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मणिपुर मामले का आकार - मानसून सत्र लाचार - हंगामे का वार पलटवार

महिलाओं की सुरक्षा पर राजनीति गरमाई - बात तुम्हारा शासन हमारा शासन पर आईं 

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हमारे शासन पर हंगामे से शाब्दिक वार - तुम्हारे शासन पर भी घटनाओं हुई से शाब्दिक पलटवार - ए बाबू ! जनता देख रही है, 2024 में जवाब देने को है तैयार - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आदि अनादि काल से भारत अनेक कठिनाइयों विपत्तियों अन्यायों का मुकाबला कर सफ़लता अर्जित की है, जिसके सटीक उदाहरण महाभारत रामायण 200 से अधिक वर्षो की गुलामी से लेकर आजादी के 1947 के दंगों से लेकर ताज हमला संसद हमला से लेकर जेके में आतंकवाद सहित अनेक विपत्तियों से मुकाबला कर विजय का झंडा लहराया है। उसी कड़ी में 20 जुलाई 2023 को सोशल मीडियामें आई दो महिलाओं पर दरिंदगी से पूरा देश शर्मसार महसूस कर रहा है, इसलिए हमें पक्ष विपक्ष जनता जनार्दन शासन-प्रशासन सभी को मिलकर एक मंच से इसका मुकाबला कर सोच विचार आपसी ज्ञान चर्चा कर दोषियों को कड़ी सजा, प्रशासनिक अधिकारियों लापरवाह अधिकारियों जिम्मेदार पदों पर विराजित व्यक्तियों पर कार्यवाही करना लाजमी है, जिससे कि पिछले दो माह से मणिपुर जल रहा था। 4 मई 2023 की घटना को अभी संज्ञान में आना, पीएम के अमेरिका दौरे पर जाते समय दस विपक्षी पार्टियों ने मणिपुर संबंधी दंगे पर मेमोरेंडम देना, केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा दो-तीन दिन मणिपुर में रहकर क्या समाधान किए? जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श करने की ज़रूरत है. संयोगवश अभी संसद का मानसून सत्र भी 20 जुलाई से 11 अगस्त 2023 तक शुरू है जिसमें सुलभता से चर्चा कर समाधान निकाला जा सकता है। परंतु यह क्या ? दो दिनों से हम मीडिया के माध्यम से टीवी चैनलों पर देख सुन रहे हैं, संसद के अंदर हंगामा जिसमें मणिपुर का मामला, पीएम के बयान की मांग, नियम 267 का नोटिस, मणिपुर पर चर्चा की मांग है तो पक्ष द्वारा संबंधित मंत्रालय के गृहमंत्री के बयान, महत्वपूर्ण बिलों को पास करने जैसे तर्क दे रहा है और संसद के बाहर तुम्हारे शासन और हमारे शासन की बात पर तर्क वितर्क किए जा रहे हैं। हर पक्ष दूसरे पक्ष वाली सरकार शासन में महिलाओं पर अत्याचार की बात कर रहे हैं। 21 जुलाई 2023 को शाम एक पक्ष महिला संसद उनके राज्य में महिलाओं पर हो रहे भारी अत्याचार सुना कर रो पड़ी, जिसे सभी चैनलों द्वारा दिखाएं गया तो दूसरी तरफ 21 जुलाई 2022 को ही विपक्ष शासन राज्य में उनके एक मंत्री द्वारा विधानसभा में अपनी ही सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए तो उन्हें हाईकमान से विचार विमर्श कर तुरंत बर्खास्त कर दिया गया इस संबंध में माननीय सीएम शनिवार 22 जुलाई 2023 को पीसी कर अपना पक्ष रखे हैं। इसलिए चूंकि महिलाओं की सुरक्षा पर राजनीति गरमाई , बात तुम्हारा शासन हमारा शासन पर आई। इसलिए आज हम मीडिया उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मणिपुर मामले का आकार, मानसून सत्र लाचार, हंगामे पर वार पलटवार। 

साथियों बात अगर हम 17वीं लोकसभा के 12 वें सत्र के दूसरे दिन मणिपुर मामले पर मानसून सत्र में 21 जुलाई 2023 का दिन भी भेंट चढ़ने की करें तो, मानसून सत्र के दूसरे दिन मणिपुर की स्थिति पर विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक, फिर सोमवार 24 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा की कार्यवाही भी पहले दोपहर 2-30 बजे और फिर 24 जुलाई तक के लिएस्थगित कर दी गई। मानसून सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा में भी कोई कामकाज नहीं हो सका। लोकसभा स्थगित, 24 जुलाई, 2023 को पूर्वाह्न 11 बजे फिर से बैठक होगी। विपक्षी सांसदों ने मणिपुर मुद्दे को लेकर हंगामा और नारेबाजी की, विपक्ष की मांग है कि पीएम संसद में मणिपुर की घटना पर बयान दें और इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान उपस्थित रहें। मणिपुर मुद्दे पर संसद में हंगामे पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, दोनों सदनों के अध्यक्ष जब भी निर्देश देंगे हम चर्चा के लिए तैयार हैंकेंद्रीय गृह मंत्री ने आधिकारिक तौर पर लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से कहा है कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं। विपक्ष के लिए एक को छोड़कर नई मांग करना और चर्चा में बाधा डालना गलत है। महत्वपूर्ण विधेयक हैं और पीएम के नेतृत्व में पक्ष संसद में व्यापक चर्चा करना चाहती है, विपक्ष सिर्फ एक गलत नरेटिव गढ़नेऔर संसद की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश कर रहा है। लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच रक्षा मंत्री ने कहा, मणिपुर की घटना निश्चित रूप से बहुत गंभीर है और स्थिति को समझते हुए, पीएम ने खुद कहा है कि मणिपुर में जो हुआ उसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। पीएम ने कहा है कि घटना पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। हम तो यही चाहते हैं, मैंने यह सर्वदलीय बैठक में कहा था और मैं इसे संसद में दोहराता हूं कि हम मणिपुर पर सदन में चर्चा चाहते हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि कुछ राजनीतिक दल हैं जो अनावश्यक रूप से यहां ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं ताकि मणिपुर पर चर्चा ही न हो सके। मैं स्पष्ट रूप से आरोप लगा रहा हूं कि यह विपक्ष मणिपुर पर उतना गंभीर नहीं है जितना उन्हें होना चाहिए। पक्ष ने गुरुवार कोपूर्वोत्तर राज्य में दो महिलाओं को नग्न घुमाने के 4 मई के वीडियो के सामने आने के समय पर सवाल उठाया, सत्तारूढ़ दल ने कहा कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा से हिंसा प्रभावित राज्य के लोगों को सार्थक और सकारात्मक संदेश जाता लेकिन विपक्षी दलों ने ऐसा नहीं होने दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि विपक्ष शासित राज्यों में महिलाओं के साथ हुई हिंसा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा का मामला भी सामने आ सकता है। विपक्ष संसद ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस देकर मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की है।एके सांसद ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस देकर मणिपुर के हालात पर चर्चा कराने की मांग की है। राजद सांसद  ने भी राज्यसभा में नियम 267 के तहत सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया है और मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग की है। 
साथियों नियम 267 क्या है?जिसके तहत राज्यसभासदस्य देते हैं सस्पेंशन ऑफ​ बिजनेस' नोटिस! राज्यों की परिषद (राज्य सभा) में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के अनुसार, नियम 267 के तहत, कोई भी सदस्य, सभापति की सहमति से, यह प्रस्ताव कर सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध कार्यों से संबंधित किसी प्रस्ताव पर लागू होने वाले किसी भी नियम को निलंबित किया जा सकता है और यदि प्रस्ताव पारितहो जाता है,तो विचाराधीन नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाएगा। एक ओर जहां सत्ता पक्ष महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष मण‍िपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, महंगाई और अडाणी मामले पर जेपीसी गठित करने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। सरकारी सूत्रों का कहना है कि सत्र में महत्वपूर्ण विधेयक पेश किये जाने हैं, ऐसे में सभी दलों को सत्र चलाने में सहयोग करना चाहिए क्योंकि सरकार नियम व प्रक्रिया के तहत किसी भी विषय पर चर्चा कराने से पीछे नहीं हट रही है. वहीं, हाल में कांग्रेस पार्टी की, संसदीय रणनीति समूह की बैठक में सत्र के दौरान मण‍िपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, संघीय ढांचे पर कथित आक्रमण,जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाने और महंगाई पर चर्चा कराने की मांग उठाने पर जोर देने की बात कही गई थी। 
साथियों बात अगर हम एक पक्ष संसद महिला के रोने की करें तो, एक महिला सांसद एक राज्य की महिलाओं की स्थिति बताते टीवी पर भयंकर रो पड़ी और कहने लगी कि मणिपुर देख रहे हो पहले बंगाल को तो देखो ठीक उसीतरह विधानसभा में एक विधायक ने भी यही कहा कि पहले अपने राज्य में देखो, इनको कैसी बातें कर रहे हो कहकर उसे सस्पेंड कर दिया गया यह कैसी राजनीति है। 
साथियों बात अगर हम विपक्षी शासित राज्य में सीएम द्वारा अपने मंत्री की बर्खास्तगी की करें तो, मंत्री ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के मामलों की तुलना अपने राज्य में महिलाओं पर होने वाली घटना से की थी। उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान कहा कि राज्य में भी महिलाओं के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है। सरकार को मणिपुर के बजाय अपने राज्य में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर ध्यान देना चाहिए। इस बयान के बाद सीए ने उन्हें मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शुक्रवार 21 जुलाई को विधानसभा में अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए थे तो उनपर कार्रवाई करते हुए उनकी बर्खास्तगी के लिए राज्यपाल को अनुशंसा की, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया, इस मामले पर मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। 
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मणिपुर मामले का आकार - मानसून सत्र लाचार - हंगामे का वार पलटवार महिलाओं की सुरक्षा पर राजनीति गरमाई-बात तुम्हारा शासन हमारा शासन पर आईं।हमारे शासन पर हंगामे से शाब्दिक वार - तुम्हारे शासन पर भी घटनाओं हुई से शाब्दिक पलटवार - ए बाबू ! जनता देख रही है, 2024 में जवाब देने को है तैयार।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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