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उद्यानिकी विभाग के मजदूरों के हक में अधिकारी डाल रहे डाका

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मंडला –   मंडला जिला आदिवासी बहुल जिला है आदिवासी बहुल जिला होने का अधिकारी कर्मचारी फल फूल रहे हैं विगत कुछ वर्षो से मंडला जिला भ्रष्टाचार का केंद्र बनता जा रहा है। यहाँ के चाहे नेता हो, अधिकारी हो या कर्मचारी सभी भ्रष्टाचार में लिप्त मिलते है। ऐसा ही एक मामला मंडला जिले के उद्यानिकी विभाग की नारायणगंज (देवरी) से सामने आया है । यहां के मजदूरों ने नर्सरी प्रभारी रमेश कुमार भारती और सहायक संचालक पर यह आरोप लगाये हैं कि उनके द्वारा हर माह मजदूरों से उनकी आय का एक हिस्सा वसूला जाता है । उनसे प्राप्त शिकायत पत्र में उन्होंने यह भी बताया कि प्रभारी अधिकारी द्वारा अपने घर जबलपुर , डिंडोरी ले जाकर उनसे घर के कार्य झाड़ू पोछा कराया जाता है। अगर मजदूरों द्वारा अपनी मजदूरी का पैसा   देने से मना किया जाता है तो उन्हें कार्य से निकलने की धमकी भी दी जाती है ऐसा मजदूरों का कहना है।  जब संजय निकुंज नर्सरी जाकर मामले की तफ्तीश की गई तब कई जानकारियाँ सामने आई। यहाँ पर मजदूरो द्वारा विभिन्न तरह के आरोप नारायणगंज नर्सरी प्रभारी पर लगाये गये। मजदूरों से बात करने पर उन्होंने बताया कि नर्सरी प्रभारी हर माह मस्टर रोल में हाजिरी भरकर उनसे उनकी आय का हिस्सा ले लिया करते हैं। जब मजदूरों द्वारा पूछा गया तो अधिकारी ने जिला अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि या उनके द्वारा राशि  मंगवाई जाती है ।  नर्सरी के पंखे खराब होने पर प्रभारी ने मजदूर से ले लिए 6000 रुपए  नर्सरी के चौकीदार ने नर्सरी प्रभारी पर यह आरोप लगाया कि नर्सरी कार्य आलय के पंखे खराब होने पर उनके द्वारा चौकीदार को नोटिस जारी कर दिया गया और नर्सरी प्रभारी द्वारा उनसे 6000 नगद वसूल लिए गए पर वर्तमान स्थिति में भी नर्सरी का सिर्फ एक ही पंखा सुधार पाया है बाकी सारे पंखे खराब है। चौकीदार ने अपना दर्द का व्याख्यान करते हुए बताया कि  उसकी एक माह की सारी मजदूरी नर्सरी प्रभारी द्वारा वसूल ली गई।  नाराज मजदूरों ने विभाग की पोल पूरी तरह खोल दी और बताया कि विभाग में लंबे समय से मिट्टी और खाद्य कम मात्रा में बुलाई जाती है और मनमानी  बिल लगाए जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व नर्सरी में पानी की मोटर खराब हो गई थी उसका सुधारीकरण का कार्य भी मज़दूरों से ही पैसा लेकर कराया गया।  अस्त – व्यस्त पड़ी है नर्सरी जिम्मेदार कौन  नर्सरी का मुआयना करने पर हमने पाया की नर्सरी पूरी तरह अस्त- व्यस्त पड़ी हुई है । पौधों में पॉलिथिन बेग तक नही है कहने को तो यह नर्सरी लगभग दस एकड़ में फैली हुई है पर नर्सरी का मुआयना करने पर हमने यह पाया कि ना ही कहीं नर्सरी के विभिन्न भागों तक जाने के लिए उपयुक्त रास्ते हैं और ना ही वहां पर पौधों का संरक्षण ठीक तरह से किया गया है। खरपतवार  से भरी पड़ी है नर्सरी  जिस कारण पौधे फल – फूल नहीं पा रहे हैं। नर्सरी में ना तो झंडा फहराने के लिए उपयुक्त जगह है ना ही मुख्य गेट है  और ना ही पंखे और अन्य उपकरण चालू स्थिति में हैं।  इस विषय पर जब हमने नर्सरी प्रभारी से बात की तो वह हर बात से पल्ला झाड़ते नजर आए। उन्होंने यह माना की मेरे द्वारा मजदूरों से आय का हिस्सा लिया जाता है पर उन्होने कहा की उस पैसे का उपयोग नर्सरी के विकास और रखरखाव में किया जाता है पर नर्सरी में ना ही कोई विकास दिखता है और ना ही कोई कार्य है उल्टा सारी नर्सरी अस्त व्यस्त पड़ी हुई है। जब हमने अधिकारी से पूछा कि आप किस नियम के तहत मजदूरों के पैसों से नर्सरी का विकास कार्य करते हैं क्या आपके पास ज़िला कार्यालय से नर्सरी के रखरखाव के लिए कोई राशि नहीं आती? इस विषय पर उन्होंने बताया कि जिला कार्यालय से उन्हें रखरखाव के लिए कोई भी राशि नहीं आती है जिस कारण उन्हें मजदूरों से पैसे लेकर नर्सरी का रखरखाव करना पड़ता है।  इस विषय पर सहायक संचालक उद्यानिकी ने बताया कि हमारे द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जॉच के लिए टीम गठित कर दी गई है  उन्होंने बताया कि मुझे इस कृत्य की बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी जबकि मजदूरों द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि नर्सरी प्रभारी द्वारा साहायक संचालक के नाम से उनसे राशि वसूली जाती थी। इसके जवाब में जिला उद्यानिकी अधिकारी द्वारा यह बताया गया कि उनके द्वारा किसी भी प्रकार की राशि आज तक नहीं ली गई है पर आपने कार्यक्षेत्र की नर्सरी और विकासखण्ड मैं ध्यान ना देना और वहाँ से इस प्रकार की गड़बड़ी का सामने आना जिला अधिकारी की कार्य प्रणाली पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। सहायक संचालक मामले की गंभीरता को ना लेते हुए विभाग के अधिकारियों की ही जांच टीम गठित कर लीपा पोती करने का काम कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि अन्य विभाग के काम से कम दो अधिकारियों को जांच टीम में शामिल कर निष्पक्ष जांच करानी चाहिए पर वे ऐसा नहीं करेंगे। सहायक संचालक की उदासीनता के कारण ही सब यह हो रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब से सहायक संचालक यहां पर पदस्थ हुए हैं जिले के संपूर्ण नर्सरी की स्थिति देनीय है योजनाओं  का सही लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है विभाग में जारी योजनाओं पर लीपा पोती की जा रही है।  संजय निकुंज देवरी नारायणगंज में स्व सहायता समूह की दीदियों द्वारा मनरेगा के अंतर्गत पौधा उत्पादन का कार्य किया जाता है वहां पर नर्सरी प्रभारी द्वारा समूह की अध्यक्ष एवं सदस्यों को बिना बताए ही लगभग आठ बेड यानी हजार बारह सौ आम के पौधों को बेच दिया गया  प्रभारी पूछने पर कहते हे दो ढाई सौ पौधे बेचे है स्व सहायता समूह की महिलाओं हक का पैसा भी डकार गए ,दीदियों का कहना है कि कुछ कहो तो प्रभारी  जेल में डलवाने की धमकी देता है और झूठ बोलता है कि हमने पौधे नहीं बेचे हैं।  नर्सरी प्रभारी का बर्ताव महिलाओं के प्रति ठीक नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड में कई वर्षों से पदस्थ ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी मनमानी पर उतारू है। ऐसे कृत करने वाले अधिकारी को अन्यंत्र विकास खंडों  में भेज कर  कुछ सुधार किया जा सकता है। जाहिर है यह विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार का एक छोटा सा नमूना मात्र है। यह नर्सरी पर कार्य कर रहे मजदूरों की व्यथा को पूर्णतः बयान करता है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है। शासन से उम्मीद है कि मामले की गंभीरता को लेते हुए मजदूरों के हित में निर्णय लेकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए।

मंडला – 

मंडला जिला आदिवासी बहुल जिला है आदिवासी बहुल जिला होने का अधिकारी कर्मचारी फल फूल रहे हैं विगत कुछ वर्षो से मंडला जिला भ्रष्टाचार का केंद्र बनता जा रहा है। यहाँ के चाहे नेता हो, अधिकारी हो या कर्मचारी सभी भ्रष्टाचार में लिप्त मिलते है। ऐसा ही एक मामला मंडला जिले के उद्यानिकी विभाग की नारायणगंज (देवरी) से सामने आया है । यहां के मजदूरों ने नर्सरी प्रभारी रमेश कुमार भारती और सहायक संचालक पर यह आरोप लगाये हैं कि उनके द्वारा हर माह मजदूरों से उनकी आय का एक हिस्सा वसूला जाता है । उनसे प्राप्त शिकायत पत्र में उन्होंने यह भी बताया कि प्रभारी अधिकारी द्वारा अपने घर जबलपुर , डिंडोरी ले जाकर उनसे घर के कार्य झाड़ू पोछा कराया जाता है। अगर मजदूरों द्वारा अपनी मजदूरी का पैसा   देने से मना किया जाता है तो उन्हें कार्य से निकलने की धमकी भी दी जाती है ऐसा मजदूरों का कहना है।

जब संजय निकुंज नर्सरी जाकर मामले की तफ्तीश की गई तब कई जानकारियाँ सामने आई। यहाँ पर मजदूरो द्वारा विभिन्न तरह के आरोप नारायणगंज नर्सरी प्रभारी पर लगाये गये। मजदूरों से बात करने पर उन्होंने बताया कि नर्सरी प्रभारी हर माह मस्टर रोल में हाजिरी भरकर उनसे उनकी आय का हिस्सा ले लिया करते हैं। जब मजदूरों द्वारा पूछा गया तो अधिकारी ने जिला अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि या उनके द्वारा राशि  मंगवाई जाती है ।

नर्सरी के पंखे खराब होने पर प्रभारी ने मजदूर से ले लिए 6000 रुपए

नर्सरी के चौकीदार ने नर्सरी प्रभारी पर यह आरोप लगाया कि नर्सरी कार्य आलय के पंखे खराब होने पर उनके द्वारा चौकीदार को नोटिस जारी कर दिया गया और नर्सरी प्रभारी द्वारा उनसे 6000 नगद वसूल लिए गए पर वर्तमान स्थिति में भी नर्सरी का सिर्फ एक ही पंखा सुधार पाया है बाकी सारे पंखे खराब है। चौकीदार ने अपना दर्द का व्याख्यान करते हुए बताया कि  उसकी एक माह की सारी मजदूरी नर्सरी प्रभारी द्वारा वसूल ली गई।

नाराज मजदूरों ने विभाग की पोल पूरी तरह खोल दी और बताया कि विभाग में लंबे समय से मिट्टी और खाद्य कम मात्रा में बुलाई जाती है और मनमानी  बिल लगाए जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व नर्सरी में पानी की मोटर खराब हो गई थी उसका सुधारीकरण का कार्य भी मज़दूरों से ही पैसा लेकर कराया गया।

अस्त – व्यस्त पड़ी है नर्सरी जिम्मेदार कौन

नर्सरी का मुआयना करने पर हमने पाया की नर्सरी पूरी तरह अस्त- व्यस्त पड़ी हुई है । पौधों में पॉलिथिन बेग तक नही है कहने को तो यह नर्सरी लगभग दस एकड़ में फैली हुई है पर नर्सरी का मुआयना करने पर हमने यह पाया कि ना ही कहीं नर्सरी के विभिन्न भागों तक जाने के लिए उपयुक्त रास्ते हैं और ना ही वहां पर पौधों का संरक्षण ठीक तरह से किया गया है। खरपतवार  से भरी पड़ी है नर्सरी  जिस कारण पौधे फल – फूल नहीं पा रहे हैं। नर्सरी में ना तो झंडा फहराने के लिए उपयुक्त जगह है ना ही मुख्य गेट है  और ना ही पंखे और अन्य उपकरण चालू स्थिति में हैं।

इस विषय पर जब हमने नर्सरी प्रभारी से बात की तो वह हर बात से पल्ला झाड़ते नजर आए। उन्होंने यह माना की मेरे द्वारा मजदूरों से आय का हिस्सा लिया जाता है पर उन्होने कहा की उस पैसे का उपयोग नर्सरी के विकास और रखरखाव में किया जाता है पर नर्सरी में ना ही कोई विकास दिखता है और ना ही कोई कार्य है उल्टा सारी नर्सरी अस्त व्यस्त पड़ी हुई है। जब हमने अधिकारी से पूछा कि आप किस नियम के तहत मजदूरों के पैसों से नर्सरी का विकास कार्य करते हैं क्या आपके पास ज़िला कार्यालय से नर्सरी के रखरखाव के लिए कोई राशि नहीं आती? इस विषय पर उन्होंने बताया कि जिला कार्यालय से उन्हें रखरखाव के लिए कोई भी राशि नहीं आती है जिस कारण उन्हें मजदूरों से पैसे लेकर नर्सरी का रखरखाव करना पड़ता है।

इस विषय पर सहायक संचालक उद्यानिकी ने बताया कि हमारे द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जॉच के लिए टीम गठित कर दी गई है  उन्होंने बताया कि मुझे इस कृत्य की बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी जबकि मजदूरों द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि नर्सरी प्रभारी द्वारा साहायक संचालक के नाम से उनसे राशि वसूली जाती थी। इसके जवाब में जिला उद्यानिकी अधिकारी द्वारा यह बताया गया कि उनके द्वारा किसी भी प्रकार की राशि आज तक नहीं ली गई है पर आपने कार्यक्षेत्र की नर्सरी और विकासखण्ड मैं ध्यान ना देना और वहाँ से इस प्रकार की गड़बड़ी का सामने आना जिला अधिकारी की कार्य प्रणाली पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। सहायक संचालक मामले की गंभीरता को ना लेते हुए विभाग के अधिकारियों की ही जांच टीम गठित कर लीपा पोती करने का काम कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि अन्य विभाग के काम से कम दो अधिकारियों को जांच टीम में शामिल कर निष्पक्ष जांच करानी चाहिए पर वे ऐसा नहीं करेंगे। सहायक संचालक की उदासीनता के कारण ही सब यह हो रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब से सहायक संचालक यहां पर पदस्थ हुए हैं जिले के संपूर्ण नर्सरी की स्थिति देनीय है योजनाओं  का सही लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है विभाग में जारी योजनाओं पर लीपा पोती की जा रही है।

संजय निकुंज देवरी नारायणगंज में स्व सहायता समूह की दीदियों द्वारा मनरेगा के अंतर्गत पौधा उत्पादन का कार्य किया जाता है वहां पर नर्सरी प्रभारी द्वारा समूह की अध्यक्ष एवं सदस्यों को बिना बताए ही लगभग आठ बेड यानी हजार बारह सौ आम के पौधों को बेच दिया गया  प्रभारी पूछने पर कहते हे दो ढाई सौ पौधे बेचे है स्व सहायता समूह की महिलाओं हक का पैसा भी डकार गए ,दीदियों का कहना है कि कुछ कहो तो प्रभारी  जेल में डलवाने की धमकी देता है और झूठ बोलता है कि हमने पौधे नहीं बेचे हैं।  नर्सरी प्रभारी का बर्ताव महिलाओं के प्रति ठीक नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड में कई वर्षों से पदस्थ ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी मनमानी पर उतारू है। ऐसे कृत करने वाले अधिकारी को अन्यंत्र विकास खंडों  में भेज कर  कुछ सुधार किया जा सकता है।
जाहिर है यह विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार का एक छोटा सा नमूना मात्र है। यह नर्सरी पर कार्य कर रहे मजदूरों की व्यथा को पूर्णतः बयान करता है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है। शासन से उम्मीद है कि मामले की गंभीरता को लेते हुए मजदूरों के हित में निर्णय लेकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए।

मंडला – 

मंडला जिला आदिवासी बहुल जिला है आदिवासी बहुल जिला होने का अधिकारी कर्मचारी फल फूल रहे हैं विगत कुछ वर्षो से मंडला जिला भ्रष्टाचार का केंद्र बनता जा रहा है। यहाँ के चाहे नेता हो, अधिकारी हो या कर्मचारी सभी भ्रष्टाचार में लिप्त मिलते है। ऐसा ही एक मामला मंडला जिले के उद्यानिकी विभाग की नारायणगंज (देवरी) से सामने आया है । यहां के मजदूरों ने नर्सरी प्रभारी रमेश कुमार भारती और सहायक संचालक पर यह आरोप लगाये हैं कि उनके द्वारा हर माह मजदूरों से उनकी आय का एक हिस्सा वसूला जाता है । उनसे प्राप्त शिकायत पत्र में उन्होंने यह भी बताया कि प्रभारी अधिकारी द्वारा अपने घर जबलपुर , डिंडोरी ले जाकर उनसे घर के कार्य झाड़ू पोछा कराया जाता है। अगर मजदूरों द्वारा अपनी मजदूरी का पैसा   देने से मना किया जाता है तो उन्हें कार्य से निकलने की धमकी भी दी जाती है ऐसा मजदूरों का कहना है।

जब संजय निकुंज नर्सरी जाकर मामले की तफ्तीश की गई तब कई जानकारियाँ सामने आई। यहाँ पर मजदूरो द्वारा विभिन्न तरह के आरोप नारायणगंज नर्सरी प्रभारी पर लगाये गये। मजदूरों से बात करने पर उन्होंने बताया कि नर्सरी प्रभारी हर माह मस्टर रोल में हाजिरी भरकर उनसे उनकी आय का हिस्सा ले लिया करते हैं। जब मजदूरों द्वारा पूछा गया तो अधिकारी ने जिला अधिकारी का हवाला देते हुए बताया कि या उनके द्वारा राशि  मंगवाई जाती है ।

नर्सरी के पंखे खराब होने पर प्रभारी ने मजदूर से ले लिए 6000 रुपए

नर्सरी के चौकीदार ने नर्सरी प्रभारी पर यह आरोप लगाया कि नर्सरी कार्य आलय के पंखे खराब होने पर उनके द्वारा चौकीदार को नोटिस जारी कर दिया गया और नर्सरी प्रभारी द्वारा उनसे 6000 नगद वसूल लिए गए पर वर्तमान स्थिति में भी नर्सरी का सिर्फ एक ही पंखा सुधार पाया है बाकी सारे पंखे खराब है। चौकीदार ने अपना दर्द का व्याख्यान करते हुए बताया कि  उसकी एक माह की सारी मजदूरी नर्सरी प्रभारी द्वारा वसूल ली गई।

नाराज मजदूरों ने विभाग की पोल पूरी तरह खोल दी और बताया कि विभाग में लंबे समय से मिट्टी और खाद्य कम मात्रा में बुलाई जाती है और मनमानी  बिल लगाए जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व नर्सरी में पानी की मोटर खराब हो गई थी उसका सुधारीकरण का कार्य भी मज़दूरों से ही पैसा लेकर कराया गया।

अस्त – व्यस्त पड़ी है नर्सरी जिम्मेदार कौन

नर्सरी का मुआयना करने पर हमने पाया की नर्सरी पूरी तरह अस्त- व्यस्त पड़ी हुई है । पौधों में पॉलिथिन बेग तक नही है कहने को तो यह नर्सरी लगभग दस एकड़ में फैली हुई है पर नर्सरी का मुआयना करने पर हमने यह पाया कि ना ही कहीं नर्सरी के विभिन्न भागों तक जाने के लिए उपयुक्त रास्ते हैं और ना ही वहां पर पौधों का संरक्षण ठीक तरह से किया गया है। खरपतवार  से भरी पड़ी है नर्सरी  जिस कारण पौधे फल – फूल नहीं पा रहे हैं। नर्सरी में ना तो झंडा फहराने के लिए उपयुक्त जगह है ना ही मुख्य गेट है  और ना ही पंखे और अन्य उपकरण चालू स्थिति में हैं।

इस विषय पर जब हमने नर्सरी प्रभारी से बात की तो वह हर बात से पल्ला झाड़ते नजर आए। उन्होंने यह माना की मेरे द्वारा मजदूरों से आय का हिस्सा लिया जाता है पर उन्होने कहा की उस पैसे का उपयोग नर्सरी के विकास और रखरखाव में किया जाता है पर नर्सरी में ना ही कोई विकास दिखता है और ना ही कोई कार्य है उल्टा सारी नर्सरी अस्त व्यस्त पड़ी हुई है। जब हमने अधिकारी से पूछा कि आप किस नियम के तहत मजदूरों के पैसों से नर्सरी का विकास कार्य करते हैं क्या आपके पास ज़िला कार्यालय से नर्सरी के रखरखाव के लिए कोई राशि नहीं आती? इस विषय पर उन्होंने बताया कि जिला कार्यालय से उन्हें रखरखाव के लिए कोई भी राशि नहीं आती है जिस कारण उन्हें मजदूरों से पैसे लेकर नर्सरी का रखरखाव करना पड़ता है।

इस विषय पर सहायक संचालक उद्यानिकी ने बताया कि हमारे द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जॉच के लिए टीम गठित कर दी गई है  उन्होंने बताया कि मुझे इस कृत्य की बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी जबकि मजदूरों द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि नर्सरी प्रभारी द्वारा साहायक संचालक के नाम से उनसे राशि वसूली जाती थी। इसके जवाब में जिला उद्यानिकी अधिकारी द्वारा यह बताया गया कि उनके द्वारा किसी भी प्रकार की राशि आज तक नहीं ली गई है पर आपने कार्यक्षेत्र की नर्सरी और विकासखण्ड मैं ध्यान ना देना और वहाँ से इस प्रकार की गड़बड़ी का सामने आना जिला अधिकारी की कार्य प्रणाली पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। सहायक संचालक मामले की गंभीरता को ना लेते हुए विभाग के अधिकारियों की ही जांच टीम गठित कर लीपा पोती करने का काम कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि अन्य विभाग के काम से कम दो अधिकारियों को जांच टीम में शामिल कर निष्पक्ष जांच करानी चाहिए पर वे ऐसा नहीं करेंगे। सहायक संचालक की उदासीनता के कारण ही सब यह हो रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब से सहायक संचालक यहां पर पदस्थ हुए हैं जिले के संपूर्ण नर्सरी की स्थिति देनीय है योजनाओं  का सही लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है विभाग में जारी योजनाओं पर लीपा पोती की जा रही है।

संजय निकुंज देवरी नारायणगंज में स्व सहायता समूह की दीदियों द्वारा मनरेगा के अंतर्गत पौधा उत्पादन का कार्य किया जाता है वहां पर नर्सरी प्रभारी द्वारा समूह की अध्यक्ष एवं सदस्यों को बिना बताए ही लगभग आठ बेड यानी हजार बारह सौ आम के पौधों को बेच दिया गया  प्रभारी पूछने पर कहते हे दो ढाई सौ पौधे बेचे है स्व सहायता समूह की महिलाओं हक का पैसा भी डकार गए ,दीदियों का कहना है कि कुछ कहो तो प्रभारी  जेल में डलवाने की धमकी देता है और झूठ बोलता है कि हमने पौधे नहीं बेचे हैं।  नर्सरी प्रभारी का बर्ताव महिलाओं के प्रति ठीक नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड में कई वर्षों से पदस्थ ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी मनमानी पर उतारू है। ऐसे कृत करने वाले अधिकारी को अन्यंत्र विकास खंडों  में भेज कर  कुछ सुधार किया जा सकता है।
जाहिर है यह विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार का एक छोटा सा नमूना मात्र है। यह नर्सरी पर कार्य कर रहे मजदूरों की व्यथा को पूर्णतः बयान करता है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है। शासन से उम्मीद है कि मामले की गंभीरता को लेते हुए मजदूरों के हित में निर्णय लेकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए।

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