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झिझिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति

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झिझिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति
भोपाल। मातृभाषा मंच के तत्वधान में बिहार संस्कृतिक परिषद द्वारा प्रस्तुत झिझिया नृत्य रविंद्र भवन मुक्ताकाश मंच पर "तोहरे भरोशे ब्रह्म बाबा झिझिया बनेलिया हो, ब्रह्म बाबा झिझिया पर होइया सवार" के बोल पर  किया गया। यह मनमोहक एवं आकर्षक प्रस्तुति से उपस्थित दर्शको का मन मोह लिया। दर्शको ने तालियों की गड़गड़ाहट से अपनी समर्थन दिया। परिषद के महासचिव सतेन्द्र कुमार ने कहा कि पूर्वी भारत के सुप्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी चोखा, अनरशा, ठेकुआ, हिलसा का स्टाल लगाया गया। उन्होंने कहा कि झिझिया नित्य मुख्यतः भोजपुरी, मगही एवं मैथिली भाषा के लोक नृत्य का अद्भुत समागम है जो बिहार का एक प्रमुख लोक नृत्य अनेक सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन के अवसर पर बिहार के सभी भागों में होता है। इस प्रमुख लोक नृत्य में लड़कियां बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है प्राचीन परंपरा एवं संस्कृति के इस नृत्य में कुंवारी लड़कियां अपने सिर पर जलते दिए एवं चित्र वाला घड़ा को लेकर नाचती है जिसमें वह अपने साथी सहेलियों के साथ एक घेरा बनाकर नित्य करती है और मां दुर्गा से अपने इष्ट देवी देवता से परिवार समाज एवं राष्ट्र की भलाई की शुभकामनाएं करती है। नृत्य करने वाली लड़कियों के घेरे के बीच में एक मुख्य नर्तकी का सिर पर घड़ा लेकर खड़ी हो जाती है एवं घड़े के अंदर एक दीपक जलता रहता है। झिझिया नृत्य में महिलाओं द्वारा एक साथ  ताली बाजन एवं परिचालन एवं थिरकने से जो समा बांधता है वह अत्यंत ही आकर्षक होता है। इस नृत्य में भाग लेने वाले कलाकार कुमारी सौम्या, कुमारी सेजल, कुमारी रिद्धिमा, कुमारी संध्या, कुमारी कल्पना, कुमारी, पायल, कुमारी पल्लवी, कुमारी इशिता, कुमारी नैना, कुमारी लक्ष्मी, कुमारी, देवांशी, कुमारी अपूर्वा, कुमारी साक्षी एवं समन्वय  विंदु, डॉ कल्पना, खुशवु गुप्ता, हरिशंकर प्रसाद, संजय, पृथवीराज सिन्हा शामिल हुए।

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