चारधाम मार्गों पर सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। दून समेत आसपास के क्षेत्रों में 80 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से आंधी-तूफान चलने की चेतावनी है।
देहरादून, उत्तराखंड में मौसम के तेवर तल्ख बने हैं। पहाड़ से लेकर मैदान तक बादल मंडरा रहे हैं। पहाड़ से मैदान तक वर्षा-ओलावृष्टि से पारे में गिरावट दर्ज की जा रही। अधिकतर इलाकों में तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है।
मंगलवार को दोपहर बाद देहरादून में मौसम बदला और झमाझम बारिश होने लगी। इस दौरान ओलावृष्टि भी हुई।जिससे मौसम सुहावना हो गया। सोमवार को भी देहरादून में कुछ ऐसा ही मौसम बना हुआ था।
विकास नगर में बारिश के साथ पड़े ओले
विकासनगर में मूसलधार बारिश के साथ ओले पड़ने से फसलों को नुकसान हुआ। वर्तमान में लीची पकने के कगार पर थी, ओले पड़ने से लीची की गुणवत्ता खराब हो गई, लीची के फटने से बागवानों को नुकसान हुआ।
वर्षा-ओलावृष्टि और अंधड़ को लेकर आरेंज अलर्ट
वहीं मौसम विभाग की ओर से आज प्रदेश के कई इलाकों में वर्षा-ओलावृष्टि और अंधड़ को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
खासकर चारधाम मार्गों पर सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। दून समेत आसपास के क्षेत्रों में 80 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से आंधी-तूफान चलने की चेतावनी है। बीते तीन दिन से प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। सोमवार को दोपहर बाद मौसम ने करवट बदली और देहरादून समेत ज्यादातर क्षेत्रों में तेज हवा के साथ बौछारें पड़ीं। वर्षा से तापमान में गिरावट आ गई और गर्मी से कुछ राहत महसूस की गई।
ज्यादातर शहरों का तापमान सामान्य से नीचे रहा। दून में सुबह हल्की धूप खिली, लेकिन आसमान में बादल मंडराते रहे। पहाड़ से लेकर मैदान तक वर्षा के आसार बने हुए हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार प्रदेश में मौसम का मिजाज बदला रह सकता है।
नैनीताल, पौड़ी, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार में वर्षा हो सकती है। वहीं, अन्य जिलों में गरज-चमक के साथ ओलावृष्टि की आशंका है। निचले इलाकों में 70 से 80 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से आंधी-तूफान चलने को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
मलघाट के पास खिसकी चट्टान, लिपुलेख मार्ग बंद
चार दिन बाद एक दिन पूर्व खुला तवाघाट -लिपुलेख मोटर मार्ग सोमवार को मलघाट के पास मलबा आने से बंद हो गया है। मार्ग बंद होने से पांगला से लेकर लिपुलेख तक का सम्पर्क भंग हो गया है। आदि कैलास के दर्शन कर लौट रहे आदि कैलास यात्रियों सहित सौ से डेढ़ सौ के आसपास लोग फंस गये हैं। धारचूला से आदि कैलास को जा रहे यात्री तीनतोला से लौट कर नारायण आश्रम पहुंचे हैं।
आदि कैलास यात्रा प्रारंभ होते ही यात्रा मार्ग में लगातार अवरोध आ रहे हैं। लगातार लिपुलेख मार्ग कभी गर्बाधार तो कभी नजंग लखनपुर पर बंद हो रहा है। लखनपुर के पास बीते बुधवार की रात्रि को भारी मलबा आ गया था। इस दौरान आदि कैलास यात्रियों सहित सैकड़ों लोग फंस गए थे। रविवार पूर्वांह 11 बजे लखनपुर के पास मार्ग खुला तब जाकर फंसे यात्रियों सहित अन्य लोग धारचूला पहुंचे। धारचूला से आदि कैलास जाने वाले यात्री उच्च हिमालय में बूंदी और गुंजी पहुंच ।
सोमवार की सायं को तवाघाट -लिपुलेख मार्ग पर तवाघाट और पांगला के मध्य तीनतोला के पास मलघाट में भारी मलबा आ गया। मलबा आने से पांगला, मांगती, घटियाबगड़ सहित उच्च हिमालयी व्यास घाटी के सात गावों का सम्पर्क भंग हो चुका है। मलघाट के पास मलबा आने से मार्ग को लेकर संकट भी पैदा होने लगा है।
बीते वर्षो में यह मार्ग सबसे अधिक मलघाट के पास ही बंद होता रहा है। यहां पर कई मीटर ऊंचाई से मलबा गिरता है और हल्की वर्षा होने पर भी मलबा गिर जाता है। यात्रा के लिए विकल्प मार्ग को ठीक करने की मांग मलघाट के पास मार्ग बंद होने की दशा पर विकल्प भी उपलब्ध है परंतु मार्ग की दशा अच्छी नहीं है।
विकल्प के तौर पर तवाघाट से नारायणआश्रम , आश्रम से जयकोट होते हुए गस्कू तक मार्ग है। नारायण आश्रम से गस्कू तक मोटर मार्ग की हालत बहुत अच्छी नहीं है। स्थानीय जनता ने तवाघाट -लिपुलेख मार्ग में मलघाट के पास मार्ग बंद होने पर इस वैकल्पिक मार्ग से यात्रा संचालन करने के लिए प्रशासन से संबंधित विभाग को निर्देशित करने और गैंग तैनात करने की मांग की है ताकि चीन सीमा और आदि कैलास तक जा पाना संभव हो सके।