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गोवा की मुक्ति, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की युक्ति

(हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार व लेखक, बालाघाट, मप्र)
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 ग्वालियर   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय स्तर की चार दिवसीय बैठक मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) में होनी है. दीवाली के दिन से शुरू होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक में संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत (Dr. Mohan Bhagwat) पूरे समय उपस्थित रहेंगे. यह बैठक 31 अक्टूबर से शुरू होगी. बताया गया कि संघ की यह राष्ट्रीय बैठक शहर के शिवपुरी लिंक रोड पर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर केदारपुर परिसर में होगी. इसमें डॉ. भागवत चार दिन तक पूरे समय उपस्थित रहेंगे. उपस्थित रहेंगे ये लोग  डॉ. मोहन भागवत के साथ संघ के कार्यवाह दत्तात्रय हौसबोले और अखिल भारतीय टोली के सभी सदस्य भी पूरे समय उपस्थित रहेंगे. आरएसएस की दीपावली बैठक के नाम से हर वर्ष होने वाली इस बैठक के लिए इस बार ग्वालियर को चुना गया है. इस बैठक में संघ परिवार की आगामी रणनीति और पाठ्यक्रमों में संभावित बदलावों पर व्यापक चर्चा होगी.  इन संगठनों को भी किया गया आमंत्रित  सूत्रों के अनुसार बैठक में भाग लेने आरएसएस के विभिन्न आनुषंगिक संगठनों के अपेक्षित पूर्णकालिक पदाधिकारी 30 अक्टूबर से ग्वालियर पहुंचना शुरू हो जाएंगे. इस बैठक का औपचारिक समापन 4 नवंबर को होगा. इस बैठक में भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद सहित संघ से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है. इस बैठक की तैयारियों को लेकर बीती रात से यहां बैठकों का दौर शुरू हो गया है. रात को हुई बैठक में विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को भोजन और व्यवस्था संबंधी दायित्व सौंपे गए.

15 अगस्त को जिस समय समस्त भारत में स्वतंत्रता की 9 वीं वर्षगांठ की खुशियां मनाई जा रही थी। उस समय अखण्ड भारत के पुजारी माता के लाडले, वीर देशभक्त बर्बर पुर्तगालियों की बन्दूकों के सामने सीने खोलकर बढ़ रहे थे। उन पर निरन्तर भीषण रूप में गालियां बरसाई जा रही थीं। एक-दो नहीं ठीक 51 वीरों ने उस दिन मां की वेदी पर स्वजीवन की आहुति चढ़ाई। घायलों की संख्या तो 300 के लगभग पहुंच गई। एक छोटे से क्षेत्र में एक दिन में निहत्थे लोगों की इतनी बड़ी संख्या में हत्या की गई हो इसका उदाहरण संसार के इतिहास में ढूंढ़ने पर शायद ही मिल सके।

पुर्तगालियों भारत छोड़ो

15 अगस्त को इधर तो गगन मण्डल में सूर्य का आगमन हुआ उधर सत्याग्रहियों की टोलियों ने "पुर्तगालियो भारत छोड़ो" के जयघोष के साथ गोवा की सीमा में प्रवेश किया। सीमा पर तैनात पुर्तगाली सैनिकों ने निहत्थे सत्याग्रहियों पर अपनी ब्रोनगनों, स्टेनगनों, रायफलों तथा बन्दूकों के मुंह खोल दिए। एक-के-बाद दूसरा सत्याग्रही बलिदानी होने के लिए बढ़ने लगा। मौत से जूझने की होड़ लग गई। एक दिन में 5000 सत्याग्रही गोवा की सीमा में प्रविष्ट हुए। जिनमें से 51 के लगभग घटनास्थल पर शहीद हुए तथा तीन सौ से ऊपर घायल। इस अहिंसात्मक संग्राम में पुरुषों ने जिस वीरता का परिचय दिया, उससे कहीं अधिक वीरता का प्रदर्शन महिलाओं ने किया। चालीस वर्षीया सुभद्रा बाई ने तो झांसी की रानी की ही स्मृति जाग्रत कर दी। आपने पुरुष सत्याग्रही से झण्डा छीनकर सवयं छाती पर गोली खाकर अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। 

किंचित भी नहीं झुकेंगे: दीनदयाल 

दिल्ली में जनसंघ की ओर से राजेंद्र नगर में एक विशाल  सभा में पं दीनदयाल उपाध्याय ने कहा, “पुर्तगाली शासन बर्बर अत्याचारों से जनता को भयभीत करके भारतीयों को गोवा में आंदोलन करने से रोकना चाहता है किंतु भारतवासी डरते नहीं है। वे पुर्तगाली अत्याचारों के सम्मुख किंचित भी नहीं झुकेंगे। जनसंघ इसके पश्चात बड़ी संख्या में सत्याग्रही भेज कर आंदोलन को प्रबल बनाएगा।” 

दासता से अविलम्ब मुक्ति : गुरुजी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक  माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर, गुरुजी ने एक वक्तव्य में कहा, “गोवा में पुलिस कार्रवाई करने और गोवा को मुक्त कराने का इससे ज्यादा अच्छा अवसर कोई न आएगा। इससे हमारी अन्तरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आसपास के जो राष्ट्र सदा हमें धमकाते रहते हैं, उन्हें भी पाठ मिल जाएगा। भारत सरकार ने गोवा मुक्ति आन्दोलन का साथ न देने की घोषणा करके मुक्ति आन्दोलन की पीठ में छुरा मारा है। भारत सरकार को चाहिए कि भारतीय नागरिकों पर हुए इस अमानुषिक गोलीबारी का प्रत्युत्तर दे। मातृभूमि का जो भाग अभी तक विदेशियों की दासता में सड़ रहा है, उसे अविलम्ब मुक्त करने के उपाय करे”। 

विजय तिरंगा फहराया 

19 दिसंबर, 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव में तिरंगा फहराया दिया। इसे ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया। जोकि 36 घंटों तक चला और विजय हुआ। पुर्तगाल के गवर्नर जनरल वसालो इ सिल्वा ने भारतीय सेना प्रमुख पीएन थापर के सामने सरेंडर कर दिया था। इस तरह भारतीय सेना के बलिदान, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनंसघ की युक्ति और योगदान से गोवा भारतीय गणराज्य का हिस्सा बना। 30 मई, 1987 को गोवा को राज्य का दर्जा दिया गया। जबकि दमन और दीव केन्द्र शासित प्रदेश बने रहे। गोवा मुक्ति दिवस 19 दिसंबर को मनाया जाता है। गोवा मुक्ति दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। इस दिन ने हम सभी को आज़ादी से जीने का मौका दिया। जय गोवा! जय हिन्द!

हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार व लेखक, बालाघाट, मप्र

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