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8वे इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल मे "विज्ञानिका" आयोजन का शुभारंभ हुआ - विज्ञान साहित्य सृजन के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान को लोकप्रिय बनाने के लिए आत्ममंथन की गई

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VIGYAN
भोपाल (मध्य प्रदेश) डॉक्टर आर बी चौधरी

8वे इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल के दूसरे दिन "विज्ञानिका"- "विज्ञान साहित्य" कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिसमें देशभर के 250 से अधिक वैज्ञानिक, विज्ञान लेखक- संचारक, इंजीनियर, रिसर्चर आदि के साथ-साथ स्कूली बच्चे और कॉलेज के विद्यार्थी शामिल हुये। विज्ञान उत्सव के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम विज्ञानिका का गर्मजोशी से शुभारंभ किया सीएसआइआर के डायरेक्टर जनरल, डॉक्टर कलइसेल्वी दीप प्रज्वलित कर। इस अवसर पर सीएसआईआर के रिटायर्ड डायरेक्टर जनरल डॉक्टर शेखर सी मांडे, चीफ साइंटिस्ट श्री हसन जावेद , वैज्ञानिक डॉक्टर मनीष एम गोरे ने भी मौजूद थे और सभी ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि की रूपरेखा तथा अपने अपने विचार रखे।

अतिथि के रूप में सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल,  डॉक्टर कलइसेल्वी ने अनुसंधान और विकास के कई महत्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत काल के अवसर पर विज्ञान संचार को बढ़ावा देने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। सरकार व्यावहारिक विज्ञान के अनुसंधान और तकनीक को जल भाषा में ले जाने के लिए सरकार कटिबद्ध है। क्षेत्रीय भाषाएं विज्ञान को बड़े मुस्तैदी के साथ आम आदमी के बीच पहुंचाने में सार्थक साबित होती है। डायरेक्टर जनरल ने प्रौद्योगिकी कौशल के विकास की बात कही। उन्होंने अंग्रेजी से स्थानीय भाषाओं में अनुवाद के गुणवत्ता और सरल प्रस्तुति की सिफारिश की। यह बता दें कि सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल ,डॉक्टर कलइसेल्वी पहली महिला वैज्ञानिक भेजो पूर्व पद पर आसीन होकर देश की साइंस ऑफ टेक्नोलॉजी को देने के लिए निरंतर तत्पर हैं।

विज्ञानिका के उद्घाटन के इस अवसर पर सीएसआईआर के पूर्व डायरेक्टर जनरल , डॉ शेखर सी. माडे ने कहा कि भारत विज्ञान और तकनीकी विकास में सदैव अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। आज तो हम विज्ञान के विविध क्षेत्रों में प्रगति कर चुके हैं। हुए उन्होंने कहा कि जब देश में पाउडर मिल्क का उत्पादन नहीं पा रहा था तब उस समय सीएसआइआर की मैसूर स्थित प्रयोगशाला और डॉक्टर वी कुरियन की सूझबूझ से देश में पहली बार मिल्क पाउडर बनाने का कार्य आरंभ किया गया। हालांकि, इस कार्य को विदेशी वैज्ञानिकों ने को असंभव करार कर दिया था क्योंकि भारतीय दुग्ध उत्पादन प्रणाली में भैंस का दूध मिला होता है जिससे पाउडर बनाने में कई तरह की तकनीकी दिक्कतें आती हैं। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने दूध से मक्खन अलग कर इस कार्य को सिर्फ सफल ही नहीं बनाया बल्कि मिल्क पाउडर के साथ-साथ मक्खन के उत्पादन में भी वृद्धि करने का भी उपाय खोजा। अतिथि के रूप उपस्थित भोज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय तिवारी ने विज्ञान की लोकप्रियता  की चर्चा की और कहा कि मध्य प्रदेश में विज्ञान संचार के क्षेत्र कई उपलब्धियां हासिल की गई हैं। उद्घाटन सत्र अंत में चीफ साइंटिस्ट श्री जावेद हसन एवं वैज्ञानिक डॉ मनीष एम  गोरे ने भी अपने विचार व्यक्त किए और उद्घाटन सत्र में शरीक सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

विज्ञानिका कार्यक्रम को चार सत्रों में विभाजित किया गया था। जिनमें विज्ञान की लोकप्रियता तथा विज्ञान लेखन के विभिन्न मुद्दों की चर्चा की गई। बीच-बीच में स्कूली विद्यार्थियों तथा विज्ञान लेखकों  एवं पत्रकारों पेपर प्रस्तुति के दौरान प्रश्नोत्तर कार्यक्रम भी संचालित किया गया। इससे प्रस्तुति और भी रोचक  बन गया। आज के कार्यक्रम में लेखन शैली, प्रकाशन सामग्री की विश्वसनीयता, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के बदलते स्वरूप से लेकर वर्तमान परिपेक्ष में विभिन्न चुनौतियों से मुकाबला करने के तरीकों की गहन चर्चा की गई। कार्यक्रम के समापन के अवसर पर गैलीलियो के नाटक का मंचन किया गया ।

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