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मारुति वैगनआर में आई स्विवेल सीट, बुजुर्गों और दिव्यांगों की सुविधा के लिए बड़ा कदम

नई दिल्ली मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने बुजुर्ग नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों की रोजमर्रा की आवाजाही को आसान बनाने के लिए वैगनआर के साथ स्विवेल सीट पेश की है। यह सुविधा फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई है, जिसे देश के 11 शहरों में लागू किया गया है। कंपनी का कहना …
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नई दिल्ली

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने बुजुर्ग नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों की रोजमर्रा की आवाजाही को आसान बनाने के लिए वैगनआर के साथ स्विवेल सीट पेश की है। यह सुविधा फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई है, जिसे देश के 11 शहरों में लागू किया गया है। कंपनी का कहना है कि अगर ग्राहकों की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही, तो इस सुविधा का दायरा आगे और बढ़ाया जाएगा।

स्टार्टअप के साथ साझेदारी
इस पहल के तहत मारुति सुजुकी ने बंगलूरू स्थित स्टार्टअप ट्रूअसिस्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की है। यह सहयोग कंपनी के स्टार्टअप इनक्यूबेशन प्रोग्राम के तहत, NSRCEL–IIM बंगलूरू के साथ मिलकर किया गया है। ग्राहक मारुति सुजुकी एरिना डीलरशिप्स से स्विवेल सीट को रेट्रोफिटिंग किट के रूप में खरीद सकते हैं। यह सीट नई वैगनआर में फिट कराई जा सकती है या पहले से मौजूद वैगनआर में भी बाद में लगवाई जा सकती है। इस पहल का मकसद ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों के लिए कार को सुलभ बनाना है।

वैगनआर क्यों बनी इस पायलट प्रोजेक्ट की पसंद
मारुति सुजुकी के मुताबिक, वैगनआर अपने 'टॉल बॉय' डिजाइन की वजह से इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए एक उपयुक्त मॉडल है। इसकी ऊंची छत और बेहतर हेडरूम-लेगरूम स्विवेल सीट के साथ मिलकर कार में चढ़ने और उतरने की प्रक्रिया को काफी आसान बना देती है। सीट बाहर की ओर घूमती है, जिससे बुजुर्गों और दिव्यांगों को बिना ज्यादा मेहनत किए कार में बैठने और बाहर निकलने में मदद मिलती है।

आसान इंस्टॉलेशन और सुरक्षा मानकों का पालन
कंपनी ने बताया कि स्विवेल सीट को इंस्टॉल करने में एक घंटे से भी कम समय लगता है और इसके लिए कार की मूल सीट को हटाने की जरूरत नहीं होती। इस किट के साथ ग्राहकों को किसी भी निर्माण दोष के खिलाफ तीन साल की वारंटी भी दी जा रही है। वैगनआर स्विवेल सीट किट का परीक्षण ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) में किया गया है। और यह सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों पर खरी उतरती है। इंस्टॉलेशन के दौरान वाहन की संरचना या उसके मूल संचालन में कोई बदलाव नहीं किया जाता।

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