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मेडिकल और एजुकेशनल इमर्जेंसी के लिए धन निकासी पर नए सिरे से विचार करे पीएमसी बैंक : हाईकोर्ट

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मेडिकल और एजुकेशनल इमर्जेंसी के लिए धन निकासी पर नए सिरे से विचार करे पीएमसी बैंक : हाईकोर्ट

नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएमसी बैंक को निर्देश दिया है कि वे मेडिकल और एजुकेशनल इमर्जेंसी के लिए पैसे निकालने के लिए खाताधारकों के आवेदनों पर नए सिरे से विचार करे। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे उन खाताधारकों की सूची बैंक को तीन हफ्ते में दें, जिन्हें मेडिकल और एजुकेशनल इमर्जेंसी के लिए पैसे की जरूरत हो। मामले पर अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी।

कोर्ट ने पीएमसी बैंक को खाताधारकों के आवेदन पर दो हफ्ते में विचार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पीएमसी बैंक को निर्देश दिया कि वे अपने फैसले की जानकारी हलफनामा के जरिये कोर्ट को दें। सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उसके दिशानिर्देश में एजुकेशनल इमरजेंसी का कोई जिक्र नहीं है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 1 दिसंबर, 2020 को इस मामले पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह सामान्य याचिका नहीं है, हमें बैंक और निवेशकों दोनों के हितों का ध्यान रखना होगा। कोर्ट ने रिजर्व बैंक को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने आपात स्थिति में पांच लाख रुपये निकालने का मामला पीएमसी बैंक पर ही छोड़ दिया था।

याचिका बिजॉन कुमार मिश्रा ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने याचिका में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से सभी खाताधारक अपनी जमा-पूंजी के भरोसे ही हैं। उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा, शादी और दूसरी जरुरतों के लिए पैसे की जरूरत है। ऐसे में पीएमसी खाताधारकों को ऐसी किसी भी आपातस्थिति में धन निकासी की अनुमति दी जाए। पिछले 21 जुलाई को कोर्ट ने पीएमसी बैंक, रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। वकील शशांक देव सुधी ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौर में अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए बिना किसी प्रक्रियागत बाधा के पांच लाख रुपये तक की निकासी करने की छूट दी जाए। याचिका में कहा गया है कि बैंक के कुछ निवेशकों ने इसके लिए पीएमसी बैंक और दूसरे पक्षकारों के समक्ष अपनी बातें रखी थीं।

निवेशकों ने हाईकोर्ट के पहले के आदेश का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने जरूरी काम के लिए पैसे निकालने की इजाजत दी थी। बैंक के कुछ खाताधारकों ने अपनी समस्याओं का हवाला दिया था। पीएमसी बैंक के रवैये से देश के बैंकिंग सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। देश भर में फैले पीएमसी के ब्रांचों के रखरखाव पर करीब आठ करोड़ रुपये का बेजा खर्च होता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके पहले रिजर्व बैंक और पीएमसी बैंक को कोरोना के संकट के दौरान खाताधारकों की जरूरतों का ध्यान रखने का निर्देश दिया था। सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगाते हुए बैंक से 40 हजार रुपये की निकासी की सीमा तय की थी। पीएमसी बैंक ने एचडीआईएल नामक कंपनी को अपने लोन की कुल रकम का करीब तीन चौथाई लोन दे दिया था। एचडीआईएल का ये लोन एनपीए होने की वजह से बैंक अपने खाताधारकों को पैसे देने में असमर्थ हो गया।

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