CDS जनरल रावत ने नेपाल को चीन के साथ रिश्तो लेकर सावधान किया, भारत नेपाल को बचाने की कोशिश कर रहा
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भारत चीन के जाल में फंसते जा रहे नेपाल (Nepal) को लगातार बचाने की कोशिश कर रहा है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने नेपाल को चीन के साथ लगातार अपने रिश्ते बढ़ाने को लेकर सावधान किया है. उन्होंने नेपाल को नसीहत देते हुए कहा कि बेशक वह चीन (China) के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने और उसके लिए अपने दरवाजे खोलने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है, लेकिन उसे चीन की असलियत और उसके असली मकसद को भी नहीं भूलना चाहिए. बिपिन रावत ने श्रीलंका (Sri Lanka) की तरफ इशारा करते हुए कहा कि नेपाल को श्रीलंका से सबक लेना चाहिए कि चीन के साथ दोस्ती बढ़ाने पर उसका क्या हाल हुआ.
बिपिन रावत का यह बयान उस समय आया है जब नेपाल चीन के साथ अन्य देशों के लिए अपने दरवाजे खोलने में लगा हुआ है. नेपाल के थिंक टैंक के आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में जनरल बिपिन रावत ने कहा कि नेपाल अपने अंतरराष्ट्रीय मामलों में पूरी तरह स्वतंत्र है, लेकिन उसे श्रीलंका समेत ऐसे देशों से सीख लेने की जरूरत है, जिन्हें चीन ने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स का लालच देकर अपने कर्ज के जाल में फंसा लिया है.
दरअसल, श्रीलंका में चीन के सहयोग से हंबनटोटा बंदरगाह प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया था, जिसके लिए श्रीलंका ने साल 2007 से 2014 के बीच चीन से 1.26 अरब डॉलर का कर्ज लिया. चीन और श्रीलंका हंबनटोटा बंदरगाह मिलकर बना रहे थे, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत थी. इसके बाद श्रीलंका पर चीन का कर्ज बढ़ता गया, जिसे चुकाने के लिए उसे साल 2017 में अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 सालों के लिए सौंपना पड़ा. कहा जाता है कि चीन इस बंदरगाह का इस्तेमाल अपने सैन्य उद्देश्य से भी कर सकता है. और केवल श्रीलंका ही नहीं, चीन ने पाकिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश और नेपाल को भी अपने कर्ज के जाल में फंसाने की कोशिश की है.
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सरकार और उसकी कंपनियों ने 150 से ज्यादा देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर यानी 112 लाख 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया है. साल 2017 तक चीन ने दुनियाभर के देशों को पूरी दुनिया की GDP का 6 प्रतिशत से ज्यादा का कर्ज दिया है. बांग्लादेश का चीन पर 4.7 बिलियन डॉलर बकाया है. पाकिस्तान अपनी मेगा परियोजनाओं के लिए चीन से पहले ही 22 बिलियन डॉलर उधार ले चुका है. इसके अलावा, मालदीव पर चीन का 3.1 अरब डॉलर का भारी-भरकम कर्ज है. इन सभी उदाहरणों को एक मिसाल के तौर पर पेश किया जाता है कि कैसे चीन पहले छोटे देशों को इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कर्ज देता है, उन्हें अपना कर्जदार बनाता है और फिर बाद में उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लेता है.