आवासन और शहरी कार्य मंत्री ने भारत में स्वच्छता क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को बढ़ाने की आवश्यकता को स्वीकार किया।
"कोई भी पहल भारत के विकास के साथ-साथ स्वच्छता आंदोलन को पूरी तहर व्यक्त नहीं कर सकती’’। 2014 में भारत का केवल 37% हिस्सा खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) था। 2019 तक, हमने रिकॉर्ड संख्या में शौचालयों के निर्माण के जरिए लगभग संतृप्ति हासिल कर ली थी", यह विचार आवासन और शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने व्यक्त किए। वह 'विश्व शौचालय दिवस' के अवसर पर आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में श्री मनोज जोशी, सचिव, एमओएचयूए, प्रो. डॉ. जैक सिम, संस्थापक, विश्व शौचालय संगठन, सुश्री वीणा रेड्डी, मिशन निदेशक, यूएसएआईडी, सुलभ इंटरनेशनल, एचयूएल, यूनिसेफ, बीएमजीएफ, आईएससी-फिक्की के प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी सरकार भी उपस्थित रहे।
हर साल 19 नवंबर को मनाए जाने वाले विश्व शौचालय दिवस का उद्देश्य शौचालयों से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने में मदद करना और सभी के लिए स्वच्छता को वैश्विक विकास प्राथमिकता बनाना है। यह दिन भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शौचालय भारत के स्वच्छता आंदोलन का केंद्र बिंदु थे, जिन्होंने स्वच्छता और स्वच्छता संबंधी असंख्य चिंताओं का निवारण किया।
2014 के बाद से स्वच्छता पर सरकार के बढ़े हुए फोकस का हवाला देते हुए श्री पुरी ने भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वच्छता पहल – ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के शुभारंभ को महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में याद किया।
स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से शहरी भारत में स्वच्छता परिदृश्य में हुए कायापलट के बारे में श्री पुरी ने मिशन के तहत अभूतपूर्व दर से शौचालयों का निर्माण किए जाने का उल्लेख किया, जिसने ओडीएफ शहरी क्षेत्रों के साहसिक लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद की है।
श्री पुरी ने कहा कि व्यवहार में परिवर्तन लाने का सबसे बड़ा कार्यक्रम एसबीएम-यू है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक जन आंदोलन बन चुका है और इसे अभूतपूर्व जन भागीदारी प्राप्त हुई है।
श्री पुरी ने बताया कि इस मिशन ने महिलाओं, लड़कियों और स्वच्छता कार्यकर्ताओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। उन्होंने कहा कि इस मिशन ने महिलाओं के अनुकूल शौचालयों को बढ़ावा दिया है, आकस्मिक श्रमिकों को औपचारिक दर्जा दिया है और स्वच्छता में महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को प्रोत्साहित किया है, जिससे महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण हुआ है। उन्होंने एसबीएम द्वारा स्वच्छता कर्मियों की सुरक्षा और सम्मान पर दिए गए फोकस पर भी गौर किया।
आवासन और शहरी कार्य मंत्री ने भारत में स्वच्छता क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों को बढ़ाने की आवश्यकता को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक सिविल सोसायटी और गैर सरकारी संगठन स्वच्छता अभियान को बढ़ाने के हमारे प्रयासों में शामिल हों। श्री पुरी ने इस आंदोलन को अगले स्तर तक ले जाने में निजी क्षेत्र के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
सभा को संबोधित करते हुए श्री पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि स्वच्छता और साफ-सफाई एक ऐसा क्षेत्र है जहां आप लोगों के जीवन को छू सकते हैं और इसका प्रभाव वास्तव में संतोषजनक होगा।
एमओएचयूए के सचिव श्री मनोज जोशी ने इस अवसर पर कहा, “अगले कुछ वर्षों में कचरा डंपसाइट को हटाना मुख्य हाईलाइट होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम दूसरे स्तर पर जाएं, जहां लोग प्रभाव को आसानी से देख सकें। वॉश क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरूरत है। हमें आकांक्षी शौचालयों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है और इसके लिए हमें निजी क्षेत्रों और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी की आवश्यकता है।”
विश्व शौचालय संगठन के संस्थापक और निदेशक प्रोफेसर डॉ. जैक सिम ने सार्वजनिक शौचालयों के प्रबंधन और सार्वजनिक शौचालयों में शामिल बुनियादी मुद्दों के वैश्विक अनुभव को साझा किया और इसे एबीसी: आर्किटेक्चर, बिहेव्यिर, क्लीनिंग के माध्यम से संक्षेप में प्रस्तुत किया। मंच पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “अगर हर कोई स्वच्छ शौचालय की मांग करता है, तो शौचालय के मालिक को लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा। इसलिए, फोकस व्यवहार परिवर्तन पर है।”
इस कार्यक्रम के तहत 19 नवंबर, विश्व शौचालय दिवस से 25 दिसंबर, सुशासन दिवस तक 5 सप्ताह के क्लीन टॉयलट चैलेंज का शुभारंभ किया गया। इस पहल की संकल्पना विश्व शौचालय दिवस 2023 की थीम "सुरक्षित स्वच्छता के लिए त्वरित परिवर्तन" के अनुरूप की गई है। यह अपने तरह का प्रथम नामांकन-आधारित टॉयलट चैलेंज है, जिसका उद्देश्य 5-सप्ताह लंबे सामूहिक स्वच्छता और रखरखाव अभियान के माध्यम से शहरी भारत में सभी शौचालयों के संचालन और रखरखाव में सुधार लाने के उद्देश्य से सीटी/पीटी की कार्यक्षमता और स्थिरता सुनिश्चित करना है। परिणाम का उद्देश्य कार्यात्मक, सुलभ, स्वच्छ, पर्यावरण के अनुकूल और सभी के लिए सुरक्षित एसबीएम शौचालयों पर ध्यान केंद्रित करना है।
स्वच्छ शौचालय चैलेंज का उद्देश्य स्वच्छता, सुलभता, डिजाइन में नवाचार और कार्यक्षमता का उदाहरण पेश करने वाले मॉडल सार्वजनिक शौचालयों को पहचानना भी है। यूएलबी, पैरास्टैटल निकाय, निजी संगठन अपने सर्वोत्तम मॉडल सीटी/पीटी को नामांकित कर सकते हैं। प्रत्येक आवेदक केवल 1 शौचालय मॉडल नामांकित कर सकता है। विशिष्ट ओएंडएम मॉडल सहित उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शौचालयों को 1 से 10 दिसंबर, 2023 तक नामांकित किया जा सकता है। नामांकन फॉर्म 1 दिसंबर से माईगोव पोर्टल पर लाइव उपलब्ध होगा। एमओएचयूए द्वारा इस चुनौती के माध्यम से चुने गए सर्वश्रेष्ठ मॉडल शौचालयों को राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होगी और 2024 की शुरुआत में जारी होने वाले एक प्रकाशन में भी प्रदर्शित किया जाएगा।
शहरी स्वच्छता की जटिल चुनौतियों का समाधान करने के लिए एमओएचयूए ने पार्टनर्स फोरम फॉर एसबीएम-यू 2.0 भी लॉन्च किया है। यह फोरम विकास साझेदारों और सेक्टर साझेदारों से परे, कॉरपोरेट्स, पीएसयू, लाइन मंत्रालयों/ वॉश क्षेत्र से जुड़े विभागों, अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण संस्थानों आदि के लिए साझेदारी की कल्पना करता है। पार्टनर्स फोरम को अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे और सेवाओं, ओ एंड एम मॉडल, संचार और आउटरीच, प्रौद्योगिकी, आईटी-सक्षमता और ज्ञान प्रबंधन, क्षमता निर्माण, आईईसी/बीसीसी, अनुसंधान और अध्ययन आदि सहित सहयोग के संभावित क्षेत्रों के साथ लॉन्च किया गया है।
इस कार्यक्रम में सुरक्षित स्वच्छता पर केंद्रित कई दिलचस्प विषयों पर व्यावहारिक चर्चाएं हुईं। कार्यक्रम के दौरान, एनबीसीसी ने एक ऑडियो विजुअल के माध्यम से नए महत्वाकांक्षी शौचालयों के डिजाइन प्रदर्शित किए, जो स्मार्ट, स्वच्छ सार्वजनिक सुविधाओं में बदलाव का प्रतीक है। भारत स्वच्छता गठबंधन, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, सुलभ इंटरनेशनल, जीएलडब्ल्यूए, निजी संस्थाओं, शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों आदि के विभिन्न विकास भागीदारों और कॉरपोरेट्स ने स्वच्छता और सामुदायिक शौचालय/सार्वजनिक शौचालय से जुड़ी यात्रा के अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम में विभिन्न सेक्टर भागीदारों, विकास भागीदारों, राज्य और शहर के अधिकारियों और कॉर्पोरेट्स से 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।