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विवाह पंचमी को जानकी विवाह उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है

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 सांस्कृतिक विरासत, लोक कला और सनातन धर्म के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की अर्धांगिनी सीता के मायके मिथिला में एक बार फिर हर घर में मैथिली विवाह गीत गूंजने लगे हैं. यह तैयारी की जा रही है अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन होने वाले जानकी विवाह महोत्सव होगा. यह दिन भले ही सीता और राम के विवाह का हो, लेकिन मिथिला में लोग राम विवाह नहीं, जानकी विवाह महोत्सव मनाते हैं तथा पूरे देश में मिथिलांचल का ही दो जगह एक जनकपुर और दूसरा मिथिला का प्रवेश द्वार बेगूसराय का बीहट है, जहां पर धूमधाम से विवाह महोत्सव मनाया जाता है. दोनों जगह पर इस महोत्सव में शामिल होने के लिए ना केवल दूर-दूर से लोग आते हैं. बल्कि मिथिला के पाहुन श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण के स्वरूप भी अयोध्या से आते हैं.

विवाह पंचमी को लेकर मिथिलांचल के प्रवेश द्वार बीहट में स्थित विश्वनाथ मंदिर में तैयारी काफी तेज हो गयी है. 27 नवंबर को देव आमंत्रण, मंउपाच्छादन, मटकोर प्रोशेसन, चुमावन एवं जागरण होगा. 28 नवंबर की रात विवाह से पूर्व बरात झांकी निकाली जायेगी. 29 नवंबर को पूरे विधि विधान के साथ रामकलेवा तथा 30 नवंबर को चौठ-चौठारी के साथ चार दिवसीय महोत्सव का समापन होगा.

मिथिला परंपरा के अनुसार पूरी की जाती है रस्म

सबसे बड़ी बात है कि यहां न सिर्फ विवाह का महोत्सव मनाया जाता है. बल्कि वैष्णव माधुर्य भक्ति के परिचायक विश्वनाथ मंदिर बीहट में बेटी की शादी की तरह मिथिला परंपरा के अनुसार सभी रस्म निभाये जाते हैं. अवध (अयोध्या) से आये श्री राम के स्वरूप दूल्हा से मिथिलांचल की बेटियां हास-परिहास करती हैं और विवाह की रस्म पूरा होने के बाद सम्मान के साथ उन्हें विदा किया जाता है. विवाह महोत्सव में राजा जनक की भूमिका निभाने वाले विश्वनाथ मंदिर के पीठासीन आचार्य राजकिशोर जी उपाध्याय ने बताया कि लोक उत्सव और लोक पर्व की जागृत परंपरा के वाहक मिथिला के हर घर में श्रीराम जानकी की पूजा होती है. विश्वनाथ मंदिर में प्रत्येक दिन रामार्चन के माध्यम के माध्यम रस्में निभायी जाती हैं.

भेजे जा रहे हैं आमंत्रण

प्रत्येक माह के शुक्ल तथा कृष्ण पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम का विवाहोत्सव होता है. लेकिन प्रत्येक वर्ष अगहन शुक्ल पक्ष की पंचमी को जानकी विवाह महोत्सव का आयोजन होता रहा है. सीता-राम विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या में रामायण पर मौड़ी रख विवाह की रस्म पूरी की जाती है. लेकिन पूरे देश में दो जगह जनकपुर एवं बीहट में अयोध्या से आये राम स्वरूप बालक के साथ मिथिला के बालिका की साक्षात शादी करायी जाती है. विगत दो वर्ष कोरोना वायरस के कारण सिर्फ औपचारिकता पूरी की गयी थी. लेकिन इस वर्ष भी पूरे धूमधाम से विवाह उत्सव की तैयारी की जा रही है. लोगों को निमत्रंण दिये जा रहे है. सांस्कृति कार्यक्रम के लिए भी तैयारी चल रही है. बीहट से जुड़े दूर दूर रह रहे रिश्तेदार भी आने की तैयारी कर चुके है तथा अपने परिजनों को इसका संवाद भेज दिया है.

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