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प्रदेश में संस्कृत बढ़ावा देने के प्रभात कक्षाओं का संचालन 53 चयनित एजुकेशन फॉर ऑल स्कूल में कर रहा

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भोपाल  प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड अरूण, उदय और प्रभात कक्षाओं का संचालन 53 चयनित एजुकेशन फॉर ऑल (ईएफए) स्कूल में कर रहा है। इन विद्यालयों में संस्कृत माध्यम की कक्षाएं इस वर्ष शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ हो गई हैं।  देश की सांस्कृतिक विरासत में संस्कृत भाषा का प्राचीन काल से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में संस्कृत भाषा के विस्तार के लिये विशेष प्रावधान रखे गये हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेख किया गया है कि संस्कृत भाषा केवल संस्कृत पाठशाला एवं विश्वविद्यालयों तक सीमित न रहे बल्कि इसे मुख्य धारा में लाया जाये। इसके अनुपालन में प्रदेश में प्री-स्कूल के 3 वर्ष तथा कक्षा 1 और 2 के 2 वर्ष इस प्रकार बच्चे की उम्र 3 से 8 वर्ष की अवधि में बच्चों को संस्कृत माध्यम से पढ़ाई कराये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग संस्कृत माध्यम के विद्यालयों के संचालन की निगरानी भी रख रहा है।  संस्कृत भाषा एक बीज भाषा है। यह भाषा सभी भाषाओं की जननी है। बाल मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की अवस्था से पूर्व हो जाता है। शोध में यह बात भी सामने आयी है कि जो विद्यार्थी प्रारंभ से संस्कृत भाषा बोलते हैं, वे बाद के वर्षों में विश्व की किसी भी भाषा को बोलने की क्षमता रखते हैं। इसको दृष्टिगत रखते हुए 53 संस्कृत विद्यालय प्रदेश में प्रारंभ किये गये हैं। यह एक ऐसा अनोखा प्री-स्कूल है, जिसमें छोटे बच्चों को संस्कृत माध्यम से भारतीय संस्कृति और परम्परा के बारे में सीखने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। इन विद्यालयों में पुस्तकालय, प्रदर्शन क्षेत्र, कठपूतली का कोना, विश्राम क्षेत्र, कहानी का कोना, कला कोना, खिलौनों का कोना, उत्सव की दीवार, भोजन क्षेत्र, संस्कृत अध्ययन सामग्री, बाल उपवन, तुलसी का बर्तन और ध्यान कुटिया जैसी सुविधाएं बच्चों को उपलब्ध कराई गई हैं।

भोपाल

प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड अरूण, उदय और प्रभात कक्षाओं का संचालन 53 चयनित एजुकेशन फॉर ऑल (ईएफए) स्कूल में कर रहा है। इन विद्यालयों में संस्कृत माध्यम की कक्षाएं इस वर्ष शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ हो गई हैं।

देश की सांस्कृतिक विरासत में संस्कृत भाषा का प्राचीन काल से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में संस्कृत भाषा के विस्तार के लिये विशेष प्रावधान रखे गये हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेख किया गया है कि संस्कृत भाषा केवल संस्कृत पाठशाला एवं विश्वविद्यालयों तक सीमित न रहे बल्कि इसे मुख्य धारा में लाया जाये। इसके अनुपालन में प्रदेश में प्री-स्कूल के 3 वर्ष तथा कक्षा 1 और 2 के 2 वर्ष इस प्रकार बच्चे की उम्र 3 से 8 वर्ष की अवधि में बच्चों को संस्कृत माध्यम से पढ़ाई कराये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग संस्कृत माध्यम के विद्यालयों के संचालन की निगरानी भी रख रहा है।

संस्कृत भाषा एक बीज भाषा है। यह भाषा सभी भाषाओं की जननी है। बाल मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की अवस्था से पूर्व हो जाता है। शोध में यह बात भी सामने आयी है कि जो विद्यार्थी प्रारंभ से संस्कृत भाषा बोलते हैं, वे बाद के वर्षों में विश्व की किसी भी भाषा को बोलने की क्षमता रखते हैं। इसको दृष्टिगत रखते हुए 53 संस्कृत विद्यालय प्रदेश में प्रारंभ किये गये हैं। यह एक ऐसा अनोखा प्री-स्कूल है, जिसमें छोटे बच्चों को संस्कृत माध्यम से भारतीय संस्कृति और परम्परा के बारे में सीखने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। इन विद्यालयों में पुस्तकालय, प्रदर्शन क्षेत्र, कठपूतली का कोना, विश्राम क्षेत्र, कहानी का कोना, कला कोना, खिलौनों का कोना, उत्सव की दीवार, भोजन क्षेत्र, संस्कृत अध्ययन सामग्री, बाल उपवन, तुलसी का बर्तन और ध्यान कुटिया जैसी सुविधाएं बच्चों को उपलब्ध कराई गई हैं।

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