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प्रो. अजय अरोड़ा, प्रिंसिपल, रामजस कॉलेज; डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे, चेयरपर्सन, NETF; श्री राकेश भारद्वाज, प्रमुख, पब्लिक अफेयर्स, OPPO इंडिया; डॉ. हरदीप कौर, उप प्रिंसिपल, रामजस कॉलेज

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कार्यक्रम के दूसरे चरण में युवाओं को इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट मैनेजमेंट की बढ़ती चुनौतियों के बारे में शिक्षित किया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में खराब तार, मोबाईल फोन, चार्जर, बैटरी आदि आते हैं, जिन्हें एक सस्टेनेबल भविष्य के लिए प्रभावी तरीके से संभाला जाना आवश्यक है। दूसरे चरण के लॉन्च कार्यक्रम में डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे, चेयरपर्सन, नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। इस अवसर पर अन्य गणमान्य लोगों के साथ श्री राकेश भारद्वाज, हेड, पब्लिक अफेयर्स, OPPO India  और प्रोफेसर अजय कुमार अरोड़ा, प्रिंसिपल, रामजस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी भी मौजूद थे। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न सोसायटीज़, जैसे लिटरेरी सोसायटी, डांसिंग सोसायटी, म्यूज़िक सोसायटी, फोटोग्राफी सोसायटी, क्विज़ सोसायटी, फाईन आर्ट्स सोसायटी आदि के विद्यार्थियों को विभिन्न गतिविधियों में संलग्न किया गया है।     नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम के चेयरपर्सन, डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा, ‘‘ई-वेस्ट का जिम्मेदारीपूर्वक प्रबंधन हमारे पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा के क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी एक रिपल प्रभाव उत्पन्न करने के लिए जरूरी है, ताकि समाज में व्यापक परिवर्तन लाने में मदद मिले। ‘जनरेशन ग्रीन’ जैसे अभियान युवाओं को इस समस्या के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने में समर्थ बनाते हैं। युवाओं को शिक्षित करके और उनमें जिम्मेदारी के भाव का विकास करके हम एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण कर सकते हैं, जो सस्टेनेबल विधियों को प्राथमिकता दे, उचित ई-वेस्ट मैनेजमेंट सुनिश्चित करे और सभी के लिए एक हरित एवं स्वस्थ भविष्य के निर्माण में योगदान दे।’’     एक महीने के अंदर ही, स्कूलों और कॉलेजों के 1 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों ने कम ऊर्जा का उपयोग करने और जिम्मेदारीपूर्वक ई-वेस्ट प्रबंधन का संकल्प लिया है, जिससे ज्यादा सस्टेनेबल जीवनशैली में योगदान मिलेगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2024 के अंत तक भारत में कम से कम 10 लाख विद्यार्थियों तक पहुँचना है।     OPPO India में हेड, पब्लिक अफेयर्स, राकेश भारद्वाज ने कहा, ‘‘OPPO India में हम भारत सरकार के नेट-ज़ीरो के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम एक सस्टेनेबल भविष्य की ओर राष्ट्रीय अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं, जो युवाओं की शक्ति से संचालित हो।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘इस अभियान में उनकी तल्लीनता और गतिशीलता से उनका सक्रिय योगदान प्रदर्शित होता है, जो कुछ ही हफ्तों में 1 लाख से ज्यादा हरित संकल्पों तक पहुँच चुका है। युवा लोग आगे आ रहे हैं, जिम्मेदारी ले रहे हैं, और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार जीवनशैली अपनाने में सबका नेतृत्व कर रहे हैं। पहले चरण में हमारे साथ 20 राज्यों और 3 केंद्रीय प्रांतों के 5,000 सस्टेनेबिलिटी चैंपियन जुड़े, जो अब अन्य लोगों को स्वच्छ और सस्टेनेबल भविष्य की ओर प्रयास करने की प्रेरणा दे रहे हैं। दूसरे चरण के साथ ये युवा नेतृत्वकर्ता भारत के कॉलेजों में सक्रिय सहभागिता द्वारा ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर ध्यान केंद्रित करेंगे, और एक विकसित होती हुई हरित अर्थव्यवस्था के लिए हरित मानसिकता का निर्माण करेंगे।’’     United Nations Trade and Development (UNCTAD) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2010 से 2022 के बीच screens, computers, and small IT and telecommunication equipment (SCSIT) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निर्माण में दुनिया में सबसे ज्यादा 163 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। इससे एक बड़ी चुनौती और प्रभावशाली ई-वेस्ट मैनेजमेंट की क्षमता की जरूरत प्रदर्शित होती है।     प्रोफेसर अजय कुमार अरोड़ा, प्रिंसिपल, रामजस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि रामजस कॉलेज को OPPO India के ‘जनरेशन ग्रीन’ अभियान का दूसरा चरण शुरू करने के लिए चुना गया है। सस्टेनेबिलिटी के लिए प्रतिबद्ध संस्थान के रूप में हम निरंतर अपने परिसर की संस्कृति में ईको-फ्रेंडली विधियों को शामिल करने का प्रयास करते हैं। हमारा यह सहयोग युवाओं में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित करने के हमारे उद्देश्य के अनुरूप है। अपने विद्यार्थियों और भारत के युवाओं को ई-वेस्ट की गंभीर चुनौती का समाधान करने में समर्थ बनाकर हम एक स्वच्छ और हरित भविष्य का निर्माण करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। हमें इस अभियान का नेतृत्व करने पर गर्व है। हम इस राष्ट्रव्यापी अभियान में पहले ईको-कॉन्शियस चैंपियन इंस्टीट्यूट के रूप में अपना दायित्व निभाएंगे।’’     अगले कुछ हफ्तों में ई-वेस्ट जागरुकता अभियान को प्रतिष्ठित संस्थानों, जैसे सेंट ज़ेवियर कॉलेज, मुंबई; एमिटी यूनिवर्सिटी, झारखंड; सिल्वर ओक यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद; दयानंद सागर यूनिवर्सिटी, बैंगलोर; एसआरएम यूनिवर्सिटी, दिल्ली-एनसीआर, सोनीपत; जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी, जयपुर आदि में ले जाया जाएगा। यहाँ विद्यार्थियों, कर्मचारियों और नजदीकी संस्थानों को ई-कचरा इकट्ठा करने और उसका केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा अधिकृत कंपनियों के माध्यम से जिम्मेदारीपूर्वक निपटान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इन कॉलेजों के विद्यार्थियों को सस्टेनेबिलिटी इंटर्न के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जो कैंपस एंबेसडर के रूप में सस्टेनेबल विधियों को प्रोत्साहित करेंगे।     National Institutional Ranking Framework (NIRF) 2025 में एक नई सस्टेनेबिलिटी रैंकिंग की श्रेणी शुरू होने वाली है, जिसमें पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी, एनर्जी एफिशिएंसी, और हरित परिसर पहलों के आधार पर संस्थानों का मूल्यांकन किया जाएगा। जनरेशन ग्रीन अभियान संस्थानों को उनके सस्टेनेबिलिटी के प्रयासों को बढ़ाने में मदद करता है।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में युवाओं को इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट मैनेजमेंट की बढ़ती चुनौतियों के बारे में शिक्षित किया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में खराब तारमोबाईल फोनचार्जरबैटरी आदि आते हैंजिन्हें एक सस्टेनेबल भविष्य के लिए प्रभावी तरीके से संभाला जाना आवश्यक है। दूसरे चरण के लॉन्च कार्यक्रम में डॉ. अनिल सहस्रबुद्धेचेयरपर्सननेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) ने मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। इस अवसर पर अन्य गणमान्य लोगों के साथ श्री राकेश भारद्वाजहेडपब्लिक अफेयर्सOPPO India  और प्रोफेसर अजय कुमार अरोड़ाप्रिंसिपलरामजस कॉलेजदिल्ली यूनिवर्सिटी भी मौजूद थे। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न सोसायटीज़जैसे लिटरेरी सोसायटीडांसिंग सोसायटीम्यूज़िक सोसायटीफोटोग्राफी सोसायटीक्विज़ सोसायटीफाईन आर्ट्स सोसायटी आदि के विद्यार्थियों को विभिन्न गतिविधियों में संलग्न किया गया है।

नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम के चेयरपर्सनडॉ. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा, ‘‘ई-वेस्ट का जिम्मेदारीपूर्वक प्रबंधन हमारे पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा के क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी एक रिपल प्रभाव उत्पन्न करने के लिए जरूरी हैताकि समाज में व्यापक परिवर्तन लाने में मदद मिले। जनरेशन ग्रीन’ जैसे अभियान युवाओं को इस समस्या के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने में समर्थ बनाते हैं। युवाओं को शिक्षित करके और उनमें जिम्मेदारी के भाव का विकास करके हम एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण कर सकते हैंजो सस्टेनेबल विधियों को प्राथमिकता देउचित ई-वेस्ट मैनेजमेंट सुनिश्चित करे और सभी के लिए एक हरित एवं स्वस्थ भविष्य के निर्माण में योगदान दे।’’

एक महीने के अंदर हीस्कूलों और कॉलेजों के 1 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों ने कम ऊर्जा का उपयोग करने और जिम्मेदारीपूर्वक ई-वेस्ट प्रबंधन का संकल्प लिया हैजिससे ज्यादा सस्टेनेबल जीवनशैली में योगदान मिलेगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2024 के अंत तक भारत में कम से कम 10 लाख विद्यार्थियों तक पहुँचना है।

OPPO India में हेडपब्लिक अफेयर्सराकेश भारद्वाज ने कहा, ‘‘OPPO India में हम भारत सरकार के नेट-ज़ीरो के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम एक सस्टेनेबल भविष्य की ओर राष्ट्रीय अभियान का नेतृत्व कर रहे हैंजो युवाओं की शक्ति से संचालित हो।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘इस अभियान में उनकी तल्लीनता और गतिशीलता से उनका सक्रिय योगदान प्रदर्शित होता हैजो कुछ ही हफ्तों में 1 लाख से ज्यादा हरित संकल्पों तक पहुँच चुका है। युवा लोग आगे आ रहे हैंजिम्मेदारी ले रहे हैंऔर पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार जीवनशैली अपनाने में सबका नेतृत्व कर रहे हैं। पहले चरण में हमारे साथ 20 राज्यों और 3 केंद्रीय प्रांतों के 5,000 सस्टेनेबिलिटी चैंपियन जुड़ेजो अब अन्य लोगों को स्वच्छ और सस्टेनेबल भविष्य की ओर प्रयास करने की प्रेरणा दे रहे हैं। दूसरे चरण के साथ ये युवा नेतृत्वकर्ता भारत के कॉलेजों में सक्रिय सहभागिता द्वारा ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर ध्यान केंद्रित करेंगेऔर एक विकसित होती हुई हरित अर्थव्यवस्था के लिए हरित मानसिकता का निर्माण करेंगे।’’

United Nations Trade and Development (UNCTAD) की रिपोर्ट के अनुसारभारत में 2010 से 2022 के बीच screens, computers, and small IT and telecommunication equipment (SCSIT) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निर्माण में दुनिया में सबसे ज्यादा 163 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। इससे एक बड़ी चुनौती और प्रभावशाली ई-वेस्ट मैनेजमेंट की क्षमता की जरूरत प्रदर्शित होती है।

प्रोफेसर अजय कुमार अरोड़ाप्रिंसिपलरामजस कॉलेजदिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि रामजस कॉलेज को OPPO India के जनरेशन ग्रीन’ अभियान का दूसरा चरण शुरू करने के लिए चुना गया है। सस्टेनेबिलिटी के लिए प्रतिबद्ध संस्थान के रूप में हम निरंतर अपने परिसर की संस्कृति में ईको-फ्रेंडली विधियों को शामिल करने का प्रयास करते हैं। हमारा यह सहयोग युवाओं में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित करने के हमारे उद्देश्य के अनुरूप है। अपने विद्यार्थियों और भारत के युवाओं को ई-वेस्ट की गंभीर चुनौती का समाधान करने में समर्थ बनाकर हम एक स्वच्छ और हरित भविष्य का निर्माण करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। हमें इस अभियान का नेतृत्व करने पर गर्व है। हम इस राष्ट्रव्यापी अभियान में पहले ईको-कॉन्शियस चैंपियन इंस्टीट्यूट के रूप में अपना दायित्व निभाएंगे।’’

अगले कुछ हफ्तों में ई-वेस्ट जागरुकता अभियान को प्रतिष्ठित संस्थानोंजैसे सेंट ज़ेवियर कॉलेजमुंबईएमिटी यूनिवर्सिटीझारखंडसिल्वर ओक यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद; दयानंद सागर यूनिवर्सिटी, बैंगलोर; एसआरएम यूनिवर्सिटी, दिल्ली-एनसीआर, सोनीपत; जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी, जयपुर आदि में ले जाया जाएगा। यहाँ विद्यार्थियों, कर्मचारियों और नजदीकी संस्थानों को ई-कचरा इकट्ठा करने और उसका केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा अधिकृत कंपनियों के माध्यम से जिम्मेदारीपूर्वक निपटान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इन कॉलेजों के विद्यार्थियों को सस्टेनेबिलिटी इंटर्न के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जो कैंपस एंबेसडर के रूप में सस्टेनेबल विधियों को प्रोत्साहित करेंगे।

National Institutional Ranking Framework (NIRF) 2025 में एक नई सस्टेनेबिलिटी रैंकिंग की श्रेणी शुरू होने वाली है, जिसमें पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी, एनर्जी एफिशिएंसी, और हरित परिसर पहलों के आधार पर संस्थानों का मूल्यांकन किया जाएगा। जनरेशन ग्रीन अभियान संस्थानों को उनके सस्टेनेबिलिटी के प्रयासों को बढ़ाने में मदद करता है।

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