जनता कांग्रेस को ऐसा प्रचण्ड बहुमत देगी कि भाजपा की हिम्मत नहीं पड़ेगी कि वह तोड़फोड़ करके सरकार बना सके: राजीव शुक्ला
भोपाल, 04 नवम्बर 2023
भारतीय जनता पार्टी जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों की पार्टी है। मैं मप्र आया तो सबसे पहले मुझे अखबारों में वह खबरें पढ़ने को मिलीं कि किस तरह प्रदेश का किसान यूरिया खाद के लिए परेशान हो रहा है। मप्र की शिवराज सरकार पूरी तरह किसान विरोधी है। असल में इसकी वजह यह है कि भाजपा ने सहकारी समितियों को कमजोर कर खाद बेचने का काम भाजपा के कार्यकर्ताओं की दुकानों को दे दिया है जो सत्ताधारी दल के संरक्षण में कालाबाजारी कर रहे हैं। इन सब चीजों से मप्र की जनता त्रस्त हो चुकी है और इस चुनाव में 150 से अधिक सीटों से कांग्रेस की सरकार बनायेगी। राज्यसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने आज मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये यह बात कही।
श्री शुक्ला ने कहा कि यह चुनाव अब महत्वपूर्ण चुनाव हो चुका है। वर्ष 2018 में मिले जनता के बहुमत को बदलकर इन्होंने जबरदस्ती भारतीय जनता पार्टी की सरकार थोपने का काम किया था। इस बार जनता इतना बहुमत देगी कि उनकी हिम्मत नहीं पड़ेगी की तोड़फोड़ करके सरकार बना सकें। पुराने जमाने में लोग कहते थे कि सत्य की बड़ी शक्ति होती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के समय में झूठ की शक्ति दिखाई दे रही है। यह इतनी घोषणा कर देते हैं कि जो रेवडी के साथ गट्टे मिलते हैं उनसे आगे भी निकल जाते हैं।
श्री शुक्ला ने कहा कि इन्होंने शक्तियों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है, गवर्नमेंट एजेंसियों का उपयोग करके भाजपा ने धनबल के जरिए विपक्ष को दबाना और धमकाना शुरू कर दिया है। जनता ने जिस तरह से कर्नाटक में जनादेश दिया कि यह तोड़फोड़ जोड़-तोड़ से बहुत दूर हो चुके हैं, वैसा ही मध्य प्रदेश में होने वाला है। उन्होंने कहा कि आप देख रहे होंगे कि आज पूरे मध्य प्रदेश में किसान बीज और खाद के लिए आंदोलन कर रहा है और सड़कों पर है।
श्री शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार और भारतीय जनता पार्टी का डीएनए वही है, जो जनता पार्टी का है। आप अपने पुराने लोगों से पूछियेगा यह जमाखोर, मुनाफाखोरों की पार्टी है।
भाजपा को आम जनता से कोई मतलब नहीं रहता है इसलिए आज किसान परेशान है। भारतीय जनता पार्टी को किसानों से क्या समस्या है कि यह किसानों के कर्ज माफ नहीं करते हैं? यह अपने कोई वादे पूरे नहीं करते हैं, आप 2014 का इतिहास देख लीजिए, इन्होंने कहा था कि 2 करोड लोगों को रोजगार दिया जाएगा, नौकरी दी जाएगी, लेकिन क्या इन्होंने यह पूरा किया?
यह चुनाव से पहले घोषणा करते हैं, लेकिन उनको कभी पूरा नहीं करते हैं। जबकि हमारी सरकार बनी थी तो यहां के मुख्यमंत्री ने पहली कैबिनेट में किसानों का कर्ज माफ किया था।
श्री शुक्ला ने कहा कि पुरानी कहावत है कि तवे पर रोटी पलटते रहना चाहिए, अगर रोटी पलटते नहीं है तो जल जाती है। इसलिए मप्र में 18 साल की भाजपा सरकार को पलटने की जरूरत है, ताकि ये लोगों को तंग न कर सकें, महिलाओं पर अत्याचार न कर सकें और आदिवासियों के सिर पर पेशाब न कर सकें। उन्होंने कहा कि बगल के राज्य छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल जी की सरकार किसानों को धान पर 2600 रू. क्विंटल समर्थन मूल्य दे रहे हैं पर लेकिन यहां पर नहीं मिल रहा है।
शिवराज सिंह सरकार का ‘किसान विरोधी’ शासन अन्नदाता की कमर तोड़ने पर आमादा है। जो किसान पूरे प्रदेश का पेट पालता है, आज उसी के पेट पर लात मारने का काम शिवराज सिंह सरकार कर रही है।
शिवराज सिंह सरकार के कुशासन के चलते जब मध्यप्रदेश महिलाओं के खिलाफ़ अपराध में, आदिवासियों के शोषण में, कुपोषण में, नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण में, महिलाओं के अपहरण में, शिशु मृत्यु दर में, 1 शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में पूरे देश में अव्वल नम्बर पर है, तो भला किसान प्रताड़ना और अत्याचार से कैसे अछूते रह सकते हैं?
आज पूरे प्रदेश में किसान खाद की कमी से परेशान है। दिन भर खाद के लिए लाइन में खड़े रहने पर भी किसान भाइयों को शाम को खाली हाथ लौटना पड़ता है। देवास में 31 अक्टूबर के दिन सुबह 5 बजे से खाद की मांग कर रहे किसानों को जब 3 नवम्बर तक खाद के दर्शन भी नहीं हुए तो विरोध में उन्होंने चक्का जाम किया। धीरे-धीरे यही हाल पूरे प्रदेश का हो रहा है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में खाद और यूरिया का ये संकट हर साल आता है और शिवराज सिंह चादर तान कर सोते रहते हैं।ये बात जग जाहिर है कि गेहूं की फसल के लिए 16 वें से 22 वें दिन के बीच यूरिया छिड़ककर सिंचाई अनिवार्य है। किन्तु सरकार की नाकामी के कारण किसान समय पर यूरिया छिड़ककर सिंचाई नहीं कर पाते और उत्पादन प्रभावित होता है। यह किसानों की ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की क्षति है।
एक तरफ तो भाजपा सरकारों ने पहले ही खाद की बोरी का वज़न 50 किलो से घटा कर 45 किलो कर दिया और ऊपर से दाम बढ़ा कर लगभग 300 रू. तक पहुँचा दिया। जो Cooperatives मे सस्ती खाद और यूरिया मुहैया करवाते थे उन्हें कमज़ोर कर भाजपा कार्यकर्ताओं की दुकानें खुलवा कर काला बाज़ारी को चरम कर पहुँचा दिया।पिछले साल मुरैना में लाइसेंसी दुकानदारों की कालाबाज़ारी का बड़ा भांडाफोड़ हुआ था। एक-एक दुकानदार के Online Record में 1000 से ऊपर बोरे होते थे, जबकि गोदामों में करीब 100 बोरे पाए जाते थे यानि केवल 10 प्रतिशत। आज स्थिति ये है कि निजी व्यवसायिओं के पास खाद उपलब्ध हैं, जिसकी काला बाज़ारी धड़ल्ले से हो रही है। 280-290 रू. की बोरी ब्लैक में 700 रू. में बेची जा रही है। सरकार जान बूझकर किल्लत पैदा कर रही है, ताकि कालाबाजारीयों की पौ-बारह हो सकें।
भाजपा का किसान विरोधी चेहरा तो उनके सत्ता में आते ही उजागर हो जाता है। 2021 में मोदी सरकार ने DAP खाद के 50 किलो के एक बैग का दाम रातों रात बढ़ा कर 1200 रू. से 1900 रू. कर दिया, यानि कि UPA सरकार के कार्यकाल में जो DAP खाद का बैग 1075 रू. में मिलता था वो भाजपा सरकार ने 1900 रू. का कर दिया। देश के किसानों पर इससे 13,020 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा जिसमें मध्यप्रदेश के एक करोड़ किसान भी शामिल हैं।
NPKS के 50 किलो के एक बैग की कीमत 1175 रू. से बढ़ा कर 1775 रू. कर दी। Complex Fertilizer का एक बैग 925 रू. से बढ़ा कर 1350 रू. कर दिया गया। Potash खाद 450 रू. प्रति बैग से बढ़ा कर 920 रू. प्रति बैग कर दी गयी। यानि कि तथाकथित Double Engine की सरकार नें किसानों की आय दुगनी करने के बजाए किसानों पर 20,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ लाद दिया।
यही नहीं ट्रैक्टर पर 28 प्रतिशत ळैज् तो लगाया ही, कृषि उपकरणों तक को नहीं छोड़ा। हंसिया, कुदाली, फावड़ा, सिंचाई के पाइप, सीड ड्रिल पर 18 प्रतिशत ळैज् और मोटरपंप, थ्रेशर आदि पर 12 प्रतिशत ळैज् लगा कर किसान की कमर तोड़ने का हर मुमकिन प्रबंध कर दिया।
2008 के भाजपा के घोषणापत्र में किसानों का 50,000 रू. तक का कर्ज़ माफ़ करने का जो वादा किया था उससे शिवराज सिंह सरकार पूरी तरह मुकर गयी। उल्टा भाजपा कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में नारा लगा कर घूमने लगे -
कैसा कर्ज़ा, कैसा माफ़
हम तो जीते अपने आप
इसके ठीक विपरीत कांग्रेस की कुछ महीनों की कमलनाथ सरकार ने, 27 लाख किसानों का 11,500 करोड़ माफ़ किया था और ये तथ्य भाजपा कृषि मंत्री कमल पटेल ने विधानसभा में स्वीकारा था।
तो शिवराज सिंह चौहान से हम पूछते हैं -
जहाँ कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ गेंहू और धान के 2500 रू. और 2600 रू. MSP दे रहा है, मध्यप्रदेश में केवल 2125 रू. क्यों मिल रहे हैं?
शिवराज सिंह सरकार बताए कि उसकी खाद नीति क्या है?
यदि शिवराज सरकार खाद जैसी मौलिक वस्तु भी उपलब्ध नहीं करा सकती तो कृषि मंत्री का औचित्य क्या है?
खाद-यूरिया का दाम बढ़ा कर, कालाबाज़ारी को संरक्षण दे कर, किसानी पर GST लगा कर भाजपा किसान की आय दुगुनी कैसे करेगी?