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सुशासन का वैचारिक आधार

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सुशासन का वैचारिक आधार

- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भाजपा औरों से अलग दिखने का दावा सदैव करती रही है। पिछले कुछ वर्षों में वह तथ्यों के आधार पर इसको जनता के बीच ले जा रही है। इसमें संदेह नहीं कि इस दौरान ऐसे अनेक मसलों का समाधान हुआ है, जिसकी कल्पना करना भी असंभव था। इसके अलावा करोड़ों गरीब लोगों को अनेक योजनाओं का सीधा लाभ मिलना भी सनिश्चित हुआ है। संगठन संरचना की दृष्टि से भी भाजपा अलग दिखाई देती है। उसका विरोध करने वाली पार्टियां परिवार आधारित थीं। वामपंथी अवश्य परिवार आधारित नहीं थे लेकिन जनभावना को समझने में नाकाम रहे। इसलिए इनकी प्रासंगिकता समाप्त होती जा रही है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसी प्रकार के मुद्दे लखनऊ यात्रा के दौरान उठाये। उनकी यात्रा समय व स्थान के हिसाब से सीमित थी। लेकिन इसका सन्देश व्यापक रहा। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के साथ बैठक में सुशासन का सन्देश दिया। नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को सराहनीय बताया। इसके अलावा उनकी यात्रा के राजनीतिक सन्देश भी साफ थे। पार्टी ने सरकार की उपलब्धियों के बल पर विपक्ष के मुकाबले का मंसूबा जताया। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को सीएम नम्बर वन बनने की बधाई दी। कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित टाइम मैगजीन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रशंसा में तथ्यपरक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था कि योगी आदित्यनाथ ने कोरोना आपदा प्रबंधन में विकसित देशों को बहुत पिछले छोड़ दिया। इसके पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसी प्रकार की रिपोर्ट जारी की थी। उसने विकसित देशों को योगी आदित्यनाथ के मॉडल से प्रेरणा लेने की नसीहत दी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनेक अवसरों पर योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा कर चुके हैं। करीब दो दिन पहले ही उन्होंने एक वर्चुअल कार्यक्रम में भी यह कहा था। उनका कहना था कि योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अनेक उल्लेखनीय कार्य किये हैं। राष्ट्रीय स्तर पर विकास कार्यों में उत्तर प्रदेश ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किये हैं। इस क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी योगी आदित्यनाथ को नम्बर वन सीएम बनने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका की तुलना में उत्तर प्रदेश ने बेहतर तरीके से कोरोना पर नियंत्रण पाया। योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मजदूरों की ही चिंता नहीं की बल्कि बाहरी राज्यों के मजदूरों की भी चिंता कर उन्हें उनके घर भेजा।

देश के सर्वे में पीएम मोदी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। तो उनके नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी ने भी उनका हाथ बंटाया है। जेपी नड्डा ने नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को ऐतिहासिक व अभूतपूर्व बताया। पांच सौ वर्षों के बाद अयोध्या में राममंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है। भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। तीन तलाक, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों को छूने का लोगों में साहस नहीं था। नरेंद्र मोदी ने इच्छाशक्ति दिखाई। तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा,अनुच्छेद 370 समाप्त किया गया। इसी प्रकार नागरिकता संशोधन कानून लागू किया गया। जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान के उत्पीड़ित बन्धुओं को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हुआ।

भाजपा की सरकारें सुशासन के प्रति समर्पित रहती हैं क्योंकि यही उनकी विचारधारा है। भाजपा इसी विचारधारा पर आधारित पार्टी है। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को साकार करने का काम भाजपा ने ही किया। उसकी सरकारें अनवरत इस दिशा में प्रयास कर रही हैं। भाजपा समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के विकास की बात करती है। उनको मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास करती है। इसके लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है। कांग्रेस के लोग जब रिवोल्यूएशन की बात करते थे भाजपा इवेल्यूएशन की बात करती थी। वामपंथी पेट की भूख को बड़ा बताते हैं। वह मानते हैं कि भूख मिटने से संतुष्टि मिलती है लेकिन जहां शरीर, मन, बुद्धि एकात्म के साथ आगे बढ़ती है वहीं सम्पूर्ण संतुष्टि मिलती है। यही एकात्म मानववाद है। इसी में अंत्योदय विचार समाहित है।

इसी के अनुरूप नरेंद्र मोदी सरकार ने चालीस करोड़ लोगों के जनधन खाते खुलवाए। पहले ये लोग बैंकिंग सेवा से वंचित थे। आयुष्मान, उज्ज्वला और निर्धन आवास योजनाएं संचालित की गई। देश खुले में शौच से मुक्त हो गया। भाजपा सरकार ने घर-घर बिजली पहुंचाई। आठ करोड़ गैस कनेक्शन दिए। राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि योजनाओं के एक रुपये में पन्द्रह पैसा गरीबों तक पहुंचता था। आज पूरा पैसा सीधे लोगों के खातों में पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री ने सही समय पर फैसला लिया और आज हम कोरोना से कम प्रभावित हुए।

भाजपा अध्यक्ष ने विपक्ष पर जमकर निशाना लगाया। उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक हर पार्टी परिवारवाद और जातिवाद की चपेट में है। ऐसी पार्टियों में पिता अपनी गद्दी बेटे को सौंपते हैं लेकिन भाजपा में परिवारवाद नहीं है। भाजपा में साधारण परिवार से आनेवाले लोग प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं। भाजपा परिवार नहीं कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। कार्यकर्ताओं की ताकत अमूल्य है। यह परिवर्तन लाने का माध्यम बनती है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
 

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