवंत सिन्हा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत हजारीबाग के चौक-चौराहे से की है. हालांकि हजारीबाग ने पहले ही देश को यशवंत सिन्हा के रुप में वित्त एवं विदेश मंत्री दिया है.इस बीच यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया है कि टीएमसी में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी, उसके लिए मैं ममता जी का आभारी हूं. अब वह समय आ गया है जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से हटकर अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए. मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार करती है. इस बीच उनके बेटे जयंत सिन्हा ने पिता की उम्मीदवारी को लेकर कुछ भी कहने से बचते नजर आए. उन्होंने कहा कि देखते हैं आगे क्या होगा.यशवंत सिन्हा का जन्म 6 सितंबर 1937 में पटना में हुआ. प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए. अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे. इस बीच उन्होंने जर्मनी के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव के रूप में भी सेवा दी. 1984 के बीच भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवा दी. 24 साल से अधिक प्रशासनिक सेवा करने के बाद वह राजनीति में आए.उन्होंने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दिया. जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में जुड़े. 1988 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा भेजा. 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने. मार्च 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया. उस दिन से लेकर 22 मई 2004 तक संसदीय चुनाव के बाद नयी सरकार के गठन तक विदेश मंत्री रहे. लेकिन उनके राजनीतिक करियर में 2004 में उस समय भूचाल आ गया, जब उन्हें लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. हजारीबाग से कम्युनिस्ट पार्टी के नेता भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने उन्हे हराकर हजारीबाग का सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया. लेकिन 2005 में फिर से सांसद बन गये. 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. फिर 13 मार्च 2021 में वे ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए.

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