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मोदी ने कहा, इंडोनेशिया और बाली आने के बाद हर हिंदुस्तानी को एक अलग अहसास होता है। मैं भी वही वाइब्रेशन्स फील कर रहा हूं।

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इंडोनेशिया के बाली में G20 समिट शुरू हो गई है। समिट के फर्स्ट सेशन में G20 नेताओं के बीच फूड एंड एनर्जी सिक्योरिटी पर चर्चा हुई। इसमें प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के शुरुआत में इंडोनेशिया-भारत के हजारों साल पुराने संबंध का जिक्र किया। मोदी ने कहा, इंडोनेशिया और बाली आने के बाद हर हिंदुस्तानी को एक अलग अहसास होता है। मैं भी वही वाइब्रेशन्स फील कर रहा हूं। हमारा यहां से हजारों साल पुराना रिश्ता रहा है। हम हजारों साल से इस परंपरा को निभा रहे हैं। हम बाली में हैं और यहां से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर कटक में बाली जात्रा (यात्रा) चल रही है। हम लोग अकसर बातचीत में कहते हैं, इट्स ए स्मॉल वर्ल्ड। समंदर की लहरों ने दोनों देशों के नातों को जीवंत बना रखा है। भारतीय यहां के विकास में सहयात्री बने हुए हैं। हमने इंडोनेशिया के कलाकार को पद्मश्री से सम्मानित किया था। तब राष्ट्रपति भवन तालियों से गूंज उठा था। वो कहते थे, भारत की सबसे बड़ी विशेषता अतिथि देवो भव: है। इंडोनेशिया के लोगों का अपनत्व भी कम नहीं है।

पिछली बार मैं जब यहां आया था तो राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ पतंग उड़ाई थी। मुझे गुजरात में मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का काफी अनुभव है। हम सुख-दुख के साथी हैं। 2018 में जब यहां भूकंप आया तो हमने ऑपरेशन समुद्र मैत्रीयी चलाया था। हम 99 नॉटिकल मील दूर नहीं, 99 नॉटिकल पास हैं। भारत में अगर हिमायल है तो यहां आगुंग है। भारत में अगर गंगा है तो बाली में भी गंगा है। यहां भी श्रीगणेश घर-घर विराजमान हैं। अनगिनत बातें हमें जोड़े रखती हैं। यहां का जन-जन महाभारत के साथ बड़ा होता है। भारत में जब भव्य राम मंदिर की नींव रखी जाती है तो इंडोनेशिया की रामायण याद आती है। यहां शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो अपने जीवन में एक बार अयोध्या न जाना चाहे। एक साल में 5 लाख भारतीय यहां आए। जब विरासत साझा होती है तो विकास के लिए रास्ते भी बनते जाते हैं। हमारी स्वतंत्रता 15 अगस्त और इंडोनेशिया का 17 अगस्त है। इंडोनेशिया दो साल पहले आजाद है।

हम दोनों के पास एक-दोनों को देने के लिए बहुत कुछ है। दुनिया की अनगिनत कंपनियां के CEOs भारतीय हैं। 10 में से एक यूनिकॉर्न भारत का है। डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में हम नंबर एक हैं। 2014 के पहले और 2014 के बाद के भारत में बहुत फर्क है। वो जो बहुत बड़ा फर्क वो मोदी नहीं है, वो स्किल और स्पीड है। स्टैच्यू हो या स्टेडियम सबसे बड़े ही बनाए। अमेरिका की जो कुल आबादी है, उतने तो हमने बैंक अकाउंट खोले हैं। हमने 3 करोड़ घर बनाए यानी जैसे ऑस्ट्रेलिया के हर नागरिक को घर मिल जाए। 55 हजार किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए हैं। यह पूरी धरती के करीब-करीब डेढ़ चक्कर लगाने के बराबर है।

कोरोना काल में भारत ने अपने नागरिकों को जितनी वैक्सीन डोज मुफ्त में लगाईं वो अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की आबादी के ढाई गुना ज्यादा है। इसलिए मैं कहता हूं कि भारत बदला है। आज का भारत अपनी विरासत पर गर्व करते हुए आसमान छूने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है। हम स्वार्थी नहीं हैं। दुनिया को हमसे अपेक्षा है। हम जिम्मेदारी से इसे पूरा कर रहे हैं। दवाओं की सप्लाई के मामले में हम नंबर वन हैं। हमने वन सन, वन वर्ल्ड और वन ग्रिड का मंत्र दिया है। स्पेस टेक्नोलॉजी का फायदा हम साउथ एशियाई देशों से शेयर कर रहे हैं। यही मामला डिफेंस के मामले में है। संकल्प से सिद्धी का यही मंत्र 21वीं सदी के नए भारत का मंत्र बना हुआ है।

अगला प्रवासी भारतीय सम्मेलन अगले साल जनवरी में इंदौर में होगा। यह भारत का सबसे स्वच्छ शहर है। इंदौर आएं तो अहमदाबाद के काइट फेस्टिवल में भी आइए। अपने साथ इंडोनेशिया के कुछ परिवारों को भी लाइए। यहां बोहरा समुदाय के काफी लोग आए हैं। मेरा सैयदाना साहब से करीब का संबंध रहा है। मुझे उम्मीद है कि कोई आए या न आए बोहरा समुदाय के लोग भारत जरूर आएंगे।

समिट के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद मोदी से मिलने पहुंचे। दरअसल, मोदी बाइडेन को देख नहीं पाए थे। वो दूसरी तरफ जा रहे थे। इसी दौरान बाइडेन ने उन्हें पुकारा और फिर दोनों ठहाके लगाते नजर आए। कुछ मिनट बाद प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को बुलाया और उनसे बातचीत की।

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