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राष्ट्रीय एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोग्राम में शामिल नहीं प्रदेश के 46 जिले

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अनोखे लाल द्विवेदी  विशेष संवाददाता भोपाल |  

 मप्र में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। लेकिन विसंगति यह है कि प्रदेश के केवल छह शहरों (भोपाल, देवास, इंदौर, सागर, उज्जैन और ग्वालियर)की एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग हो रही है। यानी 46 जिलों की आबोहवा भगवान भरोसे है। खराब एयर क्वालिटी वाले जबलपुर शहर सहित प्रदेश के अन्य शहरों को सूची में शामिल नहीं करने पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उपभोक्ता मंच की ओर से लीगल नोटिस भेजा गया है। बोर्ड की चयन सूची विवादों में आ गई है। तर्क दिया गया है कि जब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जबलपुर के वायु इंडेक्स को पुअर श्रेणी में रखा है, तो फिर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सूची में इसे कैसे नजरअंदाज कर दिया गया?

जानकारी के अनुसार एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तैयार की गई 124 खराब हवा वाले शहरों की मॉनिटरिंग के लिए निर्देश दिए थे। इन शहरों में राष्ट्रीय एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोग्राम लागू किया जाएगा। जबकि जबलपुर को इससे वंचित कर दिया गया। उपभोक्ता मंच की ओर से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मप्र मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है।

एनजीटी ने जारी किया था आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मंच के डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की दायर याचिका में एक दिसंबर 2020 को आदेश जारी कर देश के 124 शहरों की सूची को घोषित करते हुए वायु सुधार प्रोग्राम शुरू करने के लिए कहा था। इसमें जबलपुर को भी शामिल करने की बात कही गई थी, लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जबलपुर को इस सूची से बाहर कर दिया।

हर जिले में मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित करने का आदेश

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव ने नोटिस भेजकर बताया कि एनजीटी ने यह भी निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के हर एक जिले के मुख्यालय में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन 21 फरवरी 2021 तक स्थापित हो, लेकिन इसका पालन अब तक नहीं हो पाया।

कोरोना में वायु गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो फरवरी 2021 को एमपी के चार शहरों जबलपुर, इंदौर, भोपाल व ग्वालियर में एयर क्वालिटी इंडेक्स जारी किए हैं। इसके अनुसार जबलपुर में पुअर श्रेणी का इंडेक्स है। यहां वायु सुधार कार्यक्रम लागू करने की जरूरत है। नोटिस में एक महीने के अंदर जबलपुर को शामिल करने की बात लिखी गई है। ऐसा नहीं करने पर एनजीटी में अवमानना का मामला लगाने की बात कही गई है।

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