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India-US FTA में तेजी, न्यूजीलैंड के बाद अमेरिका के साथ डील की तैयारी, पीयूष गोयल ने दिए संकेत

नई दिल्ली. न्यूजीलैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) फाइनल होते ही भारत अब फुल फॉर्म में दिख रहा है. भारत ने अगला बड़ा दांव अमेरिका की ओर बढ़ा दिया है. वॉशिंगटन के साथ ट्रेड डील को लेकर चर्चाएं तेज हैं और संकेत साफ हैं कि मामला सिर्फ बातचीत तक सीमित नहीं रहा. केंद्रीय वाणिज्य …
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नई दिल्ली.
न्यूजीलैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) फाइनल होते ही भारत अब फुल फॉर्म में दिख रहा है. भारत ने अगला बड़ा दांव अमेरिका की ओर बढ़ा दिया है. वॉशिंगटन के साथ ट्रेड डील को लेकर चर्चाएं तेज हैं और संकेत साफ हैं कि मामला सिर्फ बातचीत तक सीमित नहीं रहा.  केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के ताजा बयान ने यह साफ कर दिया है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील अब कागजों से निकलकर हकीकत की तरफ बढ़ रही है. सवाल बस इतना है कि क्या अगला बड़ा FTA अमेरिका के नाम होगा?

गोयल ने भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर बड़ा संकेत दिया है. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत एडवांस स्टेज में है और दोनों देशों के रिश्तों में तेजी से मजबूती आ रही है. नई दिल्ली में मीडिया को ब्रीफ करते हुए गोयल ने बताया कि भारत अब खुद को ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इससे पहले वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल भी कह चुके हैं कि भारत और अमेरिका के बीच शुरुआती फ्रेमवर्क डील लगभग तय होने के करीब है.

हो चुकी है 6 दौर की बातचीत
अग्रवाल के मुताबिक, दोनों देशों के बीच अब तक 6 दौर की बातचीत हो चुकी है. इसमें बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) और ऊंचे टैरिफ को कम करने के लिए अंतरिम समझौते पर चर्चा हुई है. उम्मीद है कि इससे ज्यादातर भारतीय निर्यात पर लगने वाले भारी टैरिफ घटाए जा सकेंगे.

रीजनल ट्रेड को मिलेगी नई रफ्तार
इस बीच भारत इंडो-पैसिफिक रीजन में भी अपनी आर्थिक मौजूदगी मजबूत कर रहा है. गोयल ने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड एफटीए से रीजनल ट्रेड को नई रफ्तार मिलेगी. यह फाइव आइज देशों के साथ भारत का तीसरा FTA है, इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ समझौता हो चुका है.

भारत को मिलेगा 100% मार्केट एक्सेस
न्यूजीलैंड FTA के तहत भारत को 100% मार्केट एक्सेस मिलेगा. आईटी, टूरिज्म, टेलीकॉम, कंस्ट्रक्शन और ऑडियो-विजुअल जैसे 118 सर्विस सेक्टर्स खुलेंगे. दोनों देशों को उम्मीद है कि अगले 5 साल में बाइलेटरल ट्रेड दोगुना हो सकता है. फार्मा कंपनियों को भी बड़ा फायदा मिलेगा, क्योंकि दवाओं के लिए फास्ट-ट्रैक अप्रूवल और मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड्स की आपसी मान्यता पर सहमति बनी है.

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