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उई बाबा ! सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले सावधान रहिएगा जी

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उई बाबा ! सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले सावधान रहिएगा जी   सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर फॉरवर्ड अब सोच समझकर कीजिएगा जी!- यदि किसी विवादित पोस्ट को लाइक भी कर दिया तो आप जेल जा सकते हैं।  सोशल मीडिया पर अब अभद्र, अपमानजनक पोस्ट पर माफ़ी मांग कर आपराधिक कार्रवाई से नहीं बचा जा सकता-सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का संज्ञान लेना ज़रूरी - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया   गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में तेज़ी से विस्तारित हो रहे डिजिटलाइजेशन के कारण विभिन्न प्रकार के ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं, जिन्हें हम सोशल मीडिया के नाम से जानते हैं।आज करीब करीब हरमोबाइल धारकों के पास व्हाट्सएप फेसबुक इंस्टाग्राम सहित ऐसी अनेकों ऐप्स है जिनके माध्यम से वे अपने भावों को व्यक्त करतें है। सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को शेयर करना ,फॉरवर्ड करना या फिर उसे रिट्वीट कर देना काफी आम बात है। किसी भी सोशल मीडिया यूजर को जैसे ही कोई पोस्ट पसंद आता है। अक्सर वह ऐसा ही करते हैं। सोशल मीडिया पर एक विचार का समर्थन दर्शाना अर्थात वह स्वयं का विचार बन जाता है। ऐसे में जानकारी रखना काफी आवश्यक है कि सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को रिट्वीट करना फॉरवर्ड करना या फिर शेयर करना क्या अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं? परंतु उनकी नजर में तो साफ सुथरे और वेज़ होते हैं। परंतु हो सकता है उससे किन्हीं अन्य वर्ग के दिल में ठेस पहुंचा रहे हो, तो फिर वह मैटर बन जाता है और शिकायतों का दौर शुरू हो जाता है जिसे माफी मांग कर समाप्त कर हल निकालने की कोशिश की जाती रही है। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले के अनुसार केवल माफी मांगने से काम नहीं चलेगा, ऐसे लोग माफी मांगकर आपराधिक कार्यवाही का सामना करने से नहीं बच सकते।हमने कई बार देखा है कि कई लोगों के पास फेसबुक या अन्य एप्स 5 हज़ार की अधिकतम सीमाएं तक पहुंच जाते हैं तो फिर वह अपनी प्रसिद्ध को आगेबढ़ाते हुए उसी के पार्ट-2 और पार्ट-3 जोड़ देते हैं और यह संख्या हज़ारों से लाखों तक पहुंच जाती है, जिससे सोच अपने आप को सेलिब्रिटी समझने की ओर सो चली जाती है, तो स्वाभाविक रूप से अनेक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लीक से हटकर पोस्ट शेयर या फॉरवर्ड कर देते हैं जो उनके लिए जी का जंजाल बन जाता है फ़िर माफी मांगते हैं।परंतु अब हम हजारों ग्रुप्स में देखते हैं कि अनेक पोस्ट शेयर फॉरवर्ड किए हुए मिलते हैं जो ऐसे लोगों द्वाराफॉरवर्ड किया जाता है जिनका उनसे कोई लेना देना नहीं होता बस अनर्गल विचार, अनेक विषयों पर लिखते हैं जिनमें कुछ वर्गों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है, लेकिन अब हमें ऐसी पोस्ट शेयर फॉरवर्ड से बचने की जरूरत है वरना हमें आपराधिक कार्यवाही का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। चूंकि 18 अगस्त 2023 को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसले में इस अभद्र अपमानजनक पोस्ट को लेकर टिप्पणियां आई है, ऐसे पोस्ट पर माफी से कम नहीं चलेगा बल्कि आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर फॉरवर्ड अब सोच समझ कर कीजिएगा जी।  साथियों बात अगर हम दिनांक 18 अगस्त 2023 को आए एक अपेक्स कोर्ट के दो जजों की बेंच के जजमेंट की करें तो, सोशल मीडिया पर अभद्र और अपमानजनक पोस्ट को लेकर एक याचिका पर सुनवाई की। बेंच ने कहा कि सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करने वालों को सजा देना जरूरी है, ऐसे लोग माफी मांगकर आपराधिक कार्यवाही से नहीं बच सकते। उन्हें अपने कृत्यों का परिणाम भुगतना होगा। कोर्टने तमिल अभिनेताऔर पूर्व विधायकके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया। उनके खिलाफ महिला पत्रकारों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैकि सोशलमीडिया उपयोगकर्ताओं को इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में सावधान रहने की हिदायत देते हुए अभिनेता और तमिलनाडु के पूर्व विधायक द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। साथियों बात अगर हम इस केस को समझने की करें तो, मामला 2018 का है। उन्होंने अपने फेसबुक पर महिला पत्रकारों को निशाना बनाते हुए एक आपत्तिजनक पोस्ट किया था। दरअसल, एक महिला पत्रकार ने तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल पर अभद्रता का आरोप लगाया था। महिला पत्रकार के इस आरोप पर उन्होंने अपनी राय रखी थी। उनके इस पोस्ट के बाद काफी विवाद हुआ था। एक राजनीतिक पार्टी ने उनके इस्तीफे की मांग की,इस पोस्ट को लेकर तमिलनाडु में उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए।जैसे ही उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, उन्होंने तुरंत अपना पोस्ट हटा दिया और बिना शर्त माफी मांगी। एक्टर ने किसी और का पोस्ट शेयर किया था। उस समय उनकी दृष्टि धुंधली हो गई थी क्योंकि उन्होंने अपनी आँखों में दवा डाल रखी थी। इस वजह से वे देख नहीं पाए कि पोस्ट में क्या लिखा है। सोशल मीडिया पर एक्टर विधायक को कई लोग फॉलो करते हैं, जिसके चलते उनके शेयर करते ही यह पोस्ट वायरल हो गई। एक्टर के वकील ने तर्क दिया कि घटना के दिन एक्टर विधेयक अपनी आंखों में कुछ दवा डाल ली थी, जिसके कारण वह अपने द्वारा साझा की गई पोस्ट की सामग्री को नहीं पढ़ नहीं सके। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को सोशल मीडिया का इस्तेमाल जरूरी लगता है तो उसे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने पोस्ट से संबंधित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका लगाई थी जिसे खारिज कर दिया गया है। बेंच ने याचिकाकर्ता का के वकील से कहा कि अगर कोई सोशल मीडिया का उपयोग करता है, तो उसे इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए।  साथियों बात अगर हम पोस्ट शेयर और फॉरवर्ड के संबंध में भारतीय कानूनों को जानने की करें तो, भारतीय कानून में यूं तो लगभग हर तरह के अपराधों को लेकर प्रावधान और सजा बनाएं गया है।लेकिन ऐसा कोई भी प्रत्यक्ष प्रावधान नहीं है जो सोशल मीडिया पर पोस्ट को रिट्वीट करने फॉरवर्ड करने या शेयर करने को एक अपराध घोषित करता हो। हालांकि, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत कई प्रावधान ऐसे जरूर होते हैं, जिनके तहत आपराधिक दायित्व बनते हैं। इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के सेक्शन 67 के अंतर्गत किसी तरह की अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित करना या प्रसारित करना अपराध है, जिसके लिए 3 साल तक की सजा और फाइन का भी प्रावधान है। वही सेक्शन 67 (ए ) इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में बच्चों से संबंधित किसी तरह की यौन कृत्य वाली सामग्री के प्रकाशित या प्रसारित करने को लेकर भी दंड का प्रावधान है। इसमें 5 वर्ष की कैद और फाइन का प्रोविशन दिया गया है तथा अपराध सिद्ध हो जाने पर 7 वर्ष की सजा और एक्सपेंडेड फाइंड भी किया जा सकता है।इसके अलावा भारतीय दंड संहिता के कुछ सेक्शन जैसे 153(ए) 153(बी) 293, 295(ए) 499 यह सब सांप्रदायिक घृणा अश्लीलता धार्मिक भावनाओं, को आहत करने और मानहानि से संबंधित हैं। अर्थात यह उस व्यक्ति खिलाफ लागू हो सकते हैं जो अपमानजनक या आपत्तिजनक संदेश साइबर स्पेस से भेजा या शेयर किया जाता है। अब तक इस संबंध में भारतीय न्यायालय द्वारा कोई भी अधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन कुछ केसेस में ध्यान देने योग्य बात ज़रूर कही गई है ।जिससे कुछ बाते स्पष्ट होती है जैसे कि मद्रास हाई कोर्ट ने 2018 में जजमेंट देते हुए नेता व एक्टर की ए बी ए डिसमिस कर दी थी और कहा था कि सोशल मीडिया पर किसी संदेश को शेयर करना फॉरवर्ड करना उसको स्वीकार करना है और समर्थन करने जैसा ही है। शब्द कृत्यों से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं ।जैसे कि एक सेलिब्रिटी किसी तरह का संदेश को फॉरवर्ड करता है तो आम जनता या मानने लगती कि इस तरह की चीजें ही चल रही है। इसी मैटर में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसका निर्णय अभी आया है।  अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि  उई बाबा ! सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले सावधान रहिएगा जी।सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर फॉरवर्ड अब सोच समझकर कीजिएगा जी!- यदि किसी विवादित पोस्ट को लाइक भी कर दिया तो आप जेल जा सकते हैं।सोशल मीडिया पर अब अभद्र, अपमानजनक पोस्ट पर माफ़ी मांग कर आपराधिक कार्रवाई से नहीं बचा जा सकता सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का संज्ञान लेना ज़रूरी है।   -संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर फॉरवर्ड अब सोच समझकर कीजिएगा जी!- यदि किसी विवादित पोस्ट को लाइक भी कर दिया तो आप जेल जा सकते हैं।

सोशल मीडिया पर अब अभद्र, अपमानजनक पोस्ट पर माफ़ी मांग कर आपराधिक कार्रवाई से नहीं बचा जा सकता-सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का संज्ञान लेना ज़रूरी - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां में तेज़ी से विस्तारित हो रहे डिजिटलाइजेशन के कारण विभिन्न प्रकार के ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं, जिन्हें हम सोशल मीडिया के नाम से जानते हैं।आज करीब करीब हरमोबाइल धारकों के पास व्हाट्सएप फेसबुक इंस्टाग्राम सहित ऐसी अनेकों ऐप्स है जिनके माध्यम से वे अपने भावों को व्यक्त करतें है। सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को शेयर करना ,फॉरवर्ड करना या फिर उसे रिट्वीट कर देना काफी आम बात है। किसी भी सोशल मीडिया यूजर को जैसे ही कोई पोस्ट पसंद आता है। अक्सर वह ऐसा ही करते हैं। सोशल मीडिया पर एक विचार का समर्थन दर्शाना अर्थात वह स्वयं का विचार बन जाता है। ऐसे में जानकारी रखना काफी आवश्यक है कि सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को रिट्वीट करना फॉरवर्ड करना या फिर शेयर करना क्या अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं? परंतु उनकी नजर में तो साफ सुथरे और वेज़ होते हैं। परंतु हो सकता है उससे किन्हीं अन्य वर्ग के दिल में ठेस पहुंचा रहे हो, तो फिर वह मैटर बन जाता है और शिकायतों का दौर शुरू हो जाता है जिसे माफी मांग कर समाप्त कर हल निकालने की कोशिश की जाती रही है। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले के अनुसार केवल माफी मांगने से काम नहीं चलेगा, ऐसे लोग माफी मांगकर आपराधिक कार्यवाही का सामना करने से नहीं बच सकते।हमने कई बार देखा है कि कई लोगों के पास फेसबुक या अन्य एप्स 5 हज़ार की अधिकतम सीमाएं तक पहुंच जाते हैं तो फिर वह अपनी प्रसिद्ध को आगेबढ़ाते हुए उसी के पार्ट-2 और पार्ट-3 जोड़ देते हैं और यह संख्या हज़ारों से लाखों तक पहुंच जाती है, जिससे सोच अपने आप को सेलिब्रिटी समझने की ओर सो चली जाती है, तो स्वाभाविक रूप से अनेक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लीक से हटकर पोस्ट शेयर या फॉरवर्ड कर देते हैं जो उनके लिए जी का जंजाल बन जाता है फ़िर माफी मांगते हैं।परंतु अब हम हजारों ग्रुप्स में देखते हैं कि अनेक पोस्ट शेयर फॉरवर्ड किए हुए मिलते हैं जो ऐसे लोगों द्वाराफॉरवर्ड किया जाता है जिनका उनसे कोई लेना देना नहीं होता बस अनर्गल विचार, अनेक विषयों पर लिखते हैं जिनमें कुछ वर्गों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है, लेकिन अब हमें ऐसी पोस्ट शेयर फॉरवर्ड से बचने की जरूरत है वरना हमें आपराधिक कार्यवाही का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। चूंकि 18 अगस्त 2023 को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक महत्वपूर्ण फैसले में इस अभद्र अपमानजनक पोस्ट को लेकर टिप्पणियां आई है, ऐसे पोस्ट पर माफी से कम नहीं चलेगा बल्कि आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर फॉरवर्ड अब सोच समझ कर कीजिएगा जी। 
साथियों बात अगर हम दिनांक 18 अगस्त 2023 को आए एक अपेक्स कोर्ट के दो जजों की बेंच के जजमेंट की करें तो, सोशल मीडिया पर अभद्र और अपमानजनक पोस्ट को लेकर एक याचिका पर सुनवाई की। बेंच ने कहा कि सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करने वालों को सजा देना जरूरी है, ऐसे लोग माफी मांगकर आपराधिक कार्यवाही से नहीं बच सकते। उन्हें अपने कृत्यों का परिणाम भुगतना होगा। कोर्टने तमिल अभिनेताऔर पूर्व विधायकके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया। उनके खिलाफ महिला पत्रकारों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैकि सोशलमीडिया उपयोगकर्ताओं को इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में सावधान रहने की हिदायत देते हुए अभिनेता और तमिलनाडु के पूर्व विधायक द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है।


साथियों बात अगर हम इस केस को समझने की करें तो, मामला 2018 का है। उन्होंने अपने फेसबुक पर महिला पत्रकारों को निशाना बनाते हुए एक आपत्तिजनक पोस्ट किया था। दरअसल, एक महिला पत्रकार ने तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल पर अभद्रता का आरोप लगाया था। महिला पत्रकार के इस आरोप पर उन्होंने अपनी राय रखी थी। उनके इस पोस्ट के बाद काफी विवाद हुआ था। एक राजनीतिक पार्टी ने उनके इस्तीफे की मांग की,इस पोस्ट को लेकर तमिलनाडु में उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए।जैसे ही उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, उन्होंने तुरंत अपना पोस्ट हटा दिया और बिना शर्त माफी मांगी। एक्टर ने किसी और का पोस्ट शेयर किया था। उस समय उनकी दृष्टि धुंधली हो गई थी क्योंकि उन्होंने अपनी आँखों में दवा डाल रखी थी। इस वजह से वे देख नहीं पाए कि पोस्ट में क्या लिखा है। सोशल मीडिया पर एक्टर विधायक को कई लोग फॉलो करते हैं, जिसके चलते उनके शेयर करते ही यह पोस्ट वायरल हो गई। एक्टर के वकील ने तर्क दिया कि घटना के दिन एक्टर विधेयक अपनी आंखों में कुछ दवा डाल ली थी, जिसके कारण वह अपने द्वारा साझा की गई पोस्ट की सामग्री को नहीं पढ़ नहीं सके। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को सोशल मीडिया का इस्तेमाल जरूरी लगता है तो उसे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने पोस्ट से संबंधित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका लगाई थी जिसे खारिज कर दिया गया है। बेंच ने याचिकाकर्ता का के वकील से कहा कि अगर कोई सोशल मीडिया का उपयोग करता है, तो उसे इसके प्रभाव और पहुंच के बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए। 
साथियों बात अगर हम पोस्ट शेयर और फॉरवर्ड के संबंध में भारतीय कानूनों को जानने की करें तो, भारतीय कानून में यूं तो लगभग हर तरह के अपराधों को लेकर प्रावधान और सजा बनाएं गया है।लेकिन ऐसा कोई भी प्रत्यक्ष प्रावधान नहीं है जो सोशल मीडिया पर पोस्ट को रिट्वीट करने फॉरवर्ड करने या शेयर करने को एक अपराध घोषित करता हो। हालांकि, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत कई प्रावधान ऐसे जरूर होते हैं, जिनके तहत आपराधिक दायित्व बनते हैं। इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के सेक्शन 67 के अंतर्गत किसी तरह की अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित करना या प्रसारित करना अपराध है, जिसके लिए 3 साल तक की सजा और फाइन का भी प्रावधान है। वही सेक्शन 67 (ए ) इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में बच्चों से संबंधित किसी तरह की यौन कृत्य वाली सामग्री के प्रकाशित या प्रसारित करने को लेकर भी दंड का प्रावधान है। इसमें 5 वर्ष की कैद और फाइन का प्रोविशन दिया गया है तथा अपराध सिद्ध हो जाने पर 7 वर्ष की सजा और एक्सपेंडेड फाइंड भी किया जा सकता है।इसके अलावा भारतीय दंड संहिता के कुछ सेक्शन जैसे 153(ए) 153(बी) 293, 295(ए) 499 यह सब सांप्रदायिक घृणा अश्लीलता धार्मिक भावनाओं, को आहत करने और मानहानि से संबंधित हैं। अर्थात यह उस व्यक्ति खिलाफ लागू हो सकते हैं जो अपमानजनक या आपत्तिजनक संदेश साइबर स्पेस से भेजा या शेयर किया जाता है। अब तक इस संबंध में भारतीय न्यायालय द्वारा कोई भी अधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन कुछ केसेस में ध्यान देने योग्य बात ज़रूर कही गई है ।जिससे कुछ बाते स्पष्ट होती है जैसे कि मद्रास हाई कोर्ट ने 2018 में जजमेंट देते हुए नेता व एक्टर की ए बी ए डिसमिस कर दी थी और कहा था कि सोशल मीडिया पर किसी संदेश को शेयर करना फॉरवर्ड करना उसको स्वीकार करना है और समर्थन करने जैसा ही है। शब्द कृत्यों से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं ।जैसे कि एक सेलिब्रिटी किसी तरह का संदेश को फॉरवर्ड करता है तो आम जनता या मानने लगती कि इस तरह की चीजें ही चल रही है। इसी मैटर में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसका निर्णय अभी आया है।  अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि उई बाबा ! सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले सावधान रहिएगा जी।सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर फॉरवर्ड अब सोच समझकर कीजिएगा जी!- यदि किसी विवादित पोस्ट को लाइक भी कर दिया तो आप जेल जा सकते हैं।सोशल मीडिया पर अब अभद्र, अपमानजनक पोस्ट पर माफ़ी मांग कर आपराधिक कार्रवाई से नहीं बचा जा सकता सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का संज्ञान लेना ज़रूरी है। 

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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