सहजयोग द्वारा संभव है तुर्या अवस्था ( निर्विचार समाधि ) की प्राप्ति
Jun 14, 2023, 09:38 IST
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काशीक्षेत्रं शरीरं त्रिभुवन-जननी व्यापिनी ज्ञानगङ्गा भक्तिः श्रद्धा गयेयं निजगुरु-चरणध्यानयोगः प्रयागः .
विश्वेशोऽयं तुरीयः सकलजन-मनःसाक्षिभूतोऽन्तरात्मा देहे सर्वं मदीये यदि वसति पुनस्तीर्थमन्यत्किमस्ति
आदि शंकराचार्य
सहजयोग ध्यानपद्धति एक तंत्र शास्त्र है। ये ध्यानपद्धति प्रथम हमें हमारे सूक्ष्म - शरीर से परिचित कराती है। जैसे हमारी स्थूल देह पंच ज्ञानेन्द्रिय और पंच कर्मेन्द्रिय से बनी है वैसे ही हमारी सूक्ष्म देह लगभग 72,000 नाड़ियों से बनी हुई है। इन नाड़ियों में ३ मुख्य नाड़ियां हैं इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। इड़ा नाडी हमारे भूतकाल से संबंधित है और इस नाड़ी से हमें शुद्ध इच्छाशक्ति प्राप्त होती है। शुद्ध इच्छा किसे कहा जाय ? सामान्य गृहस्थ जीवन यापन करते समय हम देखते है की हमारी अगणित इच्छाएं हैं। अर्थ - शास्त्र कहता है कि, भौतिक इच्छाएँ कभी-भी पूर्ण नही होती। हमारी इच्छाएं पूर्ण होने पर भी हमे संतोष और पूर्णता का आनंद नहीं देतीं। इसलिये अपनी मातृशक्ति को जागृत कर हमारे आत्मतत्व को पाना ही हमारी शुद्ध इच्छा है। और सहजयोग में जब हमारी इड़ा नाड़ी जागृत होती है तो हममें आत्मतत्व पाने की ललक, जिज्ञासा जागृत होती है।
पिंगला नाड़ी हमारे भविष्य की द्योतक है और हमे शुद्ध क्रियाशक्ति प्रदान करती है। और इन दो नाड़ियों के बीच 'जो सुषुम्ना नाड़ी है वह हमारी उत्क्रांति की नाड़ी है। इसी नाड़ी के कारण हम अमीबा से मानव बने और मानव से एक उच्च कोटि के मानव (संत) बन सकते हैं। जब गुरु की कृपा से हमें आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है तो हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी मध्य नाड़ी सुषुम्ना में विलीन हो जाती हैं और त्रिकोणाकार आस्थि में स्थित कुंडलिनी शक्ति ऊर्ध्वगामी हो हमारे ब्रह्मरंध्र का छेदन कर हमें हमारा योग प्रदान करती है। ये योग प्राप्त करना ही हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य है। उपरोक्त वर्णित श्लोक में आदि शंकराचार्य इसी योग को एक रूपक के माध्यम से समझा रहे हैं। वे कहते हैं, मेरा पंचमहाभूतों से बना हुआ यह देह काशीक्षेत्र है। श्रद्धा-भक्ति और संपूर्ण समर्पण कर श्री गुरुचरणों का ध्यान प्रयाग तीर्थ है। प्रयाग मे गंगा-यमुना और सरस्वती का मेल है, अर्थात जब मेरी इड़ा-पिंगला नाड़ी सुषुम्ना में विलीन होती हैं तब मुझे मेरे और हम सभी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ अर्थात आत्म स्वरूप के दर्शन होते हैं और मैं 'तुर्यावस्था' का आनंद लेता हूं।सहजयोग में यह अवस्था सहज ही प्राप्त की जा सकती है।
अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं।
विश्वेशोऽयं तुरीयः सकलजन-मनःसाक्षिभूतोऽन्तरात्मा देहे सर्वं मदीये यदि वसति पुनस्तीर्थमन्यत्किमस्ति
आदि शंकराचार्य
सहजयोग ध्यानपद्धति एक तंत्र शास्त्र है। ये ध्यानपद्धति प्रथम हमें हमारे सूक्ष्म - शरीर से परिचित कराती है। जैसे हमारी स्थूल देह पंच ज्ञानेन्द्रिय और पंच कर्मेन्द्रिय से बनी है वैसे ही हमारी सूक्ष्म देह लगभग 72,000 नाड़ियों से बनी हुई है। इन नाड़ियों में ३ मुख्य नाड़ियां हैं इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। इड़ा नाडी हमारे भूतकाल से संबंधित है और इस नाड़ी से हमें शुद्ध इच्छाशक्ति प्राप्त होती है। शुद्ध इच्छा किसे कहा जाय ? सामान्य गृहस्थ जीवन यापन करते समय हम देखते है की हमारी अगणित इच्छाएं हैं। अर्थ - शास्त्र कहता है कि, भौतिक इच्छाएँ कभी-भी पूर्ण नही होती। हमारी इच्छाएं पूर्ण होने पर भी हमे संतोष और पूर्णता का आनंद नहीं देतीं। इसलिये अपनी मातृशक्ति को जागृत कर हमारे आत्मतत्व को पाना ही हमारी शुद्ध इच्छा है। और सहजयोग में जब हमारी इड़ा नाड़ी जागृत होती है तो हममें आत्मतत्व पाने की ललक, जिज्ञासा जागृत होती है।
पिंगला नाड़ी हमारे भविष्य की द्योतक है और हमे शुद्ध क्रियाशक्ति प्रदान करती है। और इन दो नाड़ियों के बीच 'जो सुषुम्ना नाड़ी है वह हमारी उत्क्रांति की नाड़ी है। इसी नाड़ी के कारण हम अमीबा से मानव बने और मानव से एक उच्च कोटि के मानव (संत) बन सकते हैं। जब गुरु की कृपा से हमें आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है तो हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी मध्य नाड़ी सुषुम्ना में विलीन हो जाती हैं और त्रिकोणाकार आस्थि में स्थित कुंडलिनी शक्ति ऊर्ध्वगामी हो हमारे ब्रह्मरंध्र का छेदन कर हमें हमारा योग प्रदान करती है। ये योग प्राप्त करना ही हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य है। उपरोक्त वर्णित श्लोक में आदि शंकराचार्य इसी योग को एक रूपक के माध्यम से समझा रहे हैं। वे कहते हैं, मेरा पंचमहाभूतों से बना हुआ यह देह काशीक्षेत्र है। श्रद्धा-भक्ति और संपूर्ण समर्पण कर श्री गुरुचरणों का ध्यान प्रयाग तीर्थ है। प्रयाग मे गंगा-यमुना और सरस्वती का मेल है, अर्थात जब मेरी इड़ा-पिंगला नाड़ी सुषुम्ना में विलीन होती हैं तब मुझे मेरे और हम सभी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ अर्थात आत्म स्वरूप के दर्शन होते हैं और मैं 'तुर्यावस्था' का आनंद लेता हूं।सहजयोग में यह अवस्था सहज ही प्राप्त की जा सकती है।
अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं।