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बच्‍चों में डिप्रेशन के लक्षण व कारण

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बच्‍चों में डिप्रेशन के लक्षण व कारण

अवसाद या डिप्रेशन क्या है?
डिप्रेशन या अवसाद एक गंभीर मानसिक बीमारी है। डिप्रेशन को क्लिनिकल डिप्रेशन या डिप्रेसिव डिप्रेशन भी कहा जाता है। यह एक तरह का मूड डिसऑर्डर है, जो सोचने-समझने, महसूस करने, दैनिक क्रियाओं जैसे सोना, खाना, पीना और अन्य कामों पर प्रभाव डालता है। डिप्रेशन से जूझ रहा व्यक्ति अमूमन उदास रहता है और उसे खालीपन महसूस होता है। 
अवसाद से ग्रस्त बच्चों व किशोरों में डिप्रेशन के लक्षण वयस्कों जैसे ही दिखाई देते हैं। जैसे कि गहरी उदासी और कुछ भी करने के लिए प्रेरणा की कमी, लेकिन कई मामलों में ये लक्षण अलग भी हो सकते हैं। इसे हमने नीचे तीन हिस्सों में बांटकर समझाया है (1)।

प्री-स्कूल के बच्चों में अवसाद: 
इस आयु के बच्चों में डिप्रेशन के मामले कम होते हैं। अगर वो इसका शिकार हो जाते हैं, तो इस उम्र में अवसाद का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इस दौरान कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं:
बच्चों का अधिक रोना।
खेलने-कूदने में मन न लगना।
बेचैन रहना।
बहुत अच्छा व्यवहार करने व आज्ञाकारी बनने की कोशिश करना।

स्कूल जाने की उम्र वाले बच्चों में डिप्रेशन
इस आयु वर्ग के बच्चे में अवसाद के लक्षण कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं:

अपनी मनपसंद की चीजें व शौक में रुचि खो देना।
बात-बात पर लड़ लेना या सामने वाले को अपना दुश्मन समझना।
दूसरों व परिवार के प्रति गुस्सैल और आक्रामक रवैया।
जल्दी अपना आपा खो देना।
छोटी-छोटी बातों पर परेशान होना।
आत्मसम्मान में कमी।

किशोरावस्था के बच्चों में अवसाद:
 इस उम्र के बच्चों में सामान्य मूड स्विंग और डिप्रेशन का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। इस आयु में स्वस्थ किशोर भी कभी-कभी हीन, आक्रामक व उदासीन हो जाते हैं। इनके अलावा, कुछ ऐसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं:
हमेशा उदास रहना।
नशे (शराब व सिगरेट) का सेवन शुरू करना।
बहुत थका हुआ महसूस करना।
आत्मघाती विचार मन में आना।

बच्चों में डिप्रेशन के कारण
प्रत्येक शख्स में डिप्रेशन के कारण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इनकी पहचान करना आवश्यक है। निम्नलिखित कारणों से इसकी पहचान की जा सकती है (4)  (6)।

आनुवंशिकता के कारण।
किसी डिप्रेशन ग्रस्त व्यक्ति के साथ रहने से।

भावुक और खुद को दोष देने वाला स्वभाव।

तनाव की गंभीर स्थिति।

जीवन की घटनाएं जैसे किसी की मृत्यु या बड़ा नुकसान।

निराशाजन माहौल में रहना।

बच्चों के मन को चोट पहुंचाने वाली घटनाएं, जैसे किसी तरह का शोषण।

पारिवारिक समस्याएं।

माता व पिता में किसी एक के छोड़कर जाने से।

स्कूल व पढ़ाई में होने वाली परेशानियां।

दोस्तों के न होने के कारण।

नोट - उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्‍य जानकारी के लिए हैं इन्‍हें किसी प्रोफेशनल डॉक्‍टर की सलाह के रूप में न समझें कोई भी परेंशानी होने की स्थिति हो तो डॉक्‍टर की सलाह जरूरे लें । 
 

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