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क्‍यों रखा जाता है पौष कालाष्‍टमी व्रत, जानिए इस व्रत का महत्‍व

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क्‍यों रखा जाता है पौष कालाष्‍टमी व्रत, जानिए इस व्रत का महत्‍व

कालाष्टमी का व्रत (Kalashtami 2021) बहुत ही फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत को करता है और पूरे विधि-विधान से पूजा करता है उसके सभी कष्ट मिट जाते हैं। इस दिन भैरव चालीसा का पाठ औ कालभैरव की आरती जरूर करनी चाहिए। इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।

आज साल की पहली मासिक कालाष्टमी (Kalashtami 2021) मनाई जा रही है। कालाष्टमी का त्यौहार हर माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है जिन्हें शिवजी का एक अवतार माना जाता है। कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत का भी विधान माना गया है।

कालाष्टमी पूजा विधि
नारद पुराण के अनुसार, कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस रात देवी काली की उपासना करने वालों को अर्ध रात्रि के बाद मां की उसी प्रकार से पूजा करनी चाहिए जिस प्रकार दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस दिन रात में माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनने और रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है। कालभैरन की सवारी कुत्ता है इसलिए इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।

जानिए पौष कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त—
पौष, कृष्ण अष्टमी 6 जनवरी 2021
आरंभ 6 जनवरी 2021 बुधवार सुबह 4बजकर 3 मिनट से
समाप्त— 7 जनवरी, गुरुवार सुबह 2 बजकर 6 मिनट पर

क्यों रखा जाता है कालाष्टमी का व्रत?
कथा के अनुसार एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठ होने का विवाद उत्पन्न हुआ। विवाद के समाधान के लिए सभी देवता और मुनि शिव जी के पास पहुंचे। सभी देवताओं और मुनि की सहमति से शिव जी को श्रेष्ठ माना गया परंतु ब्रह्मा जी इससे सहमत नहीं हुए। ब्रह्मा जी, शिव जी का अपमान करने लगे। अपमानजनक बातें सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया जिससे कालभैरव का जन्म हुआ। उसी दिन से कालाष्टमी का पर्व शिव के रुद्र अवतार कालभैरव के जन्म के रूप में मनाया जाने लगा।

कालाष्टमी व्रत का लाभ
कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं काल उससे दूर हो जाता है। इसके अलावा व्यक्ति रोगों से दूर रहता है और उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। शिव पुराण में कहा है कि भैरव परमात्मा शंकर के ही रूप हैं इसलिए आज के दिन इस मंत्र का जाप करना फलदायी होता है- 'अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!'
 

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