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चाय में कई कीड़े मकौड़ों के डीएनए (Insect DNA) मिले हैं, चाहे वह डिब्बाबंद चाय हो या फिर टी-बैग।

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बाजार में पीने के लिए कई सारे गर्म पेय पदार्थ मिलते हैं, लोगों में चाय (Tea) के लिए एक अलग दीवानगी देखी जाती है। पूरे दिन की थकान को गायब करने के लिए गर्मा-गर्म एक कप चाय ही काफी होती है। लेकिन एक रिसर्च में चाय को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। चाय में कई कीड़े मकौड़ों के डीएनए (Insect DNA) मिले हैं, चाहे वह डिब्बाबंद चाय हो या फिर टी-बैग।

जर्मनी में स्थित ट्रियर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और उनकी टीम ने यह पता लगाया है। वह लोग एक दूसरी रिसर्च कर रहे थे, लेकिन इस दौरान यह खुलासा हुआ है। चाय की पत्तियां ऐतिहासिक एनसाइक्लोपीडिया होती हैं जिनमें कई प्राचीन जानकारियां छिपी होती हैं। एक वेबसाइट ने ट्रियर यूनिवर्सिटी के इकोलॉजिकल जेनेटिसिस्ट हेनरिक क्रेहेनविंकेल इसको लेकर बातचीत की है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि चाय में कीड़ों और मकौड़े के डीएनए का क्या मतलब है। कई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि जब पत्तियों को काटते हैं, तो उनके डीएनए वहां छूट जाते हैं और वो अल्ट्रावायलेट किरणों से बाद में खत्म हो जाते हैं या बारिश के पानी में धूल जाते हैं। हेनरिक ने हार्बेरियम रिकॉर्ड्स को जांच में शामिल किया है। इनको सूखे और अंधेरे इलाके में रखा जाता है। इनके अंदर भी कीड़ों के डीएनए पाए गए हैं। हमको एक ही चाय के बैग में सैकड़ों कीड़ों के ईडीएनए मिले हैं। उन्होंने कहा कि 100 या 150 मिलिग्राम सूखी पत्तियों से डीएनए पाए जा रहे थे। लेकिन ग्रीन टी के बैग में 400 प्रजातियों के कीड़ों का डीएनए मिला है 

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