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याद करेगी दुनियां तेरा मेरा यारानां

भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंधों में नया ऐतिहासिक अध्याय जुड़ा 

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kishan

ह्यूमन रिसोर्सेस का आदान-प्रदान और कारोबारी संबंधों की नई ऊंची उड़ान से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के दूरगामी सुख़द परिणाम होंगे - एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया - वर्ष 1981 में 10 ज़नवरी को रिलीज हुई हिंदी फीचर फिल्म याराना का अंजान द्वारा लिखा गीत, तेरे जैसा यार कहां कहां ऐसा याराना, याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफ़साना गीत को हमारे युवाओं को जरूर सुनना चाहिए।क्योंकिसकारात्मक दोस्ती संबंधोंसे नएनएऐतिहासिक आयाम लिखे जा सकते हैं,एक और एक ग्यारह का फार्मूला प्रैक्टिकल में बन जाता है और सुख दुख दोनों कंधों से कंधा मिलाकर जिंदगी रूपी पटरी पर चल रहे जीवन रूपी रेलगाड़ी के दोनों पहिए बनकर नैया पार करते हैं। यह बात आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि, ऑस्ट्रेलिया के पीएम का 8-11 मार्च 2023 का दौरा बहुत ही सकारात्मक और संबंधों में नया ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया। जिसके दूरगामी परिणाम भविष्य में देखने को मिलेंगे। पहली बार भारतीय धरती पर ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी होगी, ह्यूमन रिसोर्सेस का आदान-प्रदान, फ्री ट्रेड झोन की संभावना,व्यापारिक रणनीतियों कारोबार शिक्षा सहित अनेक नीतियों समझौतो को ऊंची उड़ान मिलेगी। पहले जो 8 से अधिक समझौते हैं उनकी प्रगति में तीव्रता आने की संभावना सृजित हुई है, जो 10 मार्च को भारत ऑस्ट्रेलिया की पहली फेस टू फेस वार्षिक शिखर वार्ता हुई। जबकि 2022 में वर्चुअल हुई थी। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2022 में भारत ऑस्ट्रेलिया का नवां  सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता (ईसीटीए) हुआ है जो रूपांतर का समझौता है। 
साथियों बातअगर हम ऑस्ट्रेलिया पीएम के भारत यात्रा के उत्साह और संबंधों के नए इतिहास रखने की प्रतिबद्धता की करें तो, भारत रवाना होने से पहले पीएम ने इस यात्रा को ऑस्ट्रेलिया के लिए लिए ऐतिहासिक मौका बताया है उन्होंने कहा था कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में मौजूदा हालात को देखते हुए हमारे पास भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने आगे कहा कि यह यात्रा भारत के साथ हमारे संबंधों को गहरा करने और हमारे क्षेत्र में स्थिरता और विकास के लिए एक ताकत बनने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक समृद्ध मित्रता है, जो हमारे सामान्य हितों, हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, हमारे लोगों के बीच के बंधन और लगावपूर्ण प्रतिद्वंद्विता पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारतीय पीएम के निमंत्रण पर वे अहमदाबाद, मुंबई और नई दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। पीएम ने इसे भारत के साथ व्यापार के लिए ऑस्ट्रेलियाई कारोबारियों के लिए अद्भुत अवसर करार दिया। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले से ही व्यापक रणनीतिक या सामरिक साझेदारी है,ये सामरिक साझेदारी यानी स्ट्रैटजिक पार्नटनशिप से भी एक कदम आगे की साझेदारी है। दुनिया में बहुत कम देश हैं,जिनके साथ भारत के इस तरह के कूटनीतिक संबंध हैं। इसके बावजूद भी ऑस्ट्रेलिया के पीएम चाहते हैं कि दोनों देशों के सबंध इससे भी आगे जाकर और मजबूत हो। दरअसल बतौर पीएम भारत की पहली यात्रा पर आए हैं और नई दिल्ली पहुंचने से पहले ही उन्होंने अपने इरादों से भारत को अवगत करा दिया था। भारत आने से पहले ऑस्ट्रेलिया की ओर से 5 मार्च को भी बयान जारी किया गया था, इसमें ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा था कि पीएम के रूप में यह मेरी पहली भारत यात्रा होगी और मैं दोनों देशों के बीच गहरे संबंध को और मजबूत करने को लेकर इच्छुक हूं।एक कदम और आगे बढ़ते हुए ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा था कि हमारा भारत के साथ संबंध मजबूत है, लेकिन इसे और भी मजबूत किया जा सकता है। द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी से बल मिलता है, जो हमारे रक्षा, आर्थिक और तकनीकी हितों को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ऑस्ट्रेलियाई पीएम के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया था कि पीएम की अहमदाबाद, मुंबई और नयी दिल्ली की यात्रा से भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच संबंध और प्रगाढ़ होंगे। बयान में भारत को ऑस्ट्रेलिया का घनिष्ठ मित्र और भागीदार बताया गया, इससे व्यापार और निवेश बढ़ाने का मौका मिलेगा, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था मजबूत होंगी। साथ ही दोनों देशों के लोगों को सीधे लाभ भी मिलेगा। उन्होंने भरोसा जताया है कि भविष्य में भी भारत, ऑस्ट्रेलिया के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार और करीबी दोस्त बना रहेगा। 
साथियों बात अगर हमऑस्ट्रेलिया पीएम के चार दिवसीय दौरे और 10 मार्च 2023 को वार्षिकशिखर वार्ता की करें तो इसमें नए आयामों के ऐतिहासिक आयाम जुड़े। दोनों देशों के मजबूत होते संबंधों का ही असर है कि भारत में परिसर स्थापित करने के लिए किसी विदेशी विश्वविद्यालय को पहली बार मंजूरी देने के लिए ऑस्ट्रेलिया के एक यूनिवर्सिटी को चुना गया है।ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय पहला विदेशी विश्वविद्यालय होगा, जो भारत में अपना परिसर बनाएगा।  डीकिन विश्वविद्यालय को गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी में परिसर स्थापित करने की अनुमति दी गई है। दोनों देशों के बीच व्यवसाय संबंधों को और बढ़ाने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ और ऑस्ट्रेलिया की व्यवसाय परिषद के बीच चार वर्ष के विस्तार एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।भारत और ऑस्ट्रेलिया इंडो पैसिफिक रीजन में एक महत्वपूर्ण साझेदार हैं। दोनों का ही नजरिया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आवागमन बाधारहित हो और हर देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करे. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने नजरिए से क्वाड देशों की भूमिका काफी बढ़ गई है। क्वाड में अमेरिका और जापान के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया भी एक-दूसरे के सहयोगी हैं। बीते कुछ सालों में भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया का भी चीन के साथ रिश्ते उतने अच्छे नहीं रह गए हैं और यही वजह है किऑस्ट्रेलियन पीएम चाहते हैं कि भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के कूटनीतिक रिश्ते और गहरे हो, जिससे चीन के साथ व्यापार और बाकी संबंधों के बिगड़ने का भी असर उनके देश पर नहीं पड़े। ऑस्ट्रेलिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करता आया है। 
साथियों बात अगर हम इन संबंधों के नए ऐतिहासिक आयामों के लिए लंबे समय से चल रही कोशिशों को रेखांकित करें तो, एक प्रिंट मीडिया पेपर के अनुसार, जब साल 2012 में ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने भारत का दौरा किया था तब दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने की कुछ कोशिश की गई थी लेकिन इसमें सफ़लता नहीं मिली थी। लेकिन बीते कुछ सालों में सबसे बड़ा बदलाव ये हुआ है कि दोनों देशों की सरकार के बीच रिश्ते बेहतर करने की इच्छा दिखी है।दोनों देश लोकतांत्रिक परंपराओं को मानने वाले हैं, दोनों जगह अंग्रेज़ी भाषा का व्यापक इस्तेमाल किया जाता है और आर्थिक तालमेल भी हैदोनों ही देशों में हुई राजनीतिक उपेक्षा, व्यापारिक संभावनाओं को नज़रअंदाज़ किए जाने और शीत युद्ध के समय से चली आ रही भूराजनीति ने द्विपक्षीय रिश्तों को सीमित करके रखा था।अख़बार लिखता है, हालांकि, हालिया समय में उच्च स्तरीय आदान-प्रदान ने दोनों देशों को वो राजनीतिक गति दी जिसकी उन्हें सख़्त ज़रूरत थी। ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ रिश्तों के विस्तार पर खास ज़ोर दिया और बीते साल यानी 2022 में भारत की ओर से भी ऑस्ट्रेलिया को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी जिस समय 10 भारतीय केंद्रीय मंत्री ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए। बीते कुछ सालों में जिस तरह ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय रिश्ते बदले हैं शायद ही उतनी तेज़ी से भारत के किसी और देश के साथ रिश्तों में सुधार आया है।
साल 2014 में जब पीएम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था तो ये लगभग तीन दशक में पहली बार था जब भारतीय प्रधानमंत्री कैनबरा पहुंचे।इससे पहले राजीव गांधी ने साल 1986 में बतौर पीएम ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। 
अतः अगर हम उपरोक्त पर्यावरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि याद करेगी दुनियां तेरा मेरा यारानां। भारत-ऑस्ट्रेलिया के संबंधों में नया ऐतिहासिक अध्याय जुड़ा। ह्यूमन रिसोर्सेस का आदान-प्रदान और कारोबारी संबंधों की नई ऊंची उड़ान से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के दूरगामी सुख़द परिणाम होंगे।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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