Anant TV Live

टोक्यो ओलंपिकः नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास, भारत का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक प्रदर्शन

 | 
NEERAJ CHOPRA

भारत के नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के फाइनल में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास लिख दिया है। टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों के भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) के फाइनल में नीरज चोपड़ा ने धमाकेदार शुरुआत की। इस पदक के साथ ही भारत ने टोक्यो ओलंपिक में अब तक सात पदक जीतकर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।

भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 100 साल का इंतजार खत्म हो गया है। भारत के नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के फाइनल में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास लिख दिया है। उन्होंने जैवलीन थ्रो के फाइनल के दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर जैवलीन थ्रो कर गोल्ड मैडल जीता। इसके साथ ही भारत ने भी ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। यह पहला मौका है जब भारत ने सात पदक अपने नाम किए हैं।

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) वो नाम जिसने भारतीय एथलेटिक्स में एक नई जान फूंकी. ओलिंपिक खेलों में एथलेटिक्स में भारत को पदक के दावेदार के रूप में नहीं देखा जाता था लेकिन नीरज ने जब से इंटरनेशनल स्तर पर कदम रखा है तब से वह अधिकतर जीते हैं और इसी का असर था कि टोक्यो ओलिंपिक-2020 (Tokyo Olympics-2020) की शुरुआत से पहले से ही वह भारत के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. नीरज ने यह मुकाम अपनी मेहनत से हासिल किया है. भाला फेंक का यह खिलाड़ी आज दुनिया के महान खिलाड़ियों में शामिल है, लेकिन एक समय था जब वह वर्कआउट करना भी पसंद नहीं करते थे. एक समय उनका वजन काफी था और इसी वजन को कम करने के लिए उन्होंने वर्कआउट शुरू किया था और फिर किस्मत और उनकी मेहनत उन्हें टोक्यो ओलिंपिक तक ले आई.

पानीपत के किसान परिवार से आने वाले इस लड़के का वजन शुरु में काफी थ. वह जब 12 साल के थे तब उनका वजन 90 किलो था. इस भारी वजन को कम करने के लिए उन्होंने अपने शरीर पर मेहनत करना शुरू किया या यूं कहें कि उनके परिवार ने उन्हें अपने शरीर पर मेहनत करने के लिए उकसाया. उन्होंने फिर रुख किया शिवाजी स्टेडियम का और यहां से उनके करियर ने एक अलग मोड़ ले लिया.

जय चौधरी से मुलाकात ने बदला करियर

शिवाजी स्टेडियम पर उनकी मुलाकात हुई भालाफेंक खिलाड़ी जय चौधरी से. जय ने उनसे भाला फेंकने को कहा और पहले ही प्रयास में वह नीरज से प्रभावित हो गए और फिर यहां से उनका सफर शुरू हुआ. जय ने इंडिया टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “स्टेडियम में एक दिन शाम को मैंने उनसे भाला फेंकने को कहा. उन्होंने फेंका और यह तकरीबन 30-40 मीटर की दूरी तक गया. मुझे सबसे ज्यादा उनके थ्रो करने का तरीका पसंद आया. उस समय नीरज का वजन काफी हुआ करता था, लेकिन उनका शरीर काफी लचीला था.”

ऐसे चढ़ी सफलता की सीढ़ी

नीरज खबरों में आए 2016 में. जब उन्होंने आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में जीत हासिल की. उन्होंने पोलैंड में खेले गए इस टूर्नामेंट में 86.48 मीटर की दूरी तय कर जूनियर विश्व रिकॉर्ड बना दिया. इसी के साथ नीरज इस इवेंट में विश्व खिताब जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने. फिर नीरज कदम दर कदम आगे बढ़ते चले गए. उन्होंने 2017 में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. 2018 में खेले गए गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल और जकार्ता एशियाई खेलों में भी वह पदक जीतने में सफल रहे.

चोट ने पैदा की शंका

जैसा हर खिलाड़ी के साथ होता है, वो नीरज के साथ भी हुआ. चोट. कंधे की चोट ने नीरज को परेशान किया और नतीजा यह रहा कि वह दोहा में 2019 में विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले सके. इस चोट ने नीरज के करियर पर भी संदेह पैदा कर दिया. शक इस बात का था कि क्या नीरज अपने पुराने रंग में दिख पाएंगे. नीरज ने इन सभी शंकाओं को दूर कर दिया. 2020 में नीरज फिट होकर लौटे और साउथ अफ्रीका में एसीएनडब्ल्यू में शानदार प्रदर्शन कर टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया. उन्होंने 87.86 मीटर की थ्रो फेंकी जबकि ओलिंपिक क्वालीफाइंग मार्क 85 मीटर का था.

Around The Web

Trending News

You May Also Like