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अमेरिका में 26 को डब्ल्यूडब्ल्यूई रिंग में बुन्देली शेर दिखाएगा अपना दम

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अमेरिका में 26 को डब्ल्यूडब्ल्यूई रिंग में बुन्देली शेर दिखाएगा अपना दम

बांदा। बुंदेलखंड में तंगहाली और संसाधनों की कमी के बावजूद कई क्षेत्रों में यहां के युवा देश विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं। ऐसे ही युवा पहलवान लक्ष्मीकांत राजपूत (रूद्र) हैं। जो 26 जनवरी को अमेरिका में डब्ल्यूडब्ल्यूई की रिंग पर अपना दम दिखाएंगे। फर्स्ट इंडियन हाई फ्लायर द ग्रेट खली रिटर्न शो में लगातार तीन फाइट जीत चुके हैं।

लक्ष्मीकांत उत्तर प्रदेश के इकलौते रेसलर हैं जिनका चयन डब्ल्यूडब्ल्यूई में हुआ है वह पिछले 2 वर्षों से डब्ल्यूडब्ल्यूई  में है। अमेरिका में मंगलवार से उनकी फाइटें होंगी उनकी फाइटों का 26 जनवरी को शाम 8 बजे से सोनी मैक्स, टीईएन 1, टीईएन 3 में लाइव प्रसारण भी दिखाया जाएगा। यह जानकारी उनके बड़े भाई लखन राजपूत ने दी।

24 साल के लक्ष्मीकान्त राजपूत की यहां तक पहुंचने की कहानी दिलचस्प है। बांदा जनपद के पल्हारी गांव के रहने वाले लक्ष्मीकान्त के पिता रामचंद्र किसान हैं। टीवी पर खली को रेसलिंग के दौरान रिंग में लड़ते देख लक्ष्मीकान्त ने खली से लड़ने की ठान ली। घरवालों को यह बेहद मजाक वाली बात लगी। साधारण कद-काठी के लक्ष्मीकान्त इसी जिद और जूनून के चलते 7 साल पहले घर से भाग जालंधर पहुंच गए।

यहां ताइक्वांडो में ट्रेनिंग लिया। इसके बाद जालंधर में खली के ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग शुरू कर दी। लक्ष्मीकान्त ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट हैं। इसके साथ ही उन्होंने कई अवॉर्ड भी जीते हैं। लक्ष्मीकान्त को खली ने ही रेसलिंग के दांव पेंच सिखाए हैं। यह शिष्य-गुरू खली से ही लड़ने को तैयार हो गया था। देहरादून में खली शो इनका मुकाबला अपोला क्रूज से हुआ था। यह पहला मौका है जब बुंदेलखंड का कोई पहलवान डब्ल्यूडब्ल्यूई में पर हो रही रेसलिंग में हिस्सा ले रहा है। रेसलिंग में इंटरनेशनल प्रो-रेसलिंग चैम्‍पियन, वर्ल्ड हैवीवेट प्रो-रेसलिंग चैम्‍पियन भिड़ेंगे।

पिता रामचरण जो पहलवान भी है ने बताया कि लक्ष्मीकान्त में कुदरती शक्ति है। उसे चोट नहीं लगती और न ही दर्द होता है। एक बार लक्ष्मीकान्त और बड़ा भाई लखन आपस में भिड़ गए। लखन ने लक्ष्मीकान्‍त के पेट पर जारे से चोट मारी, लेकिन लखन को हैरानी हुई कि उसे दर्द ही नहीं हुआ। इसके बाद इम्तिहान लेने के लिए लक्ष्मीकान्त ने कई बार अपने पैरों पर हाकियों से वार कराया। हॉकी टूट गई, लेकिन पैर को चोट नहीं लगी। तभी उन्हें यकीन हो गया था कि वह कुछ ऐसा ही फौलादी काम करेगा। भाई ने कहा कि, अब यह सपना हकीकत में बदल गया।
 

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