बेबी को स्वस्थ्य व मासपेशियों को करना है मजबूत, तो इस तरीके करे मसाज
बेबी मसाज एक बहुत ही बढ़िया थेरेपी है जिससे बच्चे को आराम मिलता है। 6 महीने से कम उम्र वाले बच्चों की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होती है, जिसके लिए उनकी मसाज जरूरी है। मालिश से शिशु को आराम मिलता है और अच्छी नींद आती है। कुछ अध्ययनों की मानें तो बेबी मसाज से शिशु का सही विकास होने में भी मदद मिलती है। मालिश से मांसपेशियों में तनाव कम होता है, इतना ही नहीं बच्चे को दांत निकलने पर होने वाली दिक्कतों से भी राहत मिलती है।
मालिश करने से शिशु का परिसंचरण और पाचन तंत्र उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है। मसाज करने से बच्चे में गैसे, ऐंठन और कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं कि बच्चे की मसाज करने का सही तरीका क्या है, और मसाज के दौरान क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
सबसे पहले तेल को टेस्ट करें:
बच्चे की मसाज करने के लिए आप जिस तेल का इस्तेमाल कर रही हैं सबसे पहले उसे बच्चे के शरीर के एक हिस्से में लगाकर टेस्ट करें। तेल लगाई हुई जगह पर किसी तरह के रैशेज तो नहीं आ रहे। अगर तेल लगाने के बाद स्किन लाल होती है या किसी तरह के रैशेज आते हैं तो समझ जाइए कि तेल बच्चे की स्किन को सूट नहीं कर रहा। ऐसा तेल बच्चे की मालिश के लिए उपयुक्त नहीं है।
तेल को हल्का गर्म करें:
बच्चे की मालिश के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल को हल्का सा गर्म कर लें। गर्म तेल को बच्चे की स्किन पर लगाने से पहले अपने हाथ पर लगा कर चेक कर लें कि तेल ज्यादा गर्म तो नहीं है। ध्यान रखें कि बच्चे की स्किन पर इस्तेमाल होने वाला तेल हल्का गर्म होना चाहिए। ज्यादा गर्म तेल से बच्चे की स्किन को नुकसान पहुंच सकता है।
तेल को हल्के से बच्चे के पेट पर डालें और फिर धीरे-धीरे हल्के हाथों से मसाज शुरू करें। मसाज करते समय ध्यान रखें कि ज्यादा समय तक और लगातार मसाज नहीं करें क्योंकि बच्चों की हड्डियां बहुत नाज़ुक होती है।
मसाज करते समय ध्यान देने योग्य बातें:
सर्दी में मसाज बालकनी में गुनगुनी घूप में बैठ कर करें।
मसाज करने से पहले अपने नाखून काट लें और हाथों से रिंग उतार लें ताकि बच्चे को किसी तरह की चोट नहीं लगें।
मालिश करते हुए बच्चे से बात करते रहें।
मालिश टांगों से शुरू करें और फिर एड़ी तक आएं। अब कंधों, बांह और सीने पर हाथों को गोल-गोल घुमाते हुए मालिश करें।
छाती की मालिश करते समय हाथों को जरा गर्म रखें। अब शिशु को पेट के बल लिटाकर पीठ और कूल्हों आदि की मसाज करें। पैरों के तलवों और हथेलियों पर भी मसाज देना न भूलें।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें । कोई भी बीमारी या परेंशानी हो तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें ।