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आसाराम&नारायण साईं का कट्टर अनुयायी 10 सालों से था फरार, नोएडा से हुआ गिरफ्तार

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आसाराम&नारायण साईं का कट्टर अनुयायी 10 सालों से था फरार, नोएडा से हुआ गिरफ्तार

भोपाल/सूरत

 दुष्कर्म के आरोपी आसाराम के कट्टर अनुयायी दस साल से फरार ताम्रध्वज उर्फ तामराज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह आसाराम के खिलाफ आवाज उठाने वाले कई लोगों पर हमले कर उनकी जान तक ले चुका है। वह म.प्र. सहित 6 राज्यों में वांटेड था और धर्म परिवर्तन कर स्टीफन के नाम से नोएडा में रह रहा था।

जेल में आसाराम-नारायण साईं से की मिलने की कोशिश तामराज ने जेल में आसाराम और नारायण साईं से मिलने की भी कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार नाकाम रहा। वह आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं का इतना कट्टर समर्थक था कि उनके खिलाफ आवाज उठाने वाला हर शख्स उसके निशाने पर होता था।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव का रहने वाला है देशभर में आसाराम और नारायण साईं के खिलाफ दर्ज बलात्कार और मारपीट के मामलों में गवाहों पर तेजाब फेंकने, जानलेवा हमला करने और हत्या करने के मामले में शामिल ताम्रध्वज उर्फ ​​तामराज उर्फ ​​राज उर्फ ​​स्टीफन (37) को सूरत शहर की क्राइम ब्रांच ने उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर से गिरफ्तार किया है। आरोपी छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के बड़भूम गांव का निवासी है। हरियाणा सरकार ने तामराज पर 50,000 रुपए का इनाम रखा था।

आसाराम के लिए खतरा बन चुके लोगों को बनाया निशाना

जानकारी के अनुसार, ताम्रध्वज सिर्फ एक साधारण अनुयायी नहीं था, बल्कि वह आसाराम और नारायण साईं के आपराधिक नेटवर्क का अहम हिस्सा था। पुलिस जांच में यह सामने आया है कि उसने उन लोगों को निशाना बनाया, जिन्होंने आसाराम के खिलाफ बयान दिए थे। कई गवाहों पर हमले करवाने और उनकी हत्या करने के आरोप भी उस पर लगे हैं।  

छत्तीसगढ़ से हरियाणा तक अपराधों का नेटवर्क

ताम्रध्वज छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के बड़भूम गांव का रहने वाला है। लेकिन उसके अपराधों का दायरा केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं था। वह हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत छह राज्यों में वांटेड था। हरियाणा सरकार ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम भी रखा था।  

आसाराम के नेटवर्क पर कसेगा शिकंजा  

गुजरात पुलिस की इस गिरफ्तारी से आसाराम और नारायण साईं के अपराध सिंडिकेट पर और शिकंजा कस सकता है। ताम्रध्वज से पूछताछ के बाद इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों और गुप्त फंडिंग से जुड़े अहम सुराग मिलने की संभावना है। पुलिस अब यह जांच भी करेगी कि आखिर इतने सालों तक वह फरार कैसे रहा और किस-किस ने उसकी मदद की। 

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