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बच्चों में यौन शौषण अपराध में कमी लाने का प्रयास

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बच्चों में यौन शौषण अपराध में कमी लाने का प्रयास
 देश में बच्चों के साथ यौन शोषण अपराध चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं इसी बानगी में एन ए सी जी और स्पीड संस्था में  मीडिया कर्मियों के लिए एक सेमिनार रखा जिसका मकसद पॉस्को कानून से जुड़ी बारीकियों को समझाना था , यहां हम आपको बता दें कि यह कार्यक्रम 7 देशों में पहले से ही चल रहा है अब उड़ीसा और दिल्ली के माध्यम से भारत में भी इस कार्यक्रम का प्रवेश हो चुका है इस मुहिम का मकसद है कि बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण अपराधों को कैसे खत्म किया जाए। कहा जाता है कि  बच्चे भगवान का रूप होते हैं तो फिर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि बच्चों के साथ किसी तरह का गलत व्यवहार उनके जीवन को अंधेरे में धकेल सकता है। बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर कई तरह की दिक्कतों से होकर गुजरना पड़ता है। अपराधी नियम-कानून को ताक पर रखकर मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं, बच्चों के साथ छेड़छाड़, रेप, यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों पर रोक लगाने के लिये राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पॉस्को ई बॉक्स भी प्रारंभ किया गया है। दोस्तो ये तो देश का दुर्भाग्य ही है कि पॉस्को कानून बनाना पड़ा और दिन पे दिन बढ़ते अपराध को देखते हुए बच्चिओं से दुष्कर्म करने वालों को सख्त सजा जल्द देने की मांग हो रही है, दरिंदों को तेज कार्रवाई का डर कितना सता रहा है  ये तो हम देख ही रहे है , लेकिन अब न्याय देने में थोड़ी और  तेजी लाने की जरूरत है ।सोच कर देखो आप भी नन्ही थी, कली थी, पापा की गोद में पली थी, कहते  हैं छोटी-छोटी नन्ही सी बच्ची  आँगन में खेलती है तो, उनको देख कर बहुत अच्छा लगता है,लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे दरिंदे लोग हैं जो इन बच्चों के बचपन को ही खत्म कर देते हैं और अपनी हवस का शिकार बना लेते थे, इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2012 में एक कानून बनाया था पोस्को एक्ट . जो कि इसमें 2018 में ही कुछ संशोधन भी किया गया था,आपको बता दें कि  12 साल की कम उम्र की बच्ची से रेप या गैंगरेप के दोषी को फांसी की सजा का प्रावधान है ।यदि आपके भी या किसी के भी बच्चों को कोई गलत तरीके से छूता है, गलत हरकतें या गन्दी बातें करता है और उन्हें गन्दी तस्वीरें दिखाता है तो बच्चे बिना किसी को बताये स्वयं ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिला तो सकते ही है ,साथ ही माता-पिता के साथ ही समाज के लोगो को भी बच्चों को पोस्को ई बॉक्स  के बारे में बताना होगा  और उन्हें जागरूक बनाना ही होगा , यह तो हम सभी का कर्तव्य बनता ही  है कि हम बच्चों की मदद करें, शोषण का शिकार होने से अपने बच्चों को बचाएं और दोषियों को पोस्को  एक्ट के तहत सज़ा दिलाएं,इसके साथ ही संस्कार भी मुझे लगता है कि ऐसे अपराध को रोक सकता है ,आपको अपने बच्चों को बताना ही चाहिए कि हर एक नारी किसी ना किसी का मां होती है,एक नारी ही नौ माह अपने कोंख में रखकर हमे इस धरती पर लाती है,कभी मां, बहन, दोस्त, पत्नी, दादी मां ना जाने कितने रिश्तों में रखकर हमे प्यार देकर संवारती है ,इसीलिए हर एक नारी किसी ना किसी का मां होती हैं यह संस्कार बचपन में ही अपने बच्चों में डालना होगा ,अब तो लड़का ,लड़की कोई सुरक्षित नहीं है,इस वैश्वीकरण ने आज अपने चपेट मे ऐसे ले लिया है कि लोग संस्कारविहीन  होते जा रहे है ।।

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