31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के दूसरे दिन फेस तो फेस वर्कशॉप और स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट्स पर रहा फोकस
हैंड्स ऑन एक्टिविटीज पर रही भीड़
भोजन को पोषण के लिए खाएँ या दवा के रूप में खाएँ, अन्यथा दवा ही आपका भोजन बन जाएगी : सागर भिंडे
भोपाल। 31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के दूसरे दिन विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन और फेस टू फेस कार्यक्रम एवं कार्यशालाओं से रविन्द्र भवन परिसर का माहौल विज्ञानमय रहा |
दूसरे दिन देश के समस्त राज्यों से आये विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन चलता रहा | विद्यार्थियो ने मॉडल्स और पोस्टर के माध्यम से अपने कार्यो के बारे में जानकारी प्रदान की | कार्यक्रम के दूसरे दिन विज्ञान शिक्षकों के लिए "आहार क्रांति – पोषण एवं आहार से कुशल स्वास्थ्य" विषय पर कार्यशाला आयोजित की गयी जिसमे श्री सागर भिंडे एवं श्री मनोहर शिवन विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित थे | कार्यशाला में पारंपरिक भारतीय आहार पिरामिड और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली पर चर्चा की गई। श्री मनोहर शिवन ने कहा कि युवा पीढ़ी को शारीरिक गतिविधियाँ अपनाकर और संतुलित आहार का सेवन करके अपने स्वास्थ्य को बनाए रखना चाहिए। श्री सागर भिंडे , गुजरात विश्वविद्यालय के प्रशिक्षक, ने "आहार क्रांति" की आवश्यकता पर जोर दिया । उन्होंने कहा, "भोजन को पोषण के लिए खाएँ या दवा के रूप में खाएँ, अन्यथा दवा ही आपका भोजन बन जाएगी।" उन्होंने युवाओं में आहार संबंधी विकार, सोशल मीडिया के प्रभाव और पोषण के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया।
पापुलर साइंस लेक्चर के अंतर्गत विशेषज्ञ डॉ. आनंद मधुकर, टीईआरआई स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज, नई दिल्ली के सहायक प्रोफेसर, ने सतत विकास और जलवायु परिवर्तन जागरूकता पर अपना वक्तव्य दिया | उन्होंने 2015 में पेरिस सम्मेलन के दौरान स्थापित 17 वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों की जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि जल, ऊर्जा और कृषि जैसे संसाधनों का कुशल उपयोग और जलवायु नीतियों का क्रियान्वयन भविष्य के लिए आवश्यक है।
पापुलर साइंस लेक्चर के अंतर्गत भारतीय नवप्रवर्तन फाउंडेशन अहमदाबाद के निदेशक डॉ अरविन्द रानाडे ने खगोल शास्त्र और विज्ञान के बारे में रोचक वक्तव्य दिया | उन्होंने विस्तार से ग्रहों, तारों, सौर मंडल, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, भारत में खगोल विज्ञान का विकास विषय पर विस्तार से रोचक जानकारियाँ प्रस्तुत की | उनके वक्तव्य पर विद्यार्थियों ने रोचक प्रश्न भी पूछे जिनके जवाब डॉ रानाडे ने दिए |
शिक्षाप्रद और मनोरंजक गतिविधियाँ आयोजित :
कार्यक्रम के दौरान छात्रों के लिए एक विज्ञान फिल्म शो प्रदर्शित किया गया, जिसने उनकी रुचि को बढ़ाया। इसके अलावा, प्रकृति से संबंधित "सांप-सीढ़ी" खेल ने न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों को भी खूब आनंदित किया। इस अवसर पर जीव जंतु प्रदर्शनी, चीता और बाघ के बारे में जानकारी देती प्रदर्शनी, क्राफट, पर्यावरण प्रदर्शनी, आकाशीय बिजली से बचाव प्रदर्शनी, लोकगीत द्वारा वैज्ञानिक जागरूकता, कागज से टोपी निर्माण को भी विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा सराहा गया | टेलिस्कोप द्वारा आकाश दर्शन किया गया | एकलव्य फाउंडेशन भोपाल द्वारा विभिन्न विज्ञान पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का प्रदर्शन किया गया | इस अवसर पर श्री लखन प्रजापति ने विद्यार्थियों को चाक के माध्यम से मिट्टी के छोटे छोटे पॉट्स बनवाए जिसे बनाकर विद्यार्थी बहुत आन्दित हुए | विभिन्न राज्यों से आये विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी |
कल के मुख्य आकर्षण :
विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन, विज्ञान शिक्षकों के लिए कार्यशाला - "छात्रों के लिए नए युग के शिक्षण उपकरण और तकनीकें" विषय पर शैक्षिक रणनीतिकार श्री राज किशोर का व्याख्यान, "प्रेरणादायक नवाचारी" विषय पर आइसर पुणे के प्राध्यापक डॉ चैतन्य पूरी का व्याख्यान, साइंस और सोसाइटी विषय पर आई आई टी दिल्ली के प्राध्यापक डॉ विवेक कुमार का व्याख्यान,पर साइंस गैलरी, रोबोटिक्स मॉडल्स प्रदर्शनी |
विदित है कि म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, भोपाल (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, मध्यप्रदेश शासन) राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार) संयुक्त रूप से स्कूली छात्रों हेतु 31 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन दिनांक 03 से 06 जनवरी, 2025 को रविन्द्र भवन, भोपाल में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में वीर भारत न्यास एवं विज्ञान भारती भी परिषद की सहयोगी संस्था है | जिसमें पूरे देश के समस्त प्रदेशों से 700 से अधिक विद्यार्थी, शिक्षकों के साथ ही गल्फं कॉपरेटिव कांउसिल के देश (बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, कतर एवं सउदी अरब) के विद्यार्थी भी भाग ले रहे है । उक्त कार्यक्रम भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रवर्तित है एवं आयोजन की थीम “स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को समझना” (''Understanding Ecosystem for health and Well - Being'') है।
बाल विज्ञान कांग्रेस बच्चों में जिज्ञासा उत्पन्न करने, उनकी रचनात्मकता को उजागर करने एवं उनकी कल्पना को साकार करने का अवसर प्रदान करती है।
इस कार्यक्रम के दौरान स्थानीय विद्यार्थियों को दूसरे प्रदेश एवं विदेश से आये विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों से संवाद का अवसर प्राप्त होगा साथ ही विभिन्न कार्यशालाओं एवं विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार के क्षेत्र में ज्ञानार्जन का मौका मिलेगा।