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नई दिल्ली में आठ से 10 सितंबर तक आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भी आने वाले विदेशी मेहमान मधुबनी पेंटिंग की कलाकृतियों से रूबरू होंगे।

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बिहार का मधुबनी जिला कला संस्कृति और पेंटिंग के लिए विश्व विख्यात है। हम जब भी बिहार का जिक्र करते हैं तो मिथिला पेंटिंग का जिक्र जरूर आता है।

नई दिल्ली में आठ से 10 सितंबर तक आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भी आने वाले विदेशी मेहमान मधुबनी पेंटिंग की कलाकृतियों से रूबरू होंगे। इसके लिए मधुबनी पेंटिंग की कलाकार नेशनल अवार्डी 60 वर्षीय शांति देवी का चयन किया गया है।

जितवारपुर की रहने वाली शांति देवी प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित प्रत्यक्ष प्रदर्शनी सह बिक्री कार्यक्रम में भाग लेंगी। इसमें प्रदर्शनी लगाने के साथ अपनी कला का लाइव डेमो देंगी। इसके लिए वह दिल्ली पहुंच चुकी हैं।

शांति देवी 40 साल से कलाकृति से जुड़ी हैं- शिवन पासवान 

बता दें कि शांति देवी के पति शिवन पासवान भी नेशनल अवॉर्डी हैं और कई सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैं। नेशनल अवॉर्ड विजेता शिवन पासवान ने बताया कि पत्नी पिछले 40 वर्षों वे मधुबनी पेंटिंग की कला से जुड़ी हैं।

शिवन पासवान ने कहा कि परिवार के अन्य सदस्य भी मधुबनी पेंटिंग बनाते हैं। मुख्य रूप से इन्होंने राजा सहलेस (मिथिला हरिजन लोक चित्रकारी) की पेंटिंग बनाई है।

वहीं, शांति देवी ने बताया कि यह उनके और मधुबनी पेंटिंग के लिए गौरव की बात है। विदेशी मेहमानों को बताया जाएगा कि मधुबनी पेंटिंग की क्या खासियत है, कैसे बनाई जाती है, रोजगार का क्या नजरिया है? विदेश में इसकी पहचान और मजबूत कैसे होगी?

उन्होंने कहा कि आठ और नौ सितंबर को विभिन्न राज्यों से वहां पहुंचे कलाकारों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जी-20 देशों के प्रतिनिधि बैठक करेंगे और उनकी कला के बारे में सवाल-जवाब का सेशन होगा।

मैथिली, जापानी भाषा में मेहमानों से शांति देवी करेंगी बात 

मिथिला पेंटिंग के कलाकार शांति देवी ने बताया कि बैठक से पहले सभी कलाकारों से यह जानकारी ली जा रही है कि कौन, किस भाषा में विदेशी मेहमानों से बात करने में सहज है।

मेहमानों ने बताया कि वे मैथिली और जापानी भाषा का इस्तेमाल करेंगे। शांति देवी लंबे समय तक जापान में रही हैं, इसलिए उन्हें जापानी भाषा अच्छी तरह से आती है।

शांति देवी ने कहा कि इसके अलावा कन्नड़, तेलगु, तमिल भाषा की भी जानकारी है। पहले विदेशी मेहमानों का अभिनंदन मैथिली में करेंगी। कलाकारों को एक ट्रांसलेटर दिया जाएगा।

बैठक में वे मधुबनी पेंटिंग को दुनिया भर में कैसे बड़ा बाजार मिले और कलाकारों की आर्थिक स्थिति में कैसे सुधार हो, इस पर अपनी बात रखेंगी। शांति देवी को एक स्टॉल दिया गया है, जहां वे अपनी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाकर बेच सकती हैं।

हमारी पहली पेंटिंग दो रुपये में बिकी थी- शांति देवी 

जानकारी के मुताबिक, शांति देवी पहली बार 1981 में मधुबनी पेंटिंग की प्रदर्शनी के लिए दिल्ली गई थीं। 1983 में पहली बार इस कला को लेकर विदेश (डेनमार्क) गईं।

इन्होंने जापान में भी अपनी कला का प्रदर्शन लंबे समय तक किया। शांति देवी कहती हैं कि उनकी पहली पेंटिंग दो रुपये में बिकी थी और आज से 25 हजार से लेकर 60 हजार तक बिकती है।

उनका कहना है कि पति और परिवार के लोगों ने काफी सहयोग किया। इसके कारण हमनें यह मुकाम हासिल किया।

इन राज्यों की इन कला का प्रदर्शन

जी-20 सम्मेलन में प्रमुख राज्यों के उत्पाद जिनकी प्रदर्शनी लगेगी उसमें बिहार से मधुबनी पेंटिंग, पंजाब से फुलकारी, कश्मीर से पपीयर माचे, उत्तराखंड से नेटर फाइबर, हिमाचल प्रदेश से चंबा रुमाल, उत्तर प्रदेश से चिकनकारी, ब्रोकेड (छापाकारी), झारखंड से ट्राइबल्स ज्वेलरी शामिल हैं।

इसके अलावा महाराष्ट्र से कोल्हापुरी चप्पल, गुजरात से पाटन पटोला, राजस्थान से बंधेज, पिछवाई पेंटिंग, मध्य प्रदेश से चंदेरी विविंग व बाघ प्रिंटिंग।

हस्तशिल्प कला, वस्त्र मंत्रालय, मधुबनी के सहायक निदेशक विभूति कुमार झा ने बताया कि जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए शांति देवी का चयन हुआ है। वहां वे सात से 10 सितंबर तक रहेंगी। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के हाथों उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं।

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