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बाल नहीं उगे - उपभोक्ता अदालत ने दवाई निर्माता व अभिनेता पर जुर्माना लगाया

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बाल नहीं उगे - उपभोक्ता अदालत ने दवाई निर्माता व अभिनेता पर जुर्माना लगाया

उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष या ऑनलाइन उत्पाद खरीदते समय सावधानी व सच्चाई परखना जरूरी - एड किशन भावनानी

गोंदिया- भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अगर हम देखें तो हर एक,सीरियल,नाटक,समाचार,ए पिसोड, इत्यादि में कुछ मिनटों का विज्ञापन जरूर दिखाया जाता है। जो कि किसी भी प्रोग्राम के बीच में एक ब्रेक लेकर दिखाया जाता है।हालांकि प्रिंट मीडिया में भी विज्ञापन दिए जाते हैं और स्वाभाविक रूप से प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों को चलाने के लिए विज्ञापन का जरिया एक मुख्य आर्थिक आर्थिक साधन भी है। जिसके जरिए संस्थान के स्टाफ से लेकर प्रेस,बिजली,कागज, इत्यादि अनेक प्रकार के कार्यों में एक प्रमुखआय का साधन भी है, जिसके बिना संस्थान को चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि पब्लिकेशन व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थान अपने डिस्क्लेमर में स्पष्ट रूप से देते हैं कि इस विज्ञापन की राय से उनका सम्बन्ध नहीं हैं। दूसरी ओर किसी भी उत्पाद का प्रचार करने के लिए किसी मशहूर हस्ती को ब्रांड एंबेसडर बनाया जाता है,और कंपनी को भारी फीस चुकानी होती है और करीब करीब बहुत विज्ञापन एंबेसडरों द्वारा उस विशेष उत्पाद का उपयोग ही नहीं किया जाता है, लेकिन जनता को उपयोग करने की सलाह दी जाती है और उस उत्पाद की तारीफ की जाती है। हालांकि इस पूरे प्रोसेस में किसी पर भी उत्पाद खरीदने के लिए प्रेशर नहीं डाला जाता परंतु भोली-भाली जनता उनके बातों में आ ही जाती है और उसे वापरने के बाद सच्चाई का पता चलता है।...ऐसा ही एक मामला केरला की एक उपभोक्ता अदालत डिस्ट्रिक्ट कंस्यूमर रिड्रेसल फ़ोरम त्रिचूर, के सामने जिसमें श्री सी टी साबू अध्यक्ष, श्री राधाकृष्णन नायर सदस्य, तथा श्रीमती श्रीजा एस सदस्य, के सामने दिनांक 30 सितंबर 2020 को सीसी 345/2012, जो 3 जुलाई 2012 को फाइल किया गया था जो याचिकर्ता द्वारा फाइल किया गया था तथा प्रतिवादी विरोधी पक्ष उस दवाई कंपनी के प्रोपराइटर, एमडी, तथा उस फिल्म अभिनेता जो ब्रांड एंबेसडर था और विज्ञापन किया था,को बनाया गया था। सुनवाई के बाद बेंच ने शिकायत को 30 सितंबर 2020 को अनुमति दी थी लेकिन कारणों और निष्पक्षता के साथ विस्तृत निर्णय मंगलवार दिनांक 29 दिसंबर 2020 को जारी किया गया।जो आदेश कॉपी में लिखा हैं, बेंच ने अपनेदिलचस्प आदेश में कहा कि, एक फिल्म अभिनेता को प्रभावशीलता का पता लगाए बिना एक हेयर क्रीम उत्पाद का समर्थन करने का झूठा दावा करने के लिए उत्तरदायी ठहराया है। बेंच ने एक कंपनी के निर्माताओं और एक विज्ञापन में उत्पाद का समर्थन करने वाले सेलिब्रिटी फिल्म अभिनेता को झूठा वादा करने के लिए एक उपभोक्ता को 10,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। दरअसल शिक़ायत कर्ता द्वारा उस आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड और फिल्म अभिनेता के खिलाफ दायर उपभोक्ता शिकायत पर यह आदेश पारित किया गया शिकायतकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट ने फोरम से कहा कि उन्होंने पहली बार जनवरी 2012 में विज्ञापन देखने के बाद 376 रुपये में क्रीम खरीदी थी, जिसमें फिल्म अभिनेता ने वादा किया था कि छह सप्ताह के लिए उत्पाद का उपयोग करने से बालों में वृद्धि होगी। हालांकि उन्होंने क्रीम का इस्तेमाल किया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने शिकायत की कि उत्पाद खरीदने के लिए उनके दोस्तों और परिवार द्वारा उनका मजाक उड़ाया गया। अपमानित महसूस करते हुए, उन्होंने 5 लाख रुपये मुआवजे के लिए फोरम से संपर्क किया।फिल्म अभिनेता ने फोरम में अपने बयान में स्वीकार किया कि उन्होंने कभी भी उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया है और उन्होंने केवल अपनी मां द्वारा तैयार हेयर ऑयल का इस्तेमाल किया है।उन्होंने जिरह दौरान बताया,मैंने कभी भी उल्लेखित उत्पाद का उपयोग नहीं किया है। मैं केवल बालों के तेल का उपयोग करता हूं जो मेरी मां मेरे लिए बनाती है।उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि विज्ञापन के दौरान क्या बताया गया क्योंकि यह निर्माताओं की कहानी थी। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि यह उत्पाद बालों की देखभाल के लिए है न कि बालों के विकास के लिए। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ब्रांड एंबेसडर विज्ञापन में उत्पाद का उपयोग किए बिना ही दिखाई दिया,फोरम ने आदेश में उल्लेख किया।अदालत द्वारा यह भी देखा गया कि निर्माता उस उत्पाद में परिणाम नहीं दे सका,जैसा कि उसके द्वारा दावा किया गया था। फोरम ने विज्ञापन में फिल्म अभिनेता द्वारा कहे गए बयानों को संदर्भित किया,बालों में वृद्धि की गारंटी है। सिर्फ छह सप्ताह के भीतर,परिणाम तीन गुना हो जाएगा। न्यायालय ने यह भी देखा कि उत्पाद के साथ-साथ विवरणिका में बताई गई सावधानियां इस तरह से छपी हुई हैं कि मैग्नीफाइंग ग्लास की सहायता से देखने पर भी यह दिखाई नहीं देती है।अदालत ने कहा,शिकायतकर्ता ने आयुर्वेदिक दवाओं की प्रभावशीलता पर सवाल नहीं उठाया, लेकिन सवाल यह है कि क्या उसे आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से अपेक्षित परिणाम मिला है। विज्ञापनों के खिलाफ आलोचना की।फोरम ने कहा,यदि विज्ञापन नहीं होते,तो उत्पादों की कीमतें आधी हो जाएंगी। इस प्रकार,उपभोक्ता उस राशि को बचाने में सक्षम होगा। मूल रूप से,विज्ञापन लोगों मेंउपभोक्तावादी इच्छा पैदा करने की एक चाल है।लोगों के बेकार उत्पादों खरीदने के लिए तैयार करने की एक चतुर रणनीति। फोरम के पास मीडिया के लिए कुछ शब्द भी थे। फोरम ने कहा,विज्ञापन को एक सूचित उपभोक्ता संस्कृति के विकास में मदद करनी चाहिए ताकि उपभोक्ता फर्जी उत्पादों को अस्वीकार करके सही विकल्प बना सके।सभी साक्ष्यों को देखते हुए, बेंच ने फिल्म अभिनेता को उत्पाद की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के बाद ही भविष्य के विज्ञापन में शामिल होने का निर्देश दिया।इसने अभिनेता और कंपनी, प्रत्येक को 10000 रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। अदालत ने मेडिकल,स्टोर जहां से उत्पाद खरीदा गया था, को 3,000 रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया।हालांकि शिकायत को पिछले साल सितंबर में अनुमति दी गई थी, लेकिन कारणों और निष्कर्षों के साथ विस्तृत निर्णय पिछले सप्ताह केवल 29 दिसंबर, 2020 को जारी किया गया है।हालांकि शिकायत तब दर्ज की गई थी जब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में सेलिब्रिटी एंडोर्सर्स पर देयता तय करने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था,लेकिन इसके बावजूद अदालत ब्रांड एंबेसडर को उत्तरदायी ठहराने से नहीं रुकी।हाल ही में पारित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019,जो पूरी तरह से 1986 अधिनियम की जगह लेता है, में सेलिब्रिटी एंडोर्सर्स पर देयता तय करने के लिए विशिष्ट और स्पष्ट प्रावधान हैं।

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