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मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने की है परंपरा

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मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने की  है परंपरा मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने की  है परंपरा

वैदिक पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि को  मौनी अमावस्या है। इसे माघी या मौनी अमावस्या भी कहते हैं। इस बार माघी अमावस्या 29 जनवरी को है। सनातन धर्म में मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने की परंपरा है। इस शुभ अवसर पर भक्त गंगा तट पर स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गये पाप धुल जाते हैं। मां गंगा की कृपा भी भक्तों पर बरसती है। कुंडली में शामिल अशुभ ग्रहों से मुक्ति मिलती है।  
 इस बार मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी है। इस दिन प्रयागराज में साधु संत और श्रद्धालु गंगा स्नान करेंगे। इससे जीवन के सभी पापों से छुटकारा मिलेगा और पितरों की कृपा प्राप्त होगी।
इस अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मौन व्रत करने का विधान है। इसके अलावा जप, तप और श्रद्धा अनुसार दान भी करना चाहिए। इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है।
इस बार माघी अमावस्या पर कई शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये शुभ योग और इस दौरान क्या करना चाहिए क्या नहीं। मौनी अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास का संयोग मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को सायं 06: 05 मिनट तक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे।
सिद्धि योग
माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या पर सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। सिद्धि योग का संयोग रात 09 बजकर 22 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।
इसके अलावा मौनी अमावस्या पर श्रवण एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।  
शुभ मुहूर्त
माघ अमावस्या तिथि आरंभ: 28 जनवरी, सायंकाल 07:35 मिनट से
माघ अमावस्या तिथि समाप्त: 29 जनवरी, सायंकाल 06: 05 मिनट पर
उदयातिथि के अनुसार  29 जनवरी को माघी या मौनी अमावस्या मानी जाएगी। मौनी अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। साथ ही पूजा के बाद दान-पुण्य कर सकते हैं।

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