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विद्यार्थी जीवन भविष्य गढ़ने का स्वर्णिम समय- विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र

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विभाग अध्यक्ष एवं संकाय अध्यक्ष समाजशास्त्र श्रीमती तारामणि श्रीवास्तव ने कहा है कि विद्यार्थी जीवन भविष्य गढ़ने का स्वर्णिम समय होता है। विद्यार्थी जीवन ही सर्वश्रेष्ठ जीवन होता है। विद्यार्थी जीवन में अध्ययन, चिंतन और मनन के द्वारा विद्या अर्जित करना विद्यार्थी का दायित्व होता है। गुरुजनों के आज्ञा का पालन करना तथा विद्यालय में अनुशासन में रहना यह महत्वपूर्ण दायित्व होता है। धार्मिक संस्कारों को अपने हृदय में विकसित करना विद्यार्थी का दायित्व है। उन्होंने शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी। विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र श्रीमती तारामणि श्रीवास्तव आज पंडित शंभूनाथ विश्वविद्यालय शहडोल में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह को संबोधित कर रही थी।   विभागाध्यक्ष श्रीमती तारामणि श्रीवास्तव ने कहा है कि शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। शिक्षा के दरवाजे से दुनिया के सारे राज खुलते हैं। हम पढ़ें, आगे बढ़ें और सूरज सा चमकें। एकाग्रचित होकर पढ़ोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। अर्जुन श्रेष्ठ विद्यार्थी था, उसे हमेशा चिड़िया की आँख दिखाई देती थी। आप भी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित्त हों। प्रदेश के हर बच्चे की अच्छी शिक्षा के लिये सरकार हर आवश्यक सुविधा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि मैं आज भी सिखाती हूं मैं खुद को एक विद्यार्थी की तरह देखती हूं। सीखना जीवन में कभी समाप्त नहीं होता, ज्ञान कहीं से भी मिले उसे अर्जन कर लेना चाहिए।            उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं। कहा जाता है कि जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है, लेकिन जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं। सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए भारतभर में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है। 'गुरु' का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है।   कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर डॉ. मनीष नेगी ने कहा कि कहा कि देश एवं मध्य प्रदेश में विद्यार्थी निरंतर प्रतिभा प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रतिभा को आगे बढ़ने में कोई बंधन आड़े नहीं आते। चाहे बेटा हो या बेटी, सामान्य बच्चे हों या दिव्यांग प्रतिभाशाली बच्चों ने सभी बंधनों को तोड़ कर सफलता अर्जित कर दिखाई है। निश्चित ही मध्यप्रदेश इन विद्यार्थियों पर गर्व कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज मैं आपके भविष्य के संबंध में बात करने आया हूं। आपका भविष्य कैसा होगा यह आप पर निर्भर है, आप भविष्य में क्या बनेंगे यह भी आप पर निर्भर करता है।             कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर डॉ. सौरभ शिवा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि क्षमता और बुद्धि के मामले में कोई पीछे नहीं होता, सिर्फ प्रयास करने की आवश्यकता होती है। दुनिया का ऐसा कोई कार्य नहीं है जो असंभव हो। मनुष्य सिर्फ हाड़ मांस का पुतला नहीं, बल्कि ईश्वर का अंश है। मनुष्य में विद्यमान क्षमताएं असीमित हैं। दृढ़ संकल्प से इनका उपयोग किया जाना चाहिए। परिश्रम से अध्ययन कर बेहतर भविष्य के लिए प्रत्येक विद्यार्थी को तत्पर रहना चाहिए।         कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र सेन ने कहा कि कहा कि विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक छात्र तभी सफल हो सकता है जब वह अनुशासन में रहकर पढ़ाई करेगा। अगर व्यक्ति अनुशासन में रहकर पढ़ाई करता है, तो वह एक दिन निश्चित ही सफल हो जाएगा और आने वाले समय में वह सुखद जिंदगी जिएगा। अगर वही व्यक्ति अनुशासनहीनता को अपनाता है, तो उसे जिंदगी भर हमेशा कठिनाइयों से ही सामना करना पड़ेगा।      कार्यक्रम का शुभारंभ विभाग अध्यक्ष समाजशास्त्र डॉ. तारामणि श्रीवास्तव, प्रोफेसर डॉ. मनीष नेगी, डॉ. सौरभ शिवा, डॉ. सिद्धार्थ मिश्रा, डॉ. जितेंद्र सेन तथा डॉ. राकेश मिश्रा ने मां सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर किया। इस दौरान सरस्वती गायन का गान भी किया गया।         कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने अपनी अपनी बातें रखी तथा छात्रों के द्वारा प्रोफेसर का सम्मान भी किया गया। इस दौरान छात्रों द्वारा गीत संगीत के माध्यम से स्वागत एवं अभिवादन भी किया गया।

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