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EVM पर INDI अलायंस में मतभेद: राहुल गांधी की लड़ाई में साथी दल का संसद में पीछे हटना

नई दिल्ली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद और वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा है कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल नहीं उठाएंगी, क्योंकि इन्हीं मशीनों से वह चार बार सांसद चुनी गई हैं। सुप्रिया सुले की पार्टी NCP (शरद पवार), विपक्षी गठबंधन 'महाराष्ट्र विकास आघाडी' का …
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नई दिल्ली
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद और वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा है कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल नहीं उठाएंगी, क्योंकि इन्हीं मशीनों से वह चार बार सांसद चुनी गई हैं। सुप्रिया सुले की पार्टी NCP (शरद पवार), विपक्षी गठबंधन 'महाराष्ट्र विकास आघाडी' का हिस्सा है, जिसमें कांग्रेस और शिवसेना (UBT) भी शामिल हैं। महाराष्ट्र के बारामती से चार बार की लोकसभा सदस्य और NCP (शरद पवार) की कार्यकारी अध्यक्ष सुले ने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हो रही बहस के दौरान यह बात कही।

सुले ने सदन में कहा, “मैं इसी मशीन से चुनकर आई हूं, इसलिए मैं ईवीएम या वीवीपैट पर सवाल नहीं उठाऊंगी।” उन्होंने कहा, "मैं मशीन के खिलाफ बात नहीं कर रही हूं। मैं एक बहुत सीमित बात रख रही हूं और भारतीय जनता पार्टी से मुझे बड़ी अपेक्षाएं हैं, जिसे महाराष्ट्र में इतना बड़ा जनादेश मिला है।"

सुले के बयान के गहरे मायने

EVM पर सुप्रिया सुले का यह बयान काफी अहम है क्योंकि इसके राजनीतिक मायने और सियासी संदेश गहरे हो सकते हैं। अब इस बात के बी कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या इंडिया अलायंस में सहयोगी दलों के बीच खटपट शुरू हो गई है। अभी तक संसद में भी सभी विपक्षी दल किसी मुद्दे पर मिलकर सरकार से लड़ते रहे हैं और सदन के अंदर और बाहर सरकार को घेरते रहे हैं लेकिन चुनाव सुधारों के दौरान जहां कांग्रेस और उसके नेता ईवीएम के गलत इस्तेमाल का मुद्दा उठा रहे हैं, वहीं सुप्रिया ने अपनी चार बार की जीत का हवाला देकर उस पर सवाल उठाने से इनकार कर दिया।

बैलेट पेपर से चुनाव कराने की चुनौती

एक दिन पहले ही दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की चुनौती भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी की दी थी। उन्होंने कहा कि भाजपा अगर बैलेट पर चुनाव लड़े, वोट चोरी न करें तो वह एक भी चुनाव नहीं जीत सकती है। चुनाव आयोग के बिना भाजपा चुनाव जीत ही नहीं सकती है। चुनाव आयोग सरकार की मदद कर रहा है और लोकतंत्र को खत्म रहा है। चुनाव की घोषणा से लेकर वोटर लिस्ट, मतदान, मतगणना, ईवीएम सबका इस्तेमाल आयोग भाजपा को मदद पहुंचाने के लिए कर रहा है। जनता का विश्वास भाजपा से, सरकार से, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से हट चुका है।

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