Anant TV Live

आमाबेड़ा के बड़े तेवड़ा में कफन-दफन विवाद खत्म, सरपंच ने सामने रखा पूरा घटनाक्रम

कांकेर कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र अंतर्गत बड़े तेवड़ा गांव में धर्मांतरित परिवार के एक व्यक्ति के शव के कफन-दफन को लेकर बीते चार दिनों से चला आ रहा विवाद अब शांत हो गया है. इस पूरे मामले में धर्मांतरित सरपंच राजमन सलाम का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने घटनाक्रम की विस्तार से …
 | 

कांकेर

 कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र अंतर्गत बड़े तेवड़ा गांव में धर्मांतरित परिवार के एक व्यक्ति के शव के कफन-दफन को लेकर बीते चार दिनों से चला आ रहा विवाद अब शांत हो गया है. इस पूरे मामले में धर्मांतरित सरपंच राजमन सलाम का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी दी है.

सरपंच राजमन सलाम ने वीडियो बयान में बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने गांव के प्रमुख लोगों से परंपरागत रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कराने की बात कही थी, लेकिन विरोध के चलते उन्हें अपने निजी पट्टे की जमीन पर अंतिम संस्कार करना पड़ा. इसके बाद 16 और 17 दिसंबर को गांव में रैली निकालकर विरोध किया गया, जिसके दौरान मारपीट की घटना हुई. इस घटना में उनके बड़े भाई और भाभी गंभीर रूप से घायल हो गए.

सरपंच ने आरोप लगाया कि 18 दिसंबर को तनाव की स्थिति के बीच शव को कब्र से निकालकर ले जाया गया. साथ ही प्रार्थना भवन और उनके घर में आगजनी की गई. आगजनी की घटना में घर में रखा सोना-चांदी, करीब 4 लाख रुपये नकद और कई महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज जलकर नष्ट हो गए.

इधर, इस मामले पर कांकेर जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष व आदिवासी नेता ईश्वर कावड़े ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि उन्हें ईसाई मिशनरियों से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन आदिवासी समाज की परंपराओं, देवी-देवताओं, पेन-पुरखों और आंगादेव के अपमान को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने आरोप लगाया कि धर्मांतरण के दौरान लोगों से देवी-देवताओं को त्यागने और उन्हें अविश्वासी कहे जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो चिंताजनक हैं.

ईश्वर कावड़े ने स्पष्ट किया कि यदि किसी धर्मांतरित व्यक्ति का अंतिम संस्कार गांव की परंपराओं के अनुसार किया जाता है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन परंपराओं के विपरीत तरीके से किए गए अंतिम संस्कार का विरोध किया जाएगा. उन्होंने धर्मांतरण कर चुके लोगों से मूल धर्म में लौटने की अपील भी की.

जानकारी के अनुसार, मृतक की मृत्यु के बाद गांव में बैठक हुई थी, जिसमें गायता, पुजारी और पटेल ने कहा था कि यदि अंतिम संस्कार गांव की रीति-रिवाज से किया जाए तो कोई आपत्ति नहीं होगी. आरोप है कि इसके बावजूद परिवार द्वारा विदेशी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किए जाने पर जोर दिया गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने विरोध किया.

ग्रामीणों की मांग पर शासन-प्रशासन ने हस्तक्षेप करते हुए कब्र से शव को बाहर निकलवाया. फिलहाल, प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है. हालांकि, घटना को लेकर गांव में कुछ समय तक तनावपूर्ण माहौल बना रहा.

Around The Web

Trending News

You May Also Like