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विज्ञान मेला के दूसरे दिन नवाचार और विज्ञान शिक्षकों से सम्बंधित कार्यशालाओं पर फोकस रहा, सीखी विज्ञान शिक्षा और नवाचार की बारीकियां

देश के आर्थिक विकास के लिए नवाचार एवं शोध का कमर्शिलाइजेशन आवश्यक है : विवेक कुमार
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  भोपाल। भोपाल में आयोजित 11वें विज्ञान मेले का दूसरा दिन ज्ञान, संवाद, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और नवाचारों से परिपूर्ण रहा। इस कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थी संवाद सत्र के साथ हुई। जिसमे मुख्य वक्ता डॉ. सुनील चतुर्वेदी थे | इस सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच सीधा संवाद स्थापित करना था। डॉ. सुनील चतुर्वेदी ने विज्ञान को रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ते हुए छात्रों को बताया कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी दैनिक जीवनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने विज्ञान को "अज्ञात से ज्ञात की ओर यात्रा" के रूप में परिभाषित किया और बताया कि विज्ञान का उद्देश्य नई खोजों और नवाचारों के माध्यम से मानव जीवन को सरल और बेहतर बनाना है। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे शोध (Research) हमारे भविष्य को आकार देता है और विज्ञान के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए 18वीं शताब्दी तक के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक घटनाक्रमों की जानकारी दी। छात्रों ने विज्ञान से जुड़े कई रोचक सवाल पूछे, जिनका डॉ. चतुर्वेदी ने सरल और सटीक भाषा में उत्तर दिया।  सत्र के दौरान भूमिगत जल संरक्षण पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें डॉ. चतुर्वेदी ने अपने शोध कार्यों का अनुभव साझा किया। उन्होंने छात्रों को यह समझाया कि विज्ञान केवल तथ्य नहीं है, बल्कि यह एक दृष्टिकोण (Approach) है, जो हमें समस्याओं को हल करने की दिशा में प्रेरित करता है।    सांस्कृतिक कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक:  रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा  'साइकिल की चेन' नामक नुक्कड़ नाटक का मंचन हुआ। इस नाटक में स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, समाज कल्याण और विज्ञान से जुड़े मुद्दों को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया। नाटक में संगीत और संवाद का अत्यंत सुंदर संयोजन था, जिसने उपस्थित दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। 
विज्ञान आधारित नुक्कड़ नाटक, अगरिया जनजाति द्वारा लोहा बनाने की तकनीकी में रही भीड़  


 "विज्ञान की रोशनी में भविष्य की राह हेतु समर्पित रहा 11वां भोपाल विज्ञान मेला का दूसरा दिन" 
विज्ञान को "अज्ञात से ज्ञात की ओर यात्रा" – डॉ सुनील चतुर्वेदी 

 
भोपाल। भोपाल में आयोजित 11वें विज्ञान मेले का दूसरा दिन ज्ञान, संवाद, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और नवाचारों से परिपूर्ण रहा। इस कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थी संवाद सत्र के साथ हुई। जिसमे मुख्य वक्ता डॉ. सुनील चतुर्वेदी थे | इस सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच सीधा संवाद स्थापित करना था। डॉ. सुनील चतुर्वेदी ने विज्ञान को रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ते हुए छात्रों को बताया कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी दैनिक जीवनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने विज्ञान को "अज्ञात से ज्ञात की ओर यात्रा" के रूप में परिभाषित किया और बताया कि विज्ञान का उद्देश्य नई खोजों और नवाचारों के माध्यम से मानव जीवन को सरल और बेहतर बनाना है। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे शोध (Research) हमारे भविष्य को आकार देता है और विज्ञान के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए 18वीं शताब्दी तक के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक घटनाक्रमों की जानकारी दी। छात्रों ने विज्ञान से जुड़े कई रोचक सवाल पूछे, जिनका डॉ. चतुर्वेदी ने सरल और सटीक भाषा में उत्तर दिया। 
सत्र के दौरान भूमिगत जल संरक्षण पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें डॉ. चतुर्वेदी ने अपने शोध कार्यों का अनुभव साझा किया। उन्होंने छात्रों को यह समझाया कि विज्ञान केवल तथ्य नहीं है, बल्कि यह एक दृष्टिकोण (Approach) है, जो हमें समस्याओं को हल करने की दिशा में प्रेरित करता है। 
 
सांस्कृतिक कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक: 
रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा  'साइकिल की चेन' नामक नुक्कड़ नाटक का मंचन हुआ। इस नाटक में स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, समाज कल्याण और विज्ञान से जुड़े मुद्दों को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया। नाटक में संगीत और संवाद का अत्यंत सुंदर संयोजन था, जिसने उपस्थित दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। 
 

  भोपाल। भोपाल में आयोजित 11वें विज्ञान मेले का दूसरा दिन ज्ञान, संवाद, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और नवाचारों से परिपूर्ण रहा। इस कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थी संवाद सत्र के साथ हुई। जिसमे मुख्य वक्ता डॉ. सुनील चतुर्वेदी थे | इस सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों और वैज्ञानिकों के बीच सीधा संवाद स्थापित करना था। डॉ. सुनील चतुर्वेदी ने विज्ञान को रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़ते हुए छात्रों को बताया कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी दैनिक जीवनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने विज्ञान को


विशेष व्याख्यान सत्र: 
 
      मेले के अंतर्गत बाबूलाल गौर महाविद्यालय भोपाल में एन आई एफ के वैज्ञानिक डॉ. विवेक कुमार (National Innovation Foundation, India) ने "ग्रासरूट इनोवेशन्स की स्काउटिंग और डॉक्यूमेंटेशन" पर एक विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने NIF (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन) की भूमिका को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह संगठन नवप्रवर्तकों (Innovators) को न केवल तकनीकी बल्कि आर्थिक सहायता भी प्रदान करता है। उन्होंने रोशनलाल विक्रम जैसे नवप्रवर्तकों के उदाहरण देकर छात्रों को प्रेरित किया। रोशनलाल ने गन्ना खेतों में जल समस्या के समाधान हेतु एक महत्वपूर्ण तकनीक विकसित की है। उन्होंने छात्रों को बताया कि नवाचार (Innovation) किसी भी समस्या का समाधान कर सकता है, बशर्ते हम सही दृष्टिकोण अपनाएं। सत्र के अंत में उन्होंने छात्रों के सवालों के जवाब देते हुए विज्ञान को केवल एक विषय के तौर पर देखने की बजाय इसे एक जीवनशैली के रूप में अपनाने पर जोर दिया। 
 
शिक्षक कार्यशाला: 
 
     कार्यक्रम के तीसरे सत्र में विज्ञान शिक्षक कार्यशाला आयोजित की गई | इस कार्यशाला में शिक्षकों को विज्ञान शिक्षा के नए तरीकों से अवगत कराया गया। इस सत्र में विशेषज्ञ श्री संजय कौरव ने बताया कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे छात्रों की दैनिक जीवन की समस्याओं से जोड़ना चाहिए। उन्होंने अब्दुल कलाम की पुस्तक के महत्वपूर्ण उद्धरणों का हवाला देते हुए शिक्षकों को प्रेरित किया कि वे छात्रों को आत्मविश्वास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ तैयार करें। एक और विशेषज्ञ डॉ. रवि कुमार ने कार्यशाला में विज्ञान को रुचिकर बनाने के व्यावहारिक तरीकों पर जोर दिया। उन्होंने गणित और विज्ञान को इतिहास और संस्कृति से जोड़कर पढ़ाने के महत्व को समझाया। 
 
वैज्ञानिक प्रदर्शनी और मॉडलों का प्रदर्शन: 
 
     विज्ञान मेले में छात्रों और कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा 150 से अधिक वैज्ञानिक मॉडल प्रस्तुत किए गए। इन मॉडलों में कृषि, पर्यावरण, स्वास्थ्य और तकनीकी समस्याओं के समाधान पर आधारित नवाचारों को प्रस्तुत किया गया। प्रदर्शनी में विशेष रूप से उन मॉडलों को सराहा गया, जो दैनिक जीवन की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करते हैं। 
 
आदिवासी कला और वैज्ञानिक परंपरा:
कार्यक्रम में एक विशेष सत्र में आदिवासी समुदायों की लौह अयस्क गलाने (Iron Ore Smelting) की परंपरागत तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन सभी के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक और रोचक रहा। 
 
 
समापन सत्र में डॉ. अमोध गुप्ता ने विज्ञान को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए कहा कि विज्ञान केवल एक विषय नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, जो हमारे जीवन को बेहतर बनाती है। उन्होंने बताया कि हमें विज्ञान को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए और इसके माध्यम से समाज को सशक्त बनाना चाहिए। 
"11वां भोपाल विज्ञान मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि विज्ञान, नवाचार और शिक्षा के बीच संवाद और विकास का सशक्त मंच है, जो आने वाले भविष्य की नींव तैयार करता है।" 
 
कल के प्रमुख आकर्षण : 
        
      भोपाल स्थित शोध एवं अकादमिक संस्थानों के लिए " भारतीय ज्ञान परंपरा" पर संगोष्ठी, विद्यार्थी विज्ञान संवाद के अलावा विज्ञान शिक्षक कार्यशाला, अगरिया जनजाति द्वारा लोहा बनाने कि भट्टी का प्रदर्शन, बेल मेटल निर्माण का प्रदर्शन भी आयोजित की जाएगी | विद्यार्थियों की मॉडल प्रदर्शनी, कारीगर विज्ञान के प्रदर्श, क्रिएटिव लर्निंग सेंटर, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी पविलियन, हस्तशिल्प पविलियन, औषधीय पौधों का पविलियन, कृषि-प्रौद्योगिकी पविलियन, प्रमुख वैज्ञानिकों की जीवनी पर पविलियन, विभिन्न सरकारी योजनाओं पर पविलियन आदि भी होंगे। विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तर के संगठन/संस्थाएँ जैसे डीएई, इसरो, डीआरडीओ, ब्रह्मोस, एनटीपीसी, एनएचडीसी, सीआईएल, सीएसआईआर प्रयोगशालाएँ और कृषि परिषदें अपने सफलतापूर्वक किए गए कार्यों और नवाचारों को प्रदर्शित किया जायेगा |  
विदित है कि विज्ञान भारती द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मध्यप्रदेश शासन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) के साथ संयुक्त रूप से भोपाल में 2012 से प्रतिवर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित भोपाल विज्ञान मेला का आयोजन किया जाता है | यह मेला विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक विकास के प्रति लोगों को जागरूक करता है। बीवीएम विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिकारियों, किसानों, कारीगरों, उद्यमियों और आम जनता को आकर्षित करता है और उनके बीच आपसी संवाद का एक सशक्त और सुलभ मंच प्रदान करता है। बीवीएम आत्मनिर्भर भारत अभियान के उद्देश्यों की प्राप्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा और स्वतंत्र भारत की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा। बीवीएम-2024 का केंद्रीय विषय "विकसित भारत 2047, का आधार: विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार" है। बीवीएम एक ऐसा अद्वितीय मंच प्रदान करता है जो संवाद के अवसर तो प्रदान करता ही है, साथ ही अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी गतिविधियों का दुर्लभ अनुभव भी देता है। 11वां भोपाल विज्ञान मेला (BVM-2024) इस वर्ष 27 से 30 दिसंबर 2024 तक जंबुरी मैदान, भोपाल (म.प्र.) में आयोजित किया जा रहा है । 

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